डायबिटीज सिर्फ शुगर की बीमारी नहीं, बल्कि यह मानसिक स्वास्थ्य पर भी गहरा असर डालती है। तनाव, एंग्जायटी और डिप्रेशन बढ़ने के पीछे डायबिटीज का बड़ा हाथ है।
डायबिटीज के मरीजों में डिप्रेशन का खतरा सामान्य से दो-तीन गुना ज्यादा होता है।
रोज ब्लड शुगर चेक करना और दवाओं का टाइम, मरीज को मानसिक रूप से थका देता है।
डायबिटीज से सेरोटोनिन और डोपामिन जैसे हार्मोन का संतुलन बिगड़ता है, जिससे मूड स्विंग्स और चिंता बढ़ती है।
मरीज हार्ट प्रॉब्लम या किडनी फेल होने के डर से लगातार तनाव में रहते हैं।
शुगर लेवल में उतार-चढ़ाव और लाइफस्टाइल में बदलाव से तनाव और मानसिक थकावट होती है।
मेंटल हेल्थ चेकअप, थेरेपी, योग और सही खानपान से तनाव कम किया जा सकता है।