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ट्रम्प का दावा: इस साल के अंत तक भारत रूस से तेल आयात घटा सकता है, भारत ने किया खारिज

ट्रम्प का दावा: इस साल के अंत तक भारत रूस से तेल आयात घटा सकता है, भारत ने किया खारिज

अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया कि भारत इस साल के अंत तक रूस से तेल आयात लगभग 40% घटा देगा। भारत ने इसे खारिज करते हुए कहा कि अपनी ऊर्जा नीति और उपभोक्ताओं के हितों को प्राथमिकता दी जाएगी। ट्रंप ने भारत पर टैरिफ और रूस-चीन संबंधों पर भी टिप्पणी की।

Oil Deal: डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर बड़ा बयान देते हुए कहा कि इस साल के अंत तक भारत रूस से कच्चे तेल का आयात करीब 40% घटा देगा। यह टिप्पणी ऐसे समय में आई जब अमेरिका ने रूस की दो बड़ी ऑयल कंपनियों पर प्रतिबंध लगाए और मॉस्को से युद्धविराम की मांग की। भारतीय विदेश मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि भारत अपने राष्ट्रीय हितों के आधार पर तेल आयात का निर्णय लेता है और किसी बाहरी दबाव में नीति नहीं बदलेगा। ट्रंप ने कहा कि उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी से बातचीत की, साथ ही भारत पर 50% टैरिफ का जिक्र किया। इसके अलावा, उन्होंने रूस-चीन नजदीकियों और ऊर्जा नीति को लेकर भी टिप्पणी की।

ट्रंप ने क्या कहा

ट्रम्प ने कहा कि भारत ने उन्हें आश्वासन दिया है कि वह धीरे-धीरे रूसी तेल पर अपनी निर्भरता कम करेगा। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि तुरंत पूरी तरह से तेल का आयात बंद करना संभव नहीं है। उन्होंने जो जानकारी साझा की, उसके मुताबिक साल के अंत तक भारत का रूस से तेल आयात करीब 40 प्रतिशत रह जाएगा।

ट्रम्प ने आगे कहा कि उन्होंने भारत पर 50 प्रतिशत का टैरिफ लगाया है क्योंकि वह रूस से तेल खरीदना जारी रख रहा है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बातचीत का हवाला देते हुए कहा कि अगर भारत ने रूस से तेल का सौदा बंद करने की बात कही है, तो उसे भारी टैरिफ का सामना करना पड़ेगा।

ऊर्जा सुरक्षा पर भारत का निर्णय स्वतंत्र

भारतीय विदेश मंत्रालय ने ट्रंप के बयान को खारिज किया है। मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि भारत अपनी ऊर्जा सुरक्षा और उपभोक्ताओं के हितों को प्राथमिकता देता है और तेल आयात को लेकर किसी बाहरी दबाव में निर्णय नहीं लेता। मंत्रालय ने कहा कि भारत अब भी रूस से सस्ते कच्चे तेल की खरीद जारी रखे हुए है ताकि घरेलू पेट्रोल और डीजल की कीमतों को नियंत्रित किया जा सके।

विशेषज्ञों का मानना है कि भारत के लिए सस्ता और भरोसेमंद ऊर्जा स्रोत बेहद जरूरी है। ऐसे में देश अपनी राष्ट्रीय नीति के अनुसार ही तेल आयात का निर्णय लेता है।

ट्रंप की चीन पर टिप्पणी

ट्रम्प ने इस अवसर पर चीन को लेकर भी तीखी टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि अगर रूस और चीन के बीच नजदीकियां बढ़ती हैं, तो इसका जिम्मेदार वर्तमान प्रशासन है। ट्रंप ने बाइडेन और ओबामा सरकार की ऊर्जा नीतियों को इसका कारण बताया। उन्होंने यह भी कहा कि वह शी जिनपिंग से मुलाकात कर रूस-यूक्रेन संघर्ष के समाधान पर बातचीत करेंगे।

भारत-अमेरिका संबंधों पर असर

विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रंप का यह बयान भारत-अमेरिका संबंधों पर असर डाल सकता है। अमेरिका लगातार रूस पर आर्थिक दबाव बना रहा है और उसकी अर्थव्यवस्था को कमजोर करने के लिए कड़े कदम उठा रहा है। वहीं भारत अपनी ऊर्जा सुरक्षा और घरेलू बाजार की जरूरतों के लिए रूस से तेल खरीदना जारी रख रहा है।

विशेषज्ञों का कहना है कि आने वाले महीनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि भारत वास्तव में अपने तेल आयात में कमी करता है या अमेरिकी दबाव के बावजूद अपनी नीति पर कायम रहता है।

रूस से तेल आयात का महत्व

भारत के लिए रूस से तेल आयात बहुत अहम है। सस्ता कच्चा तेल घरेलू पेट्रोल और डीजल की कीमतों को नियंत्रित रखने में मदद करता है। यदि आयात में अचानक कटौती होती है, तो इसके असर से देश में ऊर्जा की कीमतों में बढ़ोतरी संभव है। इसके अलावा भारत के कई रिफाइनरियों ने रूस से तेल की खरीद के अनुबंध पहले ही कर रखे हैं।

इसलिए भारत के लिए रूस से तेल खरीदना न सिर्फ आर्थिक रूप से फायदेमंद है, बल्कि यह उसकी ऊर्जा सुरक्षा का भी हिस्सा है। वहीं अमेरिका की नीतियां अक्सर वैश्विक तेल बाजार पर असर डालती हैं, जिससे भारत को संतुलन बनाकर चलना पड़ता है।

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