कुछ महिलाओं में बार-बार मिसकैरेज होने के कई कारण हो सकते हैं, जैसे हार्मोन असंतुलन, गुणसूत्र दोष या रिप्रोडक्टिव ट्रैक इंफेक्शन। डॉ. सलोनी चड्ढा के अनुसार, गर्भपात की पहली तिमाही में लगभग 50% मामलों में क्रोमोसोम असामान्यता जिम्मेदार होती है। बचाव के लिए प्रेग्नेंसी से पहले जांच, पौष्टिक आहार और जीवनशैली में सुधार जरूरी है।
Miscarriages: दिल्ली के आरएमएल हॉस्पिटल की डॉ. सलोनी चड्ढा के अनुसार, बार-बार मिसकैरेज होने के पीछे हार्मोन असंतुलन, गुणसूत्र दोष और यूरिनरी या रिप्रोडक्टिव ट्रैक इंफेक्शन जैसे कारण हो सकते हैं। गर्भावस्था की पहली तिमाही में करीब 50% गर्भपात क्रोमोसोम असामान्यताओं के कारण होते हैं। मिसकैरेज के आम लक्षणों में ब्लीडिंग, पेट और कमर में दर्द शामिल हैं। बचाव के लिए प्रेग्नेंसी से पहले पूरी स्वास्थ्य जांच कराना, फोलिक एसिड व विटामिन D लेना और धूम्रपान व शराब से बचना जरूरी है।
मिसकैरेज के आम कारण
दिल्ली के आरएमएल हॉस्पिटल की महिला रोग विशेषज्ञ डॉ. सलोनी चड्ढा के अनुसार, मिसकैरेज के कई कारण हो सकते हैं। हार्मोनल असंतुलन जैसे प्रोजेस्टेरोन या इंसुलिन की कमी कई बार गर्भपात का कारण बनती है। इसके अलावा, महिला या पुरुष के क्रोमोसोम में दोष होने पर भ्रूण का विकास ठीक से नहीं हो पाता और गर्भपात हो जाता है।
यूरिनरी ट्रैक या रिप्रोडक्टिव ट्रैक में होने वाले संक्रमण भी गर्भपात का जोखिम बढ़ाते हैं। कई बार महिला को पता भी नहीं चलता कि गर्भपात हो रहा है। इस स्थिति में विशेष लक्षण दिखाई देते हैं, जिन पर ध्यान देना जरूरी होता है।
क्रोमोसोम की असामान्यताएँ
गर्भावस्था की पहली तिमाही में होने वाले लगभग 50 प्रतिशत गर्भपात का मुख्य कारण क्रोमोसोम की असामान्यताएँ होती हैं। क्रोमोसोम शरीर की कोशिकाओं में मौजूद संरचनाएँ होती हैं जो जीन को धारण करती हैं। अगर जीन में किसी तरह की असामान्यता होती है, तो भ्रूण का विकास बाधित हो सकता है।
डॉ. सलोनी बताती हैं कि 20 की उम्र के आसपास महिलाओं में गर्भपात का जोखिम 12 से 15 प्रतिशत तक होता है। 40 वर्ष की उम्र तक यह जोखिम लगभग 25 प्रतिशत तक बढ़ जाता है। पहले से मिसकैरेज का अनुभव रखने वाली महिलाओं में दोबारा गर्भपात होने की संभावना भी लगभग 25 प्रतिशत होती है।
मिसकैरेज के लक्षण
मिसकैरेज के दौरान कई महिलाओं में कुछ सामान्य लक्षण दिखाई देते हैं। इनमें हल्की से गंभीर ब्लीडिंग, पेट में ऐंठन और दर्द, कमर में दर्द, और खून के छोटे थक्के शामिल हैं। अगर इन लक्षणों में से कोई दिखाई दे, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
बचाव के तरीके
डॉ. सलोनी के अनुसार, मिसकैरेज से बचाव के लिए कई उपाय किए जा सकते हैं। प्रेगनेंसी से पहले महिलाओं को शरीर की पूरी जांच करानी चाहिए। इसमें थायरॉयड, शुगर, हार्मोन और संक्रमण के टेस्ट शामिल हैं।
साथ ही, फोलिक एसिड, आयरन और विटामिन D की पर्याप्त मात्रा लेना भी आवश्यक है। इसके अलावा, मानसिक तनाव को कम करना, धूम्रपान, शराब और कैफीन से पूरी तरह बचना चाहिए।
जीवनशैली और स्वास्थ्य का महत्व
विशेषज्ञों का कहना है कि गर्भधारण से पहले जीवनशैली में सुधार करना बहुत जरूरी है। संतुलित आहार, नियमित व्यायाम और पर्याप्त नींद शरीर को स्वस्थ बनाए रखते हैं। तनावमुक्त जीवन और मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान देने से भी गर्भपात का जोखिम कम हो सकता है।
डॉक्टर से सलाह लेना जरूरी
अगर किसी महिला को लगातार मिसकैरेज की समस्या हो रही है, तो विशेषज्ञ जांच करवा कर सही कारण का पता लगाना आवश्यक है। इससे ना केवल भविष्य की गर्भधारण को सुरक्षित बनाया जा सकता है, बल्कि महिला के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर भी ध्यान रखा जा सकता है।