होली 2025: देशभर में कैसे मनाई जाती है यह रंगीन परंपरा?

होली 2025: देशभर में कैसे मनाई जाती है यह रंगीन परंपरा?
अंतिम अपडेट: 1 घंटा पहले

होली सिर्फ रंगों का त्योहार नहीं, बल्कि भारत की विविधता और सांस्कृतिक समृद्धि का प्रतीक भी है। यह पर्व पूरे देश में अलग-अलग रूपों में मनाया जाता है, जिसमें हर क्षेत्र की अपनी अनोखी परंपराएँ और उत्सव के तरीके होते हैं। होली 2025 की तैयारियाँ ज़ोरों पर हैं, और इस बार भी देश के अलग-अलग हिस्सों में होली अपने विशेष अंदाज में मनाई जाएगी। आइए जानते हैं कि भारत के विभिन्न राज्यों में यह रंगों का उत्सव कैसे मनाया जाता है।

1. ब्रज की लट्ठमार होली – जब महिलाएँ बरसाती हैं प्रेम की लाठियाँ स्थान: बरसाना और नंदगांव, उत्तर प्रदेश 

मथुरा और वृंदावन की होली विश्व प्रसिद्ध है, लेकिन इसमें भी सबसे अनोखी होती है लट्ठमार होली। यह परंपरा भगवान श्रीकृष्ण और राधा की लीलाओं से जुड़ी हुई है। बरसाना में महिलाएँ लाठियों से पुरुषों को मारती हैं, और पुरुष खुद को बचाने की कोशिश करते हैं। यह नज़ारा देखने के लिए देश-विदेश से हजारों लोग जुटते हैं।

लट्ठमार होली की खास बातें:

- महिलाएँ पुरुषों पर लाठियाँ बरसाती हैं, जिसे पुरुष ढाल लेकर रोकने की कोशिश करते हैं।
- श्रीकृष्ण और राधा की प्रेम कथा को नाटकीय रूप में प्रस्तुत किया जाता है।
- इस दौरान गुलाल और रंगों की बौछार के साथ भजन-कीर्तन होते हैं। 

2. मथुरा-वृंदावन की फूलों की होली – भक्ति और रंगों का संगम स्थान: बांके बिहारी मंदिर, वृंदावन और द्वारकाधीश मंदिर, मथुरा 

भगवान कृष्ण की नगरी मथुरा-वृंदावन की होली सबसे भव्य होती है। यहां होली की शुरुआत फूलों की होली से होती है, जिसमें रंगों की जगह सिर्फ फूलों का इस्तेमाल किया जाता है। 

फूलों की होली की खास बातें: 

- बांके बिहारी मंदिर में पुजारी भक्तों पर फूलों की वर्षा करते हैं। 
- भजन और नृत्य के साथ होली मनाई जाती है। 
- पर्यावरण के अनुकूल यह होली देखने के लिए भारी भीड़ उमड़ती है।

3. पंजाब का होला मोहल्ला – योद्धाओं की होली स्थान: आनंदपुर साहिब, पंजाब

सिख समुदाय होली से एक दिन पहले होला मोहल्ला मनाता है, जो गुरु गोविंद सिंह जी द्वारा शुरू किया गया था। यह केवल रंगों का उत्सव नहीं, बल्कि शौर्य और पराक्रम को दर्शाने वाला पर्व भी है।

होला मोहल्ला की खास बातें:

- सिख योद्धा घुड़सवारी, तलवारबाजी और युद्ध कौशल का प्रदर्शन करते हैं।
- विशेष लंगर (भोजन सेवा) आयोजित की जाती है।
- परंपरागत भांगड़ा और गिद्धा नृत्य किया जाता है।

4. राजस्थान की गेर और डोलची होली – शाही अंदाज में रंगों की बौछार स्थान: जयपुर और जोधपुर, राजस्थान 

राजस्थान की होली भी अनोखी होती है, जिसे ‘गेर होली’ और ‘डोलची होली’ के नाम से जाना जाता है।

गेर होली (जयपुर और जोधपुर):

- पुरुष और महिलाएँ पारंपरिक परिधानों में ढोल-नगाड़ों के साथ नृत्य करते हैं।
- हाथी, ऊँट और घोड़ों की सवारी के साथ होली मनाई जाती है। 

डोलची होली (भीलवाड़ा):

- 300 साल पुरानी परंपरा के अनुसार, पुरुष एक-दूसरे पर लकड़ी की डोलची (बाल्टी) से पानी डालते हैं।
- महिलाएँ इस होली में भाग नहीं लेतीं, लेकिन गीत और भजन गाकर माहौल को आनंदमय बना देती हैं।

5. बंगाल की डोल जात्रा – राधा-कृष्ण के प्रेम का रंगीन उत्सव स्थान: पश्चिम बंगाल

बंगाल में होली को डोल जात्रा कहा जाता है। यहाँ यह त्योहार बेहद सौम्यता और भक्ति के साथ मनाया जाता है। 

डोल जात्रा की खास बातें: 

- राधा-कृष्ण की मूर्तियों को झूले पर रखकर शोभायात्रा निकाली जाती है। 
- लोग अबीर (गुलाल) उड़ाकर भक्ति भाव से होली मनाते हैं। 
- शांति निकेतन में विश्व भारती विश्वविद्यालय के छात्र पारंपरिक नृत्य और गीतों के साथ होली का उत्सव मनाते हैं। 

6. महाराष्ट्र की रंगपंचमी – धूमधाम से खेली जाती है होली स्थान: मुंबई, पुणे और नासिक 

महाराष्ट्र में होली के बाद पाँचवें दिन रंगपंचमी मनाई जाती है। इस दिन सड़कों पर धूमधाम से रंगों की होली खेली जाती है। 

रंगपंचमी की खास बातें: 

- इस दिन पूरा महाराष्ट्र गुलाल और रंगों से सराबोर होता है। 
- मुंबई में गोविंदा टोली मटकी फोड़कर होली का जश्न मनाते हैं। 
- पारंपरिक पकवान जैसे पूरनपोली और ठंडाई का आनंद लिया जाता है। 

7. दक्षिण भारत की होली – भक्ति और परंपराओं का संगम

दक्षिण भारत में होली को उतनी धूमधाम से नहीं मनाया जाता, लेकिन यहाँ इस त्योहार का अलग ही महत्व है। 

- तमिलनाडु में इसे कामदहन कहा जाता है, जिसमें कामदेव के बलिदान को याद किया जाता है। 
- केरल में होली को ज्यादा नहीं मनाया जाता, लेकिन कुछ हिस्सों में लोग पारंपरिक तरीके से रंग खेलते हैं। 
- कर्नाटक में होली पर लोकनृत्य और पारंपरिक गानों का आयोजन होता है। 

होली 2025: देशभर में पर्यटकों के लिए खास अवसर 

हर साल लाखों विदेशी सैलानी भारत में होली मनाने आते हैं, खासकर मथुरा, वृंदावन, वाराणसी, जयपुर और पुष्कर में। होली 2025 के दौरान ये जगहें सबसे ज्यादा चर्चित रहेंगी, जहाँ रंगों का अद्भुत नजारा देखने को मिलेगा।

पर्यटकों के लिए होली मनाने की खास जगहें: 

- मथुरा-वृंदावन (उत्तर प्रदेश) – भक्ति और रंगों की होली 
- पुष्कर (राजस्थान) – विदेशी सैलानियों की पसंदीदा जगह 
- शांतिनिकेतन (पश्चिम बंगाल) – रविंद्रनाथ टैगोर की सांस्कृतिक होली 
- आनंदपुर साहिब (पंजाब) – होला मोहल्ला का शौर्य उत्सव 

भारत में होली केवल रंगों का त्योहार नहीं, बल्कि संस्कृति, परंपरा और भक्ति का संगम है। हर राज्य में इसे मनाने का अपना अलग तरीका है, लेकिन एक चीज़ जो इसे जोड़ती है, वह है प्रेम और सौहार्द्र का संदेश। होली 2025 भी पूरे देश में रंग-बिरंगे अंदाज में मनाई जाएगी, जिसमें हर शहर अपनी परंपराओं के अनुसार रंगों से सराबोर होगा।

आप किस राज्य की होली मनाना पसंद करेंगे? कमेंट में बताइए और इस रंगीन त्योहार का आनंद लीजिए!

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