Teacher’s Day: ये थे विश्व के 4 महान गुरु, जिसने अपने ज्ञान से शिष्य को बना दिया महान, जानें खास बातें

Teacher’s Day: ये थे विश्व के 4 महान गुरु, जिसने अपने ज्ञान से शिष्य को बना दिया महान, जानें खास बातें
Last Updated: 05 सितंबर 2024

जीवन में गुरु का स्थान अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। गुरु ही हमें सही जीवन जीने के तरीके का ज्ञान देता है और हमें बाहरी दुनिया में सफल बनने के लिए तैयार करता है। इस विशेष अवसर पर, हम आपको हिंदू ग्रंथों में वर्णित कुछ ऐसे शिक्षकों के बारे में बताएंगे, जिनसे महान महारथियों ने शिक्षा ग्रहण की थी।

New Delhi: हर साल 05 सितंबर को भारत में शिक्षक दिवस मनाया जाता है, जो विशेष रूप से डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिन को समर्पित है। भारतीय गुरु-शिष्य परंपरा का इतिहास बहुत गहरा है। यह स्पष्ट है कि रामायण से लेकर महाभारत तक, अनेक प्रभावशाली और शक्तिशाली गुरुजनों का उल्लेख देखने को मिलता है। आइए, हम इन महान व्यक्तियों के बारे में और अधिक जानने का प्रयास करें।

परशुराम

परशुराम जी का जन्म त्रेता युग में ऋषि जमदग्नि के पुत्र के रूप में हुआ था। वे भगवान विष्णु के छठे अवतार माने जाते हैं, जिन्होंने युद्ध की कला का ज्ञान स्वयं महादेव से प्राप्त किया था। परशुराम जी का उल्लेख रामायण से लेकर महाभारत तक कई ग्रंथों में किया गया है। इन्हें उन चिरंजीवियों में भी गिना जाता है जिन्हें अमरता का वरदान प्राप्त है। परशुराम जी ने कई महान योद्धाओं को शिक्षा दी, जिनमें द्रोणाचार्य, सूर्यपुत्र कर्ण और भीष्म पितामह जैसे नाम शामिल हैं।

देवताओं के गुरु

देवगुरु बृहस्पति केवल ज्योतिष के लिहाज से ही महत्वपूर्ण नहीं हैं, बल्कि इन्हें सभी देवी-देवताओं का गुरु भी माना जाता है। पुराणों में बृहस्पति को महर्षि अंगिरा का पुत्र बताया गया है। इन्हें सत्य का प्रतीक और बुद्धि तथा वाक् शक्ति का स्वामी माना जाता है। कहा जाता है कि बृहस्पति रक्षोघ्र मंत्रों का उपयोग करके दैत्यों से देवताओं की रक्षा करते हैं।

महर्षि वेदव्यास

वेदव्यास को मुख्यतः महाभारत के रचनाकार के रूप में जाना जाता है। हिंदू धर्म में गुरु पूर्णिमा का विशेष महत्व है, जिसे उनके जन्मदिवस के अवसर पर मनाया जाता है। महर्षि वेदव्यास के पिता का नाम ऋषि पराशर और माता का नाम सत्यवती था। उन्हें भगवान विष्णु के अवतार के साथ-साथ सात चिरंजीवियों में से एक माना जाता है। महर्षि वेदव्यास ने ऋषि जैमिन, वैशम्पायन, मुनि सुमन्तु, रोमहर्षण आदि को शिक्षा प्रदान की थी।

आदि गुरु शंकराचार्य

आदि शंकराचार्य एक महान दार्शनिक माने जाते हैं, जिन्हें हिन्दुओं का धर्म गुरु कहा जाता है। उनका जन्म आठवीं सदी में केरल के कालड़ी गांव में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। मात्र सात साल की आयु में उन्होंने वेदों में गहरी विद्या हासिल कर ली थी। शंकराचार्य को चार पवित्र धामों की स्थापना का श्रेय भी प्राप्त है। कई मान्यताओं के अनुसार, उन्हें भगवान शिव का अवतार माना जाता है। इसके अलावा, आदि शंकराचार्य ने प्राचीन भारतीय उपनिषदों के सिद्धांतों और हिन्दू संस्कृति को पुनर्जीवित करने का महत्वपूर्ण कार्य भी किया।

 

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