World Obesity Day 2025: सेहत पर बढ़ता खतरा और रोकथाम की राह

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क्या हमारी आधुनिक जीवनशैली हमें बीमार कर रही है? मोटापा अब केवल एक व्यक्तिगत स्वास्थ्य समस्या नहीं रह गया है, बल्कि यह एक वैश्विक संकट बन चुका है। विशेष रूप से संयुक्त राज्य अमेरिका में, यह एक महामारी का रूप ले चुका है और कैंसर, मधुमेह और हृदय रोग जैसी जानलेवा बीमारियों को आमंत्रित कर रहा है। हर साल 4 मार्च को मनाया जाने वाला विश्व मोटापा दिवस हमें यह सोचने पर मजबूर करता है कि आखिर इस समस्या की जड़ें कहाँ हैं, और इससे बचने के लिए हम क्या कर सकते हैं।

मोटापा: इतिहास से सीखें, भविष्य सुरक्षित करें

• 550 ई.पू. – भारतीय शल्यचिकित्सक सुश्रुत ने पहली बार मोटापे को मधुमेह और हृदय रोग से जोड़ने की पहचान की।
• 1962 – अमेरिका में मोटापे की दर मात्र 13% थी।
• 2012 – अमेरिका में मोटापे की दर विश्व में सबसे अधिक दर्ज की गई।
• 2021 – CDC के अनुसार अमेरिका में 41.9% वयस्क मोटापे से ग्रस्त थे।

 मोटापा: आधुनिक जीवनशैली की देन या स्वास्थ्य संकट?

मोटापा केवल एक सौंदर्य से जुड़ा मुद्दा नहीं है, यह एक वैश्विक स्वास्थ्य आपदा बन चुका है। WHO और CDC के आंकड़े इस गंभीर स्थिति की पुष्टि करते हैं:
1975 के बाद से मोटापा तीन गुना बढ़ चुका है।
2016 में 1.9 बिलियन वयस्क अधिक वजन के शिकार थे, जिनमें से 650 मिलियन मोटापे से ग्रस्त थे।
2017-2020 के अध्ययन के अनुसार, 2-19 वर्ष की आयु के 19.7% बच्चे मोटापे से प्रभावित थे।
इसका असर सिर्फ शरीर पर नहीं, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य पर भी पड़ता है। अवसाद, आत्मविश्वास की कमी और सामाजिक भेदभाव जैसी समस्याएँ मोटापे से ग्रस्त लोगों के जीवन को और कठिन बना देती हैं।

कौन प्रभावित होता है?

कोई भी व्यक्ति इससे अछूता नहीं है। शहरीकरण, टेक्नोलॉजी पर बढ़ती निर्भरता, अस्वास्थ्यकर खान-पान और कम शारीरिक गतिविधि मोटापे को और अधिक बढ़ा रहे हैं। खासकर निम्नलिखित समूह उच्च जोखिम में आते हैं:

• बच्चे – जिनका शारीरिक गतिविधियों तक सीमित पहुंच होती है।
• निम्न आय वर्ग के लोग – जिनके पास स्वस्थ भोजन और व्यायाम सुविधाओं तक सीमित पहुंच होती है।

मोटापे पर नियंत्रण: स्वास्थ्य की ओर एक मजबूत कदम

अगर हम अब भी नहीं जागे, तो आने वाली पीढ़ियों का स्वास्थ्य दांव पर लग सकता है। यह समस्या सिर्फ डॉक्टरों और सरकारों की नहीं, बल्कि हम सभी की है। समाधान हमारे अपने हाथ में है।

1. स्वस्थ आहार अपनाएँ

• अपने भोजन में फलों, सब्जियों, साबुत अनाज और कम वसा वाले प्रोटीन की मात्रा बढ़ाएँ।
• जंक फूड, मीठे पेय और अत्यधिक कैलोरी वाले खाद्य पदार्थों से दूरी बनाएँ।
• सरकारों से स्वस्थ खाद्य नीतियों को प्राथमिकता देने की मांग करें।

2. शारीरिक गतिविधि को प्राथमिकता दें

• वयस्कों को प्रति सप्ताह 150 मिनट का मध्यम एरोबिक व्यायाम करना चाहिए।
• बच्चों को प्रतिदिन कम से कम 60 मिनट शारीरिक गतिविधि करनी चाहिए।
• ऑफिस और घर की दिनचर्या में चलना, दौड़ना, सीढ़ियाँ चढ़ना जैसी गतिविधियों को शामिल करें।

3. शिक्षा और जागरूकता बढ़ाएँ

• स्कूलों और कॉलेजों में स्वस्थ जीवनशैली पर पाठ्यक्रम को अनिवार्य किया जाए।
• सोशल मीडिया और समुदायों के माध्यम से मोटापे के प्रभावों और समाधान पर चर्चा करें।
• बॉडी पॉजिटिविटी और संतुलित स्वास्थ्य के बीच संतुलन बनाना जरूरी है।

4. स्वास्थ्य देखभाल सहायता लें

• अपने बीएमआई और अन्य स्वास्थ्य संकेतकों की नियमित रूप से जाँच करें।
• पोषण विशेषज्ञों और चिकित्सकों की सलाह लें।
• यदि आवश्यक हो तो व्यक्तिगत वजन प्रबंधन योजनाओं को अपनाएँ।

अब बदलाव का समय: मोटापे के खिलाफ उठाएँ कदम

विश्व मोटापा दिवस हमें याद दिलाता है कि अब समय आ गया है कि हम सिर्फ बात न करें, बल्कि ठोस कदम उठाएँ। व्यक्तिगत बदलाव के साथ-साथ हमें अपने समाज, सरकार और वैश्विक संगठनों को भी इस दिशा में सक्रिय करना होगा। अगर हम स्वस्थ आदतों को अपनाएँ, अस्वास्थ्यकर जीवनशैली से दूर रहें और स्वास्थ्य-संबंधी नीतियों में सुधार की मांग करें, तो हम इस समस्या से उबर सकते हैं।

आइए, एक स्वस्थ और बेहतर भविष्य के लिए आज ही पहला कदम उठाएँ।

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