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दिल्ली: कांग्रेस नेता उदित राज का आरोप, कहा – 'सरकारी आवास से बेदखल किया जा रहा'

दिल्ली: कांग्रेस नेता उदित राज का आरोप, कहा – 'सरकारी आवास से बेदखल किया जा रहा'

दिल्ली में कांग्रेस नेता उदित राज ने आरोप लगाया कि शहरी विकास मंत्रालय के अधिकारियों ने उनके सरकारी आवास से सामान बाहर फेंका। उन्होंने कहा कि उनकी पत्नी के नाम आवंटित घर खाली करने का दबाव बनाया जा रहा है।

नई दिल्ली: दिल्ली में कांग्रेस नेता उदित राज ने आरोप लगाया है कि शहरी विकास मंत्रालय के अधिकारी उनके सरकारी आवास से उनका सामान बाहर फेंक रहे हैं और उन्हें मकान खाली करने के लिए दबाव बनाया जा रहा है। उदित राज ने सोशल मीडिया के माध्यम से इस घटना का खुलासा करते हुए बताया कि उनका C1/38, पंडारा पार्क, नई दिल्ली-3 स्थित आवास उनकी पत्नी सीमा राज के नाम पर आवंटित है।

उदित राज ने बताया कि उनकी पत्नी रिटायर्ड हैं और उनका मकान छोड़ने का इरादा है, लेकिन अस्पताल में बीमार ससुर की देखभाल और परिवारिक परिस्थितियों की वजह से कुछ समय और वहां रहना पड़ा।

पटियाला हाउस कोर्ट ने नोटिस जारी किया 

उदित राज ने कहा कि मंत्रालय के अधिकारियों ने उन्हें निदेशक/संयुक्त सचिव से बात करने की सलाह दी, लेकिन उनका कोई फ़ायदा नहीं हुआ। उनकी पत्नी ने मंत्रालय को पत्र लिखकर निवास में रहने की अवधि बढ़ाने की अपील की।

साथ ही, उदित राज ने बताया कि उनकी पत्नी पटियाला हाउस कोर्ट में जिला एवं सत्र न्यायाधीश के समक्ष गई हैं, जिन्होंने उनकी अपील स्वीकार की और निदेशालय को नोटिस जारी किया। मामला 28 अक्टूबर, 2025 को सूचीबद्ध किया गया है।

जातिवाद और उच्च जाति के वर्चस्व पर आरोप

कांग्रेस नेता ने इस मुद्दे को जातिवाद और सामाजिक न्याय से जोड़ते हुए कहा कि ऐसे कई लोग हैं जो कृपापात्र होने के बावजूद बड़े और आलीशान घरों में रह रहे हैं, जबकि उनकी तरह के नेताओं को निशाना बनाया जा रहा है।

उदित राज ने कहा, "संपत्ति निदेशालय की चुनिंदा कार्रवाई और विपक्षी नेता को टारगेट करना वर्तमान सरकार में उच्च जाति के वर्चस्व को दर्शाता है। मैं सामाजिक न्याय की अपनी लड़ाई में एक इंच भी पीछे नहीं हटूंगा।"

नवंबर तक निजी घर में शिफ्ट होंगे उदित राज

उदित राज ने साफ किया कि वे नवंबर के अंत तक निजी आवास में शिफ्ट हो जाएंगे। उनका यह भी कहना है कि यह मामला सिर्फ राजनीतिक और जातीय भेदभाव का उदाहरण नहीं है, बल्कि सरकारी प्रक्रियाओं में पारदर्शिता और समानता की कमी को भी उजागर करता है।

उन्होंने निवेदन किया कि समान नियम सभी आवासधारकों पर लागू होने चाहिए, न कि केवल उन्हीं पर जो सामाजिक न्याय और दलित अधिकारों की आवाज उठाते हैं।

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