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पाकिस्तान पर जयशंकर का प्रहार, बोले- आतंकी बचाने वालों से गिर रही विश्वसनीयता

पाकिस्तान पर जयशंकर का प्रहार, बोले- आतंकी बचाने वालों से गिर रही विश्वसनीयता

विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने UN में आतंकवाद पर वैश्विक दोहरे रवैये पर सवाल उठाते हुए पाकिस्तान पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि आतंकवाद के बचाव से बहुपक्षवाद (multilateralism) और वैश्विक शांति (global peace) की नींव कमजोर हो रही है।

New Delhi: संयुक्त राष्ट्र (UN) की 80वीं वर्षगांठ के अवसर पर भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने वैश्विक मंच से आतंकवाद और बहुपक्षवाद (multilateralism) पर गंभीर टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि सुरक्षा परिषद का एक सदस्य आतंकी संगठनों का समर्थन कर रहा है, जिससे बहुपक्षीय व्यवस्था की विश्वसनीयता पर प्रश्न उठते हैं। जयशंकर ने आतंकवाद के प्रति संयुक्त राष्ट्र की धीमी प्रतिक्रिया पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि इससे वैश्विक संस्थाओं की निष्पक्षता पर भी सवाल खड़ा होता है।

संयुक्त राष्ट्र की 80वीं वर्षगांठ पर भारत का संदेश

जयशंकर ने कहा कि दुनिया जब आतंकवाद, संघर्ष और असमानता जैसी चुनौतियों से जूझ रही है, तब संयुक्त राष्ट्र का दायित्व और बढ़ जाता है। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर अंतर्राष्ट्रीय संस्थाएं आतंकवादियों को जवाबदेह ठहराने में विफल रहती हैं, तो लोगों का भरोसा इन संस्थाओं से उठ जाएगा।

पाकिस्तान पर सीधा कटाक्ष

विदेश मंत्री ने कहा कि सुरक्षा परिषद का एक वर्तमान सदस्य देश उस संगठन का समर्थन कर रहा है जिसने 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले जैसी घटनाओं की जिम्मेदारी ली। यह रवैया न केवल आतंकवाद के शिकारों के साथ अन्याय है, बल्कि वैश्विक शांति (global peace) और न्याय के सिद्धांतों का भी अपमान है।

जयशंकर ने वैश्विक समुदाय पर सवाल उठाया कि अगर आतंकवाद के पीड़ित और अपराधी एक समान माने जाएं, तो न्याय और मानवीय मूल्यों का क्या होगा। उन्होंने कहा कि जब आतंकवादियों को प्रतिबंध प्रक्रिया से बचाया जाता है, तो इसमें शामिल देशों और संस्थाओं की ईमानदारी पर प्रश्न उठते हैं।

पहलगाम हमला और भारत की जवाबी कार्रवाई

विदेश मंत्री की टिप्पणी सीधे 22 अप्रैल को हुए पहलगाम हमले से जुड़ी है, जिसमें पाकिस्तान समर्थित आतंकियों ने 25 भारतीय और एक नेपाली नागरिक की हत्या की। इसके जवाब में भारत ने 7 मई को “ऑपरेशन सिंदूर” शुरू किया। इस अभियान में भारतीय सशस्त्र बलों ने पाकिस्तान और पीओके में जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा के ठिकानों को निशाना बनाया और पाकिस्तान की बढ़ती आक्रामकता को सफलतापूर्वक विफल किया।

संयुक्त राष्ट्र की घटती विश्वसनीयता

जयशंकर ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र की विश्वसनीयता अब सिर्फ सुरक्षा के मामलों में नहीं, बल्कि विकास (development) और सामाजिक प्रगति (social progress) में भी परखी जा रही है। अगर अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा केवल औपचारिकता बनकर रह गई, तो यह मानवता के लिए बड़ा खतरा है।

विदेश मंत्री ने कहा कि वर्तमान वैश्विक व्यवस्था में ग्लोबल साउथ (Global South) के देशों की आवाज अनसुनी की जा रही है। उन्होंने बताया कि जो देश आतंकवाद को बढ़ावा देते हैं, वही अन्य देशों को नैतिकता का पाठ पढ़ाने लगते हैं। यह रवैया बहुपक्षीय प्रणाली (multilateral system) को कमजोर करता है और न्यायपूर्ण विश्व व्यवस्था के मार्ग में बाधा डालता है।

अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं की जवाबदेही पर सवाल

जयशंकर ने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं की जिम्मेदारी सिर्फ शांति बनाए रखना नहीं, बल्कि अपराधियों को जवाबदेह ठहराना भी है। लेकिन आज ये संस्थाएं अपने चार्टर की भावना से भटक गई हैं। जब आतंकवादियों को प्रतिबंध सूची में डालने से रोका जाता है या राजनीतिक कारणों से बचाया जाता है, तो संयुक्त राष्ट्र की नींव कमजोर होती है।

बहुपक्षवाद (Multilateralism) के सिद्धांत पर संकट

जयशंकर ने कहा कि बहुपक्षवाद का मूल उद्देश्य दुनिया को समान अवसर और समान सुरक्षा देना था। लेकिन कुछ शक्तिशाली देशों के हित इस सिद्धांत पर हावी हो गए हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) का सुधार नहीं करेगा, तो यह संस्था अपने ही सिद्धांतों के विपरीत खड़ी दिखाई देगी।

विदेश मंत्री ने कहा कि भारत हमेशा से वैश्विक शांति और विकास का पक्षधर रहा है। भारत ने आतंकवाद के खिलाफ न केवल अपनी सीमाओं की रक्षा की बल्कि यह भी दिखाया कि निर्णायक कार्रवाई कैसे की जाती है। जयशंकर ने दोहराया कि भारत आतंकवाद के किसी भी रूप और औचित्य को अस्वीकार करता है।

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