महाराष्ट्र की राजनीति में ठाकरे परिवार की हालिया मुलाकातों ने हलचल मचा दी है। कभी कट्टर विरोधी रहे उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे पिछले चार महीनों में कुल 9 बार आमने-सामने आए हैं।
Marathi Language Conference: मुंबई के राजनीतिक गलियारों में इन दिनों सबसे अधिक चर्चा ठाकरे परिवार की बढ़ती नजदीकियों को लेकर है। महाराष्ट्र की राजनीति में लंबे समय तक एक-दूसरे के कट्टर विरोधी रहे उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे, पिछले चार महीनों में कुल नौ बार आमने-सामने आए हैं। इन लगातार मुलाकातों ने न केवल राजनीतिक विश्लेषकों को हैरान किया है, बल्कि महाराष्ट्र के राजनीतिक परिदृश्य में नए समीकरणों की अटकलों को भी तेज़ कर दिया है।
ठाकरे भाइयों की पहली मुलाकात और संकेत
पहली बार उद्धव और राज ठाकरे की मुलाकात 5 जुलाई 2025 को हुई, जब दोनों भाई मराठी भाषा मेलावा (Marathi Language Conference) में एक ही मंच पर दिखाई दिए। इस अवसर ने संकेत दिया कि वर्षों की दूरियों के बाद दोनों के बीच संवाद शुरू हो सकता है। इसके बाद 27 जुलाई को राज ठाकरे ने उद्धव ठाकरे के जन्मदिन पर मातोश्री जाकर उन्हें बधाई दी। यह कदम भी राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बना और माना गया कि दोनों भाई व्यक्तिगत और पारिवारिक संबंध सुधारने की दिशा में कदम बढ़ा रहे हैं।

27 अगस्त को उद्धव ठाकरे पूरे परिवार के साथ राज ठाकरे के शिवतीर्थ निवास पहुंचे और गणेश दर्शन किया। यह दो दशकों में पहली बार हुआ जब दोनों परिवार धार्मिक अवसर पर एक ही छत के नीचे दिखे। इसके बाद 10 सितंबर को उद्धव ठाकरे संजय राउत के साथ शिवतीर्थ पहुंचे। वहीं 5 अक्टूबर को संजय राउत के पोते के नामकरण समारोह में ठाकरे परिवार एक बार फिर एक साथ दिखा। इस अवसर पर राज ठाकरे मातोश्री भी पहुंचे।
दीपोत्सव और भाई दूज में एकता के संकेत
12 अक्टूबर को राज ठाकरे पूरे परिवार के साथ मातोश्री पर स्नेहभोजन (पारिवारिक रात्रिभोज) के लिए पहुंचे। कुछ ही दिनों बाद 17 अक्टूबर को उद्धव ठाकरे ने मनसे (MNS) के दीपोत्सव कार्यक्रम का उद्घाटन किया, जिसमें पूरा ठाकरे परिवार मौजूद रहा। इसके बाद 22 अक्टूबर को उद्धव ठाकरे, राज ठाकरे की मां के जन्मदिन पर उन्हें बधाई देने शिवतीर्थ पहुंचे। और अब 23 अक्टूबर, भाई दूज (भाऊबीज) के अवसर पर ठाकरे परिवार फिर से एक साथ नजर आएगा।
इस बार उद्धव ठाकरे राज ठाकरे के घर जाकर त्योहार मनाएंगे। राज ठाकरे अपनी बहन जयवंती के साथ भाई दूज मनाएंगे, जबकि आदित्य ठाकरे, राज ठाकरे की बेटी मिताली ठाकरे के साथ यह परंपरा निभाएंगे। इन लगातार मुलाकातों ने स्पष्ट संकेत दिया है कि ठाकरे परिवार में बरसों की दूरियां अब स्नेह और मेलजोल में बदल रही हैं। मुंबई और महाराष्ट्र के राजनीतिक गलियारों में कहा जा रहा है कि यह बदलाव राजनीतिक रणनीतियों और गठजोड़ों पर भी असर डाल सकता है।













