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सहारा ग्रुप को इलाहाबाद हाईकोर्ट से बड़ा झटका, चार सहकारी समितियों की याचिका खारिज

सहारा ग्रुप को इलाहाबाद हाईकोर्ट से बड़ा झटका, चार सहकारी समितियों की याचिका खारिज

सहारा ग्रुप को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ से बड़ा झटका लगा है। कोर्ट ने सहारा की चार सहकारी समितियों की याचिका खारिज कर दी। इन समितियों ने ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) द्वारा धनशोधन निरोधक अधिनियम के तहत सहारा के खिलाफ चल रही जांच को चुनौती दी थी।

Sahara India Pariwar: इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने सहारा ग्रुप के खिलाफ एक बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने सहारा की चार सहकारी समितियों द्वारा दायर याचिकाओं को खारिज कर दिया और ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) की जांच को वैध ठहराया। यह फैसला सहारा समूह के लिए एक बड़ी कानूनी चुनौती बन गया है और अब ईडी की मनी लॉन्ड्रिंग जांच बिना किसी रोक के जारी रहेगी।

मामला क्या था?

सहारा ग्रुप की चार सहकारी समितियों हमारा इंडिया क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी लि., सहारा क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी लि., स्टार्स मल्टीपरपज कोऑपरेटिव सोसाइटी लि., और सहारा यूनिवर्सल मल्टीपरपज सोसाइटी लि. ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। इन समितियों ने ईडी की धन शोधन निरोधक अधिनियम (PMLA) के तहत चल रही जांच को चुनौती दी थी।

सहारा समितियों का दावा था कि ईडी की कार्रवाई गलत और लखनऊ पीठ के अधिकार क्षेत्र के बाहर है। इसके चलते उन्होंने अदालत से जांच रोकने की गुहार लगाई।

हाईकोर्ट का फैसला

न्यायमूर्ति सुभाष विद्यार्थी की एकल पीठ ने स्पष्ट किया कि ईडी की कार्रवाई पूरी तरह वैध और कानूनन सही है। कोर्ट ने कहा कि समितियों का मुख्यालय लखनऊ में है और महत्वपूर्ण दस्तावेज भी वहीं से जब्त किए गए थे। इसलिए लखनऊ पीठ को सुनवाई का पूरा अधिकार है। कोर्ट ने यह भी कहा कि फिलहाल PMLA के तहत चल रही कार्रवाई में दखल देने का कोई आधार नहीं है। याचिकाकर्ताओं की सभी दलीलों को अदालत ने खारिज कर दिया।

जुलाई 2024 में ईडी ने इन चार सहकारी समितियों पर छापा मारा था और कई दस्तावेज तथा महत्वपूर्ण सामग्री जब्त की थी। ईडी ने अदालत को बताया कि सहारा समूह की संस्थाओं के खिलाफ विभिन्न राज्यों में 502 एफआईआर दर्ज हैं। इस कार्रवाई का उद्देश्य समूह द्वारा किए गए मनी लॉन्ड्रिंग और अवैध वित्तीय लेन-देन की जांच करना है। कोर्ट ने ईडी की इस दलील को मान्यता दी और कहा कि जांच पूरी तरह वैध है।

सहारा ग्रुप के लिए कानूनी चुनौती

इस फैसले के साथ ही सहारा ग्रुप की कानूनी परेशानियां बढ़ गई हैं। अब ईडी की जांच बिना किसी रुकावट के जारी रहेगी। यह फैसला समूह के लिए वित्तीय और कानूनी दोनों स्तर पर गंभीर चुनौती मानी जा रही है। सहारा ग्रुप लंबे समय से प्रवर्तन निदेशालय और अदालतों के बीच कानूनी जंग लड़ रहा है। पिछले कई वर्षों से मनी लॉन्ड्रिंग और वित्तीय अनियमितताओं के मामलों में समूह के खिलाफ जांच चल रही है।

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