बिहार के गांव के लोगों का कहना है कि 12 घंटे के संपूर्ण लॉकडाउन के दौरान लोग गांव छोड़कर जंगल में चले जाते हैं। ऐसे में जो लोग बीमार से पीड़ित होते हैं, उन्हें भी जंगल में लाया जाता है।
Bihar News: बिहार के बगहा में एक ऐसा गांव स्थित है, जहां के सभी ग्रामीण 12 घंटे के लिए वनवास पर रहते हैं। बताया जा रहा है कि उस गांव में एक दिन के लिए संपूर्ण लॉकडाउन लग जाता है। यहां के लोग एक दिन के लिए गांव छोड़कर स्वयं जंगल में चले जाते हैं। इस दौरान बताया गया कि सभी लोग भगवान को प्रसन्न करने के लिए जंगल में भोजन बनाते हैं और वहीं, पूजा-पाठ करते हैं।
वैसाख नवमी के दिन 12 घंटे का वनवास
दरअसल, पूरी कहानी बगहा के नौरंगिया गांव की बताई गई है। यहां के निवासी एक अनोखी परंपरा का पालन करते आ रहें हैं। इस गांव के लोग हर साल बैसाख माह की नवमी के दिन 12 घंटे के लिए अपना घर-बार छोड़कर वनवास पर चले जाते हैं। बताया जा रहा है कि इस परंपरा को गांव के लोग सदियों से निभाते आ रहे हैं और यह परंपरा इस गांव में आज भी निभाई जा रही है। वहां की मान्यता है कि ऐसा करने से उन्हें देवी के प्रकोप से राहत मिलती है।
क्यों निभाई जाती है ये परंपरा
वहीं, स्थानीय लोगों ने subkuz.com टीम को बताया कि इस गांव के लोग कई साल पहले प्राकृतिक आपदाओं और महामारी से पीड़ित हो गए थे। इतना ही नहीं उन पर हैजा और चेचक का भी प्रकोप था। उस समय कई बार गांव में जगह-जगह आग लग चुकी थी। इसी दौरान बताया कि एक बाबा परमहंस साधु को देवी मां का स्वप्न आया, जिसमें देवी ने उनसे पूरे गांव वालों को वनवास ले जाने को कहा। तब से यह ग्रामीणों द्वारा प्रथा हर साल निभाई जाती है।
जंगल में करते हैं पूजा
इस गांव के लोगों में बुजुर्ग ही नहीं बल्कि युवा पीढ़ी भी इस मान्यता को निभाती है। सभी लोग नवमी के दिन अपना घर छोड़कर पूरा दिन (12 घंटे) वाल्मीकि टाइगर रिजर्व स्थित भजनी कुट्टी के जंगलों में रहते हैं। स्थानीय लोगों ने मिडिया को आगे बताया कि ऐसी मान्यता है कि इस दिन देवी मां गांव में पहुंचती हैं। यहां के लोग सूर्यास्त के बाद ही गांव अपने घर जाते हैं। इसके बाद मंदिर के नजदीक से जल लेकर घरों पर छिड़का जाता है। फिर सभी अपनी दिनचर्या की शुरुआत करते हैं।