पुणे की हिंसक झड़प के बाद एक बार फिर छत्रपति शिवाजी महाराज चर्चा में हैं। आइए जानते हैं उनके जीते किलों की कहानी, दोस्त-दुश्मन और मुगलों को क्यों सौंपे थे 23 किले।
छत्रपति शिवाजी महाराज ने केवल 15 साल की उम्र में तोरणा किले पर जीत हासिल की थी। यही से शुरू हुआ उनका विजयी सफर।
1646 में शिवाजी ने रायगढ़ किले को जीता और यहीं से मराठा साम्राज्य की नींव रखी, जिसे बाद में राजधानी बनाया गया।
शिवाजी महाराज ने अपने जीवनकाल में 300 से अधिक किलों पर मराठा पताका फहराई। इनमें प्रतापगढ़, राजगढ़ और सिंहगढ़ जैसे किले शामिल हैं।
1665 में पुरंदर संधि के तहत शिवाजी को मजबूरन 23 किले मुगलों को सौंपने पड़े थे, लेकिन जल्द ही कई फिर से जीत लिए।
औरंगजेब शिवाजी को सबसे बड़ा दुश्मन मानता था, पर मराठों ने अपनी स्वतंत्रता कायम रखी और डक्कन में मुगलों को रोकते रहे।
पुणे न सिर्फ उनका जन्मस्थान था, बल्कि यहीं से उनके सैन्य जीवन और मराठा इतिहास की कई कहानियां शुरू हुईं।