कोचीन शिपयार्ड के शेयर ₹1,656 तक पहुंच गए, 5% की बढ़त के साथ, जब कंपनी ने रक्षा मंत्रालय से ₹1,000 करोड़ का अनुबंध प्राप्त किया। अगस्त से अक्टूबर 2024 तक गिरावट के बाद नवंबर में स्टॉक ने फिर से तेजी पकड़ी।
Stock: भारत में अग्रणी जहाज निर्माण और मरम्मत यार्ड कोचीन शिपयार्ड के शेयरों में सोमवार, 2 दिसंबर को लगातार सातवें कारोबारी सत्र में तेजी का रुझान देखा गया। इस दौरान कंपनी के शेयर 5% चढ़कर ₹1,656 प्रति शेयर तक पहुंचे, जो अक्टूबर के मध्य के बाद से अब तक का उच्चतम स्तर है।
बड़ा रक्षा अनुबंध हासिल कर बढ़ी हिस्सेदारी
यह तेजी भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय से हाल ही में मिले एक महत्वपूर्ण अनुबंध की घोषणा के बाद आई है। इस अनुबंध के तहत, कोचीन शिपयार्ड को भारतीय नौसेना के एक बड़े पोत के शॉर्ट रिफिट और ड्राई डॉकिंग का कार्य सौंपा गया है। रिपोर्ट के अनुसार, इस अनुबंध का मूल्य ₹1,000 करोड़ से अधिक है और इसकी अनुमानित अवधि लगभग पांच महीने है।
नवंबर में शेयरों में उछाल
अगस्त से अक्टूबर 2024 तक भारी बिकवाली के दबाव का सामना करने के बाद, जिसमें कंपनी ने अपने शेयर का 43% मूल्य खो दिया था, नवंबर में कोचीन शिपयार्ड के शेयरों ने मजबूती पकड़ ली है। नवंबर में ही कंपनी के शेयरों में 5.35% की वृद्धि दर्ज की गई, जबकि पिछले एक महीने में 10% का उछाल देखा गया है।
'मेक इन इंडिया' पहल के तहत रणनीतिक साझेदारी
22 नवंबर, 2024 को, कंपनी ने भारत में 'मेक इन इंडिया' पहल के तहत जैक-अप रिग के डिजाइन और महत्वपूर्ण उपकरणों के लिए Seatrium Leternue USA Inc (SLET) के साथ एक समझौता ज्ञापन (MOU) पर हस्ताक्षर किए। यह सहयोग भारतीय बाजार की जरूरतों को पूरा करने के लिए नए अवसरों का लाभ उठाने का प्रयास करेगा।
रक्षा सेक्टर में आकर्षण
कोचीन शिपयार्ड में निवेशकों की रुचि का कारण रक्षा क्षेत्र में वृद्धि हो सकती है। हाल ही में भाजपा के नेतृत्व में महायुति गठबंधन की शानदार जीत ने भी रक्षा शेयरों में नए सिरे से उत्साह पैदा किया है। विशेषज्ञों के अनुसार, भारत का रक्षा क्षेत्र आगामी पांच वर्षों में महत्वपूर्ण विकास देखेगा, और भारतीय रक्षा व्यय के बढ़ने से रक्षा कंपनियों को फायदा होगा।
दीर्घकालिक विकास की संभावनाएं
ब्रोकरेज फर्मों के अनुसार, भारतीय रक्षा क्षेत्र का भविष्य मजबूत है और बढ़ते पूंजीगत व्यय के कारण इसमें और अधिक संरचनात्मक विकास हो सकता है। अनुमान है कि अगले पांच वर्षों में भारत का रक्षा व्यय 150 बिलियन डॉलर तक पहुँच सकता है, जो पिछले पांच वर्षों में खर्च किए गए 85 बिलियन डॉलर से काफी अधिक होगा।