सिर्फ कैपिटल गेन टैक्स में कटौती से विदेशी निवेशकों की वापसी संभव नहीं। सरकार को आर्थिक सुधार, नीतिगत स्थिरता और टैक्स रियायतों सहित अन्य उपायों पर भी ध्यान देना होगा।
Helios Capital: भारतीय शेयर बाजार में विदेशी निवेशकों (FIIs) की वापसी को लेकर चर्चा तेज हो गई है। कुछ विशेषज्ञ मानते हैं कि कैपिटल गेन टैक्स में कटौती या इसे पूरी तरह खत्म करने से विदेशी निवेशकों के लिए भारतीय बाजार अधिक आकर्षक हो सकता है, जबकि कुछ का कहना है कि इसके अलावा भी कई नीतिगत सुधारों की जरूरत होगी।
सिर्फ टैक्स कटौती से नहीं लौटेंगे FIIs
विश्लेषकों का मानना है कि केवल कैपिटल गेन टैक्स कम करने से विदेशी निवेशक भारतीय बाजार में लौट आएंगे, यह कहना मुश्किल है। कोटक महिंद्रा एएमसी के मैनेजिंग डायरेक्टर नीलेश शाह का कहना है कि टैक्स कटौती से निवेशकों के टैक्स के बाद का रिटर्न जरूर बढ़ेगा, लेकिन यह अकेला फैक्टर उनकी वापसी सुनिश्चित नहीं कर सकता।
उन्होंने सुझाव दिया कि सरकार विदेशी निवेशकों को आकर्षित करने के लिए अन्य उपाय भी कर सकती है। इनमें IPOs और OFS में विदेशी निवेशकों के लिए विशेष कोटा, सेकेंडरी मार्केट में प्राथमिकता, एफपीआई निवेश पर गारंटीड रिटर्न और KYC व ITR फाइलिंग से छूट जैसी सुविधाएं शामिल हैं।
कैपिटल गेन टैक्स खत्म करने की मांग
Helios Capital के फाउंडर और CIO समीर अरोड़ा का मानना है कि विदेशी निवेशकों के लिए कैपिटल गेन टैक्स खत्म करने से भारतीय शेयर बाजार अधिक स्थिर और आकर्षक बनेगा। उन्होंने तर्क दिया कि दुनियाभर के 200 में से 199 देशों में विदेशी निवेशकों को स्टॉक मार्केट पर कोई टैक्स नहीं देना पड़ता।
उन्होंने यह भी बताया कि विदेशी निवेशकों को करेंसी एक्सचेंज रेट के उतार-चढ़ाव से नुकसान होता है, क्योंकि वे भारतीय रुपये में टैक्स चुकाते हैं और उसे डॉलर में बदलकर वापस भेजते हैं। इस कारण, उनका रिटर्न काफी प्रभावित होता है।
कैपिटल गेन टैक्स का इतिहास और मौजूदा स्थिति
भारत में पहली बार 1946-47 में कैपिटल गेन टैक्स लागू किया गया था। 1956 में इसे स्थायी कर दिया गया, जिसमें 15,000 रुपये तक का कैपिटल गेन टैक्स-फ्री था। 2024-25 के बजट में सरकार ने कैपिटल गेन टैक्स में बदलाव किए, जिसमें शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन (STCG) टैक्स को 15% से बढ़ाकर 20% कर दिया गया, जबकि लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन (LTCG) टैक्स को 10% से बढ़ाकर 12.5% कर दिया गया। इसके अलावा, F&O से जुड़े टैक्सेशन में भी बदलाव किए गए।
भारतीय बाजार में गिरावट के पीछे क्या हैं कारण?
हाल ही में भारतीय शेयर बाजार में बड़ी बिकवाली देखने को मिली है। कोटक अल्टरनेट एसेट मैनेजर्स के प्रमुख निवेश रणनीतिकार जितेंद्र गोहिल के अनुसार, इसकी वजह केवल टैक्स नहीं है। बल्कि, ऊंचे वैल्यूएशन, डॉलर की मजबूती और बड़े आर्थिक सुधारों की कमी भी प्रमुख कारण हैं।
उन्होंने कहा कि भारत में राजनीतिक और वित्तीय जोखिम भले ही कम हो रहे हैं, लेकिन विदेशी निवेशकों को आकर्षित करने के लिए श्रम, भूमि और कृषि सुधारों की जरूरत है। इसके अलावा, सरकार ने निजीकरण और विनिवेश की गति भी धीमी कर दी है, जिससे निवेशकों की धारणा प्रभावित हुई है।