श्रीलंका ने अदाणी ग्रुप के पवन ऊर्जा प्रोजेक्ट की पावर डील रद्द की, अमेरिका में भ्रष्टाचार आरोपों के बाद समीक्षा जारी रखने का निर्णय लिया। प्रोजेक्ट को रद्द नहीं किया गया।
Adani Group: श्रीलंका ने अदाणी ग्रुप के साथ किए गए बिजली खरीद समझौते को रद्द कर दिया है। यह फैसला अदाणी ग्रुप के संस्थापक गौतम अडानी पर अमेरिका में लगे भ्रष्टाचार के आरोपों के बाद लिया गया है। इस खबर की पुष्टि शुक्रवार को न्यूज एजेंसी AFP ने की, जिसमें श्रीलंकाई ऊर्जा मंत्रालय के सूत्रों का हवाला दिया गया है।
अदाणी के स्थानीय प्रोजेक्ट्स की समीक्षा शुरू
श्रीलंका के नए राष्ट्रपति अनुरा कुमारा दिसानायके ने अदाणी ग्रुप के स्थानीय प्रोजेक्ट्स की जांच शुरू कर दी है। यह कदम उस समय उठाया गया जब पिछले साल अदाणी ग्रुप के प्रमुख गौतम अडानी पर अमेरिका में रिश्वतखोरी के आरोप लगे थे। श्रीलंकाई सरकार के इस कदम को एक बड़ी कार्रवाई के रूप में देखा जा रहा है।
अदाणी का पवन ऊर्जा प्रोजेक्ट पर विवाद
मई 2024 में, पिछली सरकार ने अदाणी ग्रुप से श्रीलंका के उत्तर-पश्चिम में प्रस्तावित पवन ऊर्जा संयंत्र से $0.0826 प्रति किलोवॉट की दर से बिजली खरीदने पर सहमति जताई थी। हालांकि, मौजूदा सरकार ने इस महीने की शुरुआत में निर्णय लिया कि वह इस समझौते को आगे नहीं बढ़ाएगी। इसके बावजूद, प्रोजेक्ट की समीक्षा अभी भी जारी रहेगी।
प्रोजेक्ट की रद्दीकरण से बचाव
एक सरकारी सूत्र ने AFP को बताया कि "सरकार ने पावर पर्चेज एग्रीमेंट को रद्द कर दिया है, लेकिन प्रोजेक्ट को रद्द नहीं किया है। पूरे प्रोजेक्ट की समीक्षा करने के लिए एक समिति नियुक्त की गई है।" यह निर्णय श्रीलंका में विरोध के बीच लिया गया, जहां लोगों का मानना था कि छोटे नवीकरणीय ऊर्जा प्रोजेक्ट्स कम दामों पर बिजली बेच रहे हैं।
पर्यावरणीय चिंताओं के कारण कानूनी चुनौती
अदाणी के प्रस्तावित 484 मेगावाट पवन संयंत्र, जो मन्नार और पूनरीयन क्षेत्रों में बनने वाला था, को श्रीलंकाई सुप्रीम कोर्ट में पर्यावरणीय चिंताओं के कारण एक अलग कानूनी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। इस प्रोजेक्ट को लेकर स्थानीय समुदायों और पर्यावरण कार्यकर्ताओं द्वारा विरोध किए जाने की संभावना बनी हुई है।
सरकार की समिति द्वारा प्रोजेक्ट की पुनः समीक्षा
श्रीलंकाई ऊर्जा मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि सरकार ने पवन ऊर्जा परियोजना की फिर से समीक्षा करने के लिए एक समिति बनाई है, लेकिन इसे रद्द नहीं किया गया है। श्रीलंका सरकार अब इस प्रोजेक्ट की विस्तृत जांच करने और उसे स्थानीय हितों के अनुसार ढालने पर ध्यान केंद्रित कर रही है।
इस पूरे प्रोजेक्ट को लेकर स्थानीय और वैश्विक स्तर पर प्रतिक्रियाएं अलग-अलग रही हैं, लेकिन श्रीलंकाई सरकार के इस कदम से यह स्पष्ट हो गया है कि वह इस मामले में अधिक सतर्क और सावधान निर्णय लेने की प्रक्रिया में है।