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उम्र 35 के बाद ये 4 हेल्थ टेस्ट बन सकते हैं आपके लिए लाइफसेवर

उम्र 35 के बाद ये 4 हेल्थ टेस्ट बन सकते हैं आपके लिए लाइफसेवर

35 साल से ज्यादा उम्र के लोगों को नियमित स्वास्थ्य जांच बेहद जरूरी है। शुरुआती कैंसर का पता लगाने के लिए कोलोनोस्कोपी, मैमोग्राम, पैप स्मीयर/एचपीवी और पीएसए टेस्ट जैसे स्टैंडर्ड स्क्रीनिंग के साथ गैलेरी टेस्ट, जेनेटिक टेस्ट और फुल बॉडी एमआरआई महत्वपूर्ण हैं। समय पर जांच से इलाज आसान और असरदार हो सकता है।

Screening Test: विशेषज्ञों का कहना है कि 35 साल से अधिक उम्र के पुरुष और महिलाएं अपनी सेहत की नियमित जांच कराएं, ताकि कैंसर जैसी गंभीर बीमारी का पता शुरुआती अवस्था में लगाया जा सके। इसके लिए कोलोनोस्कोपी, मैमोग्राम, पैप स्मीयर/एचपीवी और पीएसए टेस्ट जैसी स्टैंडर्ड स्क्रीनिंग जरूरी हैं। साथ ही गैलेरी टेस्ट, जेनेटिक टेस्ट और पूरे शरीर का एमआरआई कराकर लक्षण न दिखने पर भी शुरुआती असामान्यताओं और ट्यूमर का पता लगाया जा सकता है। यह समय पर पहचान इलाज की संभावना बढ़ाता है।

स्टैंडर्ड स्क्रीनिंग टेस्ट

कैंसर की रोकथाम में नियमित स्क्रीनिंग टेस्ट बेहद जरूरी माने जाते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार इन टेस्टों की मान्यता दुनिया भर में है। इनमें पहला टेस्ट कोलोनोस्कोपी है। यह बड़ी आंत के कैंसर का पता लगाने में मदद करता है और कैंसर बनने से पहले की असामान्य ग्रोथ को भी पहचान लेता है। 45 साल की उम्र के बाद इसे हर 10 साल में दोहराने की सलाह दी जाती है।

दूसरा टेस्ट मैमोग्राम है। 40 साल से अधिक उम्र की महिलाओं को हर 1 से 2 साल में एक बार यह जांच करानी चाहिए। यह स्तन कैंसर का शुरुआती स्तर पर पता लगाने में मदद करता है। तीसरा टेस्ट पैप स्मीयर या एचपीवी टेस्ट है। 21 साल से ऊपर की महिलाओं को गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर की जांच के लिए यह टेस्ट कराना चाहिए। इसके अलावा पुरुषों के लिए पीएसए टेस्ट प्रोस्टेट कैंसर के शुरुआती संकेत देने में मदद करता है।

गैलेरी टेस्ट

गैलेरी टेस्ट आधुनिक तकनीक का एक ऐसा तरीका है जो एक ही रक्त सैंपल से 50 से अधिक प्रकार के कैंसर की शुरुआती जानकारी दे सकता है। यह खून में मौजूद डीएनए के बदलाव को जांचता है और कैंसर की मौजूदगी का संकेत देता है। हालांकि यह टेस्ट अकेले पूरी पुष्टि नहीं करता, लेकिन संकेत मिलने पर डॉक्टर आगे की जांच करवा सकते हैं। 35 साल से अधिक उम्र के लोग या जिनके परिवार में कैंसर का इतिहास है, वे हर साल यह टेस्ट करवा सकते हैं।

जेनेटिक टेस्ट

कैंसर केवल लाइफस्टाइल से नहीं बल्कि जेनेटिक कारणों से भी हो सकता है। अगर परिवार में किसी को कम उम्र में कैंसर हुआ है, तो अन्य सदस्यों में इसका खतरा बढ़ सकता है। ऐसे में जेनेटिक टेस्टिंग बहुत मददगार साबित होती है। यह BRCA1, BRCA2, CHEK2 और Lynch Syndrome जैसे जीन म्यूटेशन की पहचान करता है। इन जीन में बदलाव पाए जाने पर डॉक्टर पहले से निगरानी रख सकते हैं, समय पर स्कैनिंग करवा सकते हैं और रोकथाम सुनिश्चित कर सकते हैं।

फुल बॉडी एमआरआई

फुल बॉडी एमआरआई आधुनिक तकनीक से किया जाने वाला स्कैन है जो शरीर के अंदर झांकने का मौका देता है। यह कई अंगों में छिपी हुई असामान्यताओं और शुरुआती ट्यूमर का पता लगा सकता है, वह भी तब जब लक्षण दिखाई नहीं दे रहे होते। यदि इसे गैलेरी टेस्ट और जेनेटिक टेस्टिंग के साथ मिलाया जाए तो इसका असर और भी बढ़ जाता है। विशेषज्ञ बताते हैं कि हर छोटी असामान्यता चिंता का कारण नहीं होती, इसलिए एमआरआई के नतीजों को विशेषज्ञ की सलाह के साथ समझना जरूरी है।

क्यों जरूरी है नियमित जांच

35 साल की उम्र के बाद शरीर में उम्र संबंधी बदलाव आने लगते हैं। खानपान, लाइफस्टाइल और बैठने की आदतों के कारण कई बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। कैंसर की शुरुआती पहचान होने पर इलाज आसान और प्रभावी होता है। विशेषज्ञों का कहना है कि रोकथाम और शुरुआती पहचान इलाज से भी अधिक महत्वपूर्ण है। नियमित जांच से न सिर्फ कैंसर बल्कि अन्य गंभीर बीमारियों की जानकारी भी समय पर मिलती है।

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