एक डॉक्टर की जिंदगी: नींद कम, ज़िम्मेदारी ज़्यादा!

सम्मानित दिखने वाले इस प्रोफेशन के पीछे छिपा होता है त्याग, तनाव और चौबीसों घंटे की सेवा। जानिए एक डॉक्टर की असली लाइफ कैसी होती है – उनकी जुबानी।

हर कॉल इमरजेंसी हो सकती है

जैसे ही आंख लगती है, फोन बजता है – कभी भी हॉस्पिटल भागना पड़ सकता है। डॉक्टर की ड्यूटी कभी खत्म नहीं होती।

हर केस में होती है जान की बाज़ी

एक सर्जन के लिए हर फैसला जिंदगी और मौत के बीच होता है। छोटी सी गलती भी भारी पड़ सकती है।

पर्सनल लाइफ या प्रोफेशन?

फैमिली टाइम के बीच में भी इमरजेंसी कॉल आ सकता है। डॉक्टर की जिंदगी कभी ‘ऑफ ड्यूटी’ नहीं होती।

कोविड का दौर नहीं भूलेगा कोई डॉक्टर

PPE किट में घंटों काम, संसाधनों की कमी और अपनों से दूरी – कोरोना का संघर्ष आज भी ताजा है।

सेवा या संकोच? समाज से भी मिलती हैं उम्मीदें

हर वक्त बेहतर की उम्मीद, लेकिन जब सपोर्ट न मिले तो थकावट और हताशा बढ़ जाती है।

मुस्कान बनती है रिवॉर्ड!

जब मरीज ठीक होकर मुस्कराता है, तो डॉक्टर को लगता है – ये सब संघर्ष, बलिदान सफल हुआ। यही है असली संतोष।

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