सम्मानित दिखने वाले इस प्रोफेशन के पीछे छिपा होता है त्याग, तनाव और चौबीसों घंटे की सेवा। जानिए एक डॉक्टर की असली लाइफ कैसी होती है – उनकी जुबानी।
जैसे ही आंख लगती है, फोन बजता है – कभी भी हॉस्पिटल भागना पड़ सकता है। डॉक्टर की ड्यूटी कभी खत्म नहीं होती।
एक सर्जन के लिए हर फैसला जिंदगी और मौत के बीच होता है। छोटी सी गलती भी भारी पड़ सकती है।
फैमिली टाइम के बीच में भी इमरजेंसी कॉल आ सकता है। डॉक्टर की जिंदगी कभी ‘ऑफ ड्यूटी’ नहीं होती।
PPE किट में घंटों काम, संसाधनों की कमी और अपनों से दूरी – कोरोना का संघर्ष आज भी ताजा है।
हर वक्त बेहतर की उम्मीद, लेकिन जब सपोर्ट न मिले तो थकावट और हताशा बढ़ जाती है।
जब मरीज ठीक होकर मुस्कराता है, तो डॉक्टर को लगता है – ये सब संघर्ष, बलिदान सफल हुआ। यही है असली संतोष।