पीएम मोदी ने अमेरिका के दबाव के बावजूद रूस से तेल खरीद बढ़ाई और 10,000 करोड़ रुपये की एस-400 मिसाइल डील की। यह कदम भारत की ऊर्जा सुरक्षा, रक्षा क्षमता और वैश्विक राजनीति में भूमिका को मजबूत करता है।
World News: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बार फिर अपनी चालाकी से दुनिया को आश्चर्यचकित कर दिया। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत को चेतावनी दी थी कि वह रूस से तेल की खरीद बंद करे। ट्रंप ने कहा कि उन्होंने पीएम मोदी से बातचीत की और भारत रूस से तेल खरीदना कम करेगा। लेकिन पांच दिन बाद ट्रंप ने खुद अपने बयान से पलटकर कहा कि भारत ने रूस से तेल खरीदने का निर्णय लिया है। इस चुप्पी और रणनीति ने पूरी दुनिया को दंग कर दिया।
भारत ने रूस से तेल खरीद में किया इजाफा
ऊर्जा क्षेत्र की प्रमुख एजेंसी के अनुसार, अक्टूबर में भारत ने रूस से तेल की खरीद में प्रतिदिन 2.5 लाख बैरल की वृद्धि की। अब भारत रोजाना 1.8 मिलियन बैरल तेल रूस से खरीद रहा है। यह कदम भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए वरदान साबित हुआ क्योंकि सस्ता तेल आने से ऊर्जा सुरक्षा (energy security) मजबूत हुई और उद्योगों को लाभ मिला। पश्चिमी देशों के लिए यह चौंकाने वाला था कि भारत ने अपनी राष्ट्रीय आवश्यकताओं (national needs) के हिसाब से स्वतंत्र निर्णय लिया।

एस-400 मिसाइल डील से बढ़ी रक्षा क्षमता
तेल की खरीद केवल शुरुआत थी। असली रणनीति तब सामने आई जब भारत ने रूस से 10,000 करोड़ रुपये की एस-400 एयर डिफेंस सिस्टम मिसाइल डील की तैयारी शुरू की। यह निर्णय राष्ट्रीय सुरक्षा (national security) को मजबूत करने और सीमा पर संतुलन बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है। पाकिस्तान की सीमा पर हुई खतरनाक ड्रोन गतिविधियों के बाद भारत ने अपनी रक्षा प्रणाली को और सशक्त बनाने का निर्णय लिया।
रक्षा मंत्रालय की नई परियोजनाएं
रक्षा मंत्रालय ने कई सैन्य आधुनिकीकरण परियोजनाओं की मंजूरी दी है। इसमें उभयचर युद्धक जहाज, सशस्त्र ड्रोन, रूस के एस-400 एयर डिफेंस सिस्टम और स्वदेशी नाग एंटी टैंक मिसाइल प्रणाली शामिल हैं। इन परियोजनाओं की कुल लागत लगभग 79,000 करोड़ रुपये है। एस-400 ट्रायम्फ प्रणाली के लिए 10,000 करोड़ रुपये से अधिक की लागत वाली परियोजना में 120, 200, 250 और 380 किलोमीटर की मारक क्षमता वाली सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलों का अधिग्रहण शामिल है। यह परियोजना भारतीय सीमा सुरक्षा (border security) को और मजबूत करेगी।
राष्ट्रीय सुरक्षा की रणनीति में बदलाव
इन मिसाइलों और परियोजनाओं से भारत की वायु सुरक्षा और सीमा पर किसी भी शत्रुता का जवाब देने की क्षमता बढ़ेगी। यह कदम दिखाता है कि भारत अपनी सुरक्षा और संप्रभुता (sovereignty) के लिए किसी बाहरी दबाव को स्वीकार नहीं करेगा। एस-400 मिसाइल ऑर्डर केवल उपकरण खरीद तक सीमित नहीं है, बल्कि इनके भंडार का निर्माण भी शामिल है। यह रणनीति मई में पाकिस्तान के साथ सीमा पार की घटनाओं को ध्यान में रखते हुए बनाई गई है।













