RBI ने न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक पर 6 महीने का प्रतिबंध लगाया, जिससे ग्राहक पैसा नहीं निकाल सकेंगे। बैंक पर अनियमितताओं के आरोप हैं, हालांकि 5 लाख तक की जमा सुरक्षित है।
RBI Ban on New India Co-operative Bank: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने मुंबई स्थित न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक के कामकाज पर प्रतिबंध लगाने का फैसला लिया है। इस फैसले के बाद 14 फरवरी, 2025 को बैंक के बाहर ग्राहकों की लंबी कतारें देखी गईं। बैंक पर प्रतिबंध लगाने का कारण इसमें पाई गई भारी वित्तीय अनियमितताएं बताई जा रही हैं।
बैंकिंग सेवाओं पर लगे प्रतिबंध
RBI द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों के तहत बैंक अब कोई भी नया लोन नहीं दे सकेगा और ना ही डिपॉजिटर्स अपने पैसे निकाल पाएंगे। यह फैसला बैंकिंग नियामक मानदंडों के उल्लंघन और बैंक की बिगड़ती वित्तीय स्थिति को देखते हुए लिया गया है।
ग्राहकों को अपनी जमा राशि की चिंता
बैंक के ग्राहकों में इस फैसले को लेकर भारी चिंता और असंतोष देखा गया। सीमा वाघमारे नामक एक ग्राहक ने बताया, "हमने 13 फरवरी को ही बैंक में पैसा जमा किया था, लेकिन हमें कोई पूर्व सूचना नहीं दी गई। अब हमें बताया जा रहा है कि तीन महीने के भीतर पैसा वापस मिलेगा। हमें ईएमआई भरनी है, पता नहीं कैसे सब होगा।"
बैंक ने दी सफाई, पैसे सुरक्षित होने का दावा
बैंक प्रशासन ने एक नोटिस जारी कर ग्राहकों को आश्वस्त करने की कोशिश की। कार्यवाहक सीईओ द्वारा जारी बयान में कहा गया कि बैंक डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन (DICGC) के तहत 5 लाख रुपये तक की जमा राशि को सुरक्षित रखेगा। बैंक ने ग्राहकों से 90 दिनों तक धैर्य रखने की अपील की।
लगातार घाटे में चल रहा था बैंक
बैंक द्वारा जारी नोटिस में बताया गया कि पिछले दो वित्तीय वर्षों से बैंक घाटे में चल रहा था। वित्त वर्ष 2023 में बैंक को 31 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था, जबकि वित्त वर्ष 2024 में यह घाटा घटकर 23 करोड़ रुपये पर आ गया था।
छह महीने के लिए लागू रहेगा प्रतिबंध
RBI ने बैंक पर यह प्रतिबंध अगले छह महीनों के लिए लगाया है। इस दौरान बैंक के हालातों की समीक्षा की जाएगी और भविष्य में आगे की रणनीति तय की जाएगी।RBI के सर्कुलर के अनुसार, 13 फरवरी, 2025 को कारोबार बंद होने के बाद से बैंक कोई भी नया लोन नहीं दे सकेगा, न ही निवेश कर सकेगा और न ही कोई नई देनदारी स्वीकार करेगा।
जमाकर्ताओं के हितों की सुरक्षा पर जोर
RBI ने स्पष्ट किया कि इस फैसले का मकसद सुपरवाइजरी चिंताओं को दूर करना और जमाकर्ताओं के हितों की रक्षा करना है। जिन ग्राहकों के खाते में 5 लाख रुपये तक की जमा राशि है, वे DICGC से अपनी राशि क्लेम कर सकते हैं।