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हलाल सर्टिफिकेशन विवाद: योगी सरकार ने किया बैन, कौन जारी करता हैं यह सर्टिफिकेट?

हलाल सर्टिफिकेशन विवाद: योगी सरकार ने किया बैन, कौन जारी करता हैं यह सर्टिफिकेट?

उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हलाल सर्टिफिकेशन को प्रतिबंधित कर दिया है। उन्होंने कहा कि हलाल सर्टिफिकेशन के नाम पर न केवल लोगों को गुमराह किया जा रहा था, बल्कि इसके जरिए बड़े पैमाने पर आर्थिक शोषण और गैरकानूनी फंडिंग भी हो रही थी।

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में हलाल सर्टिफिकेशन को लेकर राजनीतिक तूफान खड़ा हो गया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हाल ही में हलाल सर्टिफिकेशन पर सख्त कदम उठाते हुए इसे पूरे राज्य में प्रतिबंधित कर दिया। उनके इस फैसले ने विपक्ष और कुछ धार्मिक संगठनों में विवाद और बहस को जन्म दिया है।सीएम योगी का कहना है कि हलाल सर्टिफिकेशन के नाम पर लोगों को गुमराह किया जा रहा था, साथ ही बड़े पैमाने पर आर्थिक शोषण और गैरकानूनी फंडिंग की जा रही थी। 

उन्होंने दावा किया कि जांच में सामने आया कि हलाल सर्टिफिकेशन के माध्यम से सालाना लगभग 25,000 करोड़ रुपये का लेन-देन हो रहा था, जबकि इसका किसी सरकारी एजेंसी से कोई मान्यता नहीं थी।

विपक्ष की प्रतिक्रिया

विपक्षी दलों ने योगी सरकार के इस फैसले पर सवाल उठाए हैं। कांग्रेस प्रवक्ता सुरेंद्र राजपूत ने कहा कि अगर हलाल सर्टिफिकेशन गलत है तो इसे पूरे देश में क्यों नहीं बैन किया गया। सपा नेता सुनील साजन ने आरोप लगाया कि सरकार धर्म के नाम पर समाज को बांटने की कोशिश कर रही है। वहीं, VHP प्रवक्ता विनोद बंसल ने सरकार के निर्णय का समर्थन किया और कहा कि हलाल के नाम पर एंटी-नेशनल गतिविधियों को बढ़ावा मिल रहा था।

मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने स्वीकार किया कि हलाल सर्टिफिकेशन का शरीयत में कोई विशेष दर्जा नहीं है, जबकि मौलाना साजिद रशीदी ने योगी के बयान को संविधान विरोधी बताया। इस प्रकार हलाल सर्टिफिकेशन अब केवल धार्मिक या खाद्य प्रमाणपत्र का मामला नहीं रहा, बल्कि राजनीतिक और सुरक्षा संदर्भ में भी चर्चा का विषय बन गया है।

हलाल सर्टिफिकेशन क्या है?

हलाल शब्द अरबी भाषा का है और इसका अर्थ होता है वैध या अनुमति प्राप्त। आमतौर पर इसे खाने-पीने की वस्तुओं पर प्रयोग किया जाता है। हलाल सर्टिफिकेशन यह सुनिश्चित करता है कि किसी उत्पाद में इस्लाम में हराम मानी जाने वाली चीजें शामिल नहीं हैं। यह सर्टिफिकेट न केवल मांसाहारी (नॉन-वेज) बल्कि शाकाहारी (वेज) उत्पादों के लिए भी जारी किया जाता है।

भारत में सरकारी तंत्र द्वारा हलाल सर्टिफिकेट जारी नहीं किया जाता। भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (FSSAI) केवल खाद्य सुरक्षा के मानक तय करता है, लेकिन हलाल सर्टिफिकेशन नहीं करता। देश में कुछ निजी संस्थाएं जैसे:

  • हलाल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड
  • जमीयत उलेमा-ए-हिंद हलाल ट्रस्ट

यह सर्टिफिकेट जारी करती हैं। कंपनियां अपने उत्पाद को हलाल प्रमाणित करवाने के लिए इन संस्थाओं से आवेदन करती हैं, जिसके बाद उत्पाद की जांच के बाद सर्टिफिकेट मिलता है। हालांकि, इस प्रक्रिया को लेकर विवाद भी उठे हैं। आरोप है कि कई कंपनियां बिना जांच के पैसे देकर सर्टिफिकेट हासिल कर लेती हैं, जिससे उपभोक्ताओं को गुमराह किया जाता है।

सीएम योगी ने बताया कि बलरामपुर में मतांतरण और फंडिंग में शामिल छांगुर नामक व्यक्ति ने विदेशों से फंड प्राप्त करने के साथ-साथ हलाल सर्टिफिकेशन के पैसे का उपयोग अनैतिक गतिविधियों में किया। उन्होंने कहा कि साबुन, कपड़े और माचिस तक को हलाल प्रमाणित बताया जा रहा था, जो उपभोक्ताओं को गुमराह कर रहा था।

 

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