क्या आप भी रातभर करवटें बदलते रहते हैं? नींद पूरी न होना सिर्फ थकान नहीं, आपकी मेंटल हेल्थ के लिए खतरा भी है! जानिए कैसे
नींद के बिना दिमाग को आराम नहीं मिल पाता, जिससे इमोशनल बैलेंस और मेमोरी पर बुरा असर पड़ता है।
नींद की कमी से कॉर्टिसोल बढ़ता है, जिससे चिंता, बेचैनी और घबराहट बढ़ सकती है। कभी-कभी ये पैनिक अटैक का कारण भी बनता है।
कम नींद = ज्यादा गुस्सा, जल्दी रोना या छोटी बातों पर रिएक्शन देना। दिमाग को रेस्ट न मिले तो इमोशंस आउट ऑफ कंट्रोल हो जाते हैं।
लगातार नींद की कमी से निगेटिव सोच बढ़ती है और डिप्रेशन की शुरुआत हो सकती है। ध्यान और फोकस भी कमजोर हो जाते हैं।
हर दिन एक जैसा सोने-जागने का रूटीन रखें। स्क्रीन टाइम कम करें और सोने से पहले दिमाग को शांत करें।
शांत कमरा, हल्का म्यूजिक या किताब, और कैफीन से दूरी… ये छोटे बदलाव आपकी नींद और ज़िंदगी बदल सकते हैं।