रमजान 2025 का पहला जुमा: बरकत, मगफिरत और इबादत का खास मौका

रमजान 2025 का पहला जुमा: बरकत, मगफिरत और इबादत का खास मौका
अंतिम अपडेट: 1 दिन पहले

रमजान का मुबारक महीना चल रहा है और इस साल 7 मार्च 2025 को पहला जुमा (शुक्रवार) पड़ रहा है। इस्लाम में जुमे का दिन बेहद अहम माना जाता है, और जब यह दिन रमजान में आए, तो इसका दर्जा और बढ़ जाता है। मुसलमानों के लिए यह दिन किसी ईद से कम नहीं होता, क्योंकि इस दिन नमाज, दुआ और इबादत करने का सवाब कई गुना बढ़ जाता है।

जुमे की अहमियत इस्लाम में

इस्लाम में हर शुक्रवार को एक खास मुकाम दिया गया है। इसे मुसलमानों की साप्ताहिक ईद भी कहा जाता है। पैगंबर मोहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने फरमाया है कि जो व्यक्ति जुमे की नमाज अदा करता है, उसके पूरे हफ्ते के गुनाह माफ कर दिए जाते हैं। हदीस में जुमे की फजीलत को लेकर कहा गया है कि: "जो व्यक्ति जुमा के दिन गुस्ल करता है, पाक-साफ कपड़े पहनता है, इत्र लगाता है और मस्जिद जाकर ध्यान से खुतबा सुनता है, उसकी सारी गलतियां माफ कर दी जाती हैं।"

रमजान में जुमे की खासियत

रमजान में हर इबादत का सवाब कई गुना बढ़ जाता है। इसलिए रमजान के जुमा की फजीलत और भी ज्यादा हो जाती है। इस साल रमजान में कुल 4 जुमे होंगे, जिसमें से पहला आज है। इस दिन लोग अल्लाह से अपने गुनाहों की माफी, रहमत और बरकत की दुआ मांगते हैं।

मस्जिदों में खास तैयारियां

रमजान के पहले जुमा की खास अहमियत के चलते मस्जिदों में विशेष तैयारियां की जाती हैं।

• मस्जिदों की सफाई और सजावट का खास ख्याल रखा जाता है।
• खुतबा (धार्मिक प्रवचन) में रमजान और इबादत की अहमियत पर रोशनी डाली जाती है।
• रोजेदारों के लिए खास इफ्तार का इंतजाम किया जाता है।

जुमे की नमाज का समय

इस साल रमजान के पहले जुमे की नमाज दोपहर 12:33 बजे अदा की जाएगी। हालांकि, अलग-अलग शहरों और मस्जिदों में इसमें थोड़ा अंतर हो सकता है।
जुमे से जुड़ी खास मान्यताएं

• इस्लामिक मान्यता के अनुसार, हजरत आदम (अलैहिस्सलाम) को जुमे के दिन ही जन्नत से धरती पर भेजा गया था।
• कयामत का दिन भी जुमा को ही आएगा।
• जो व्यक्ति सच्चे दिल से जुमे की नमाज अदा करता है, उसके पिछले हफ्ते के छोटे गुनाह माफ कर दिए जाते हैं।

मुसलमानों की तीन ईद

मुसलमानों के लिए साल में दो मुख्य ईद होती हैं - ईद-उल-फित्र और ईद-उल-अजहा। लेकिन जुमा को भी मुसलमानों की साप्ताहिक ईद माना गया है। इसलिए हर शुक्रवार को खास माना जाता है, और जब यह रमजान में आए, तो इसकी फजीलत और भी ज्यादा बढ़ जाती है। रमजान का पहला जुमा मुसलमानों के लिए इबादत और मगफिरत का बेहतरीन मौका है। 

इस दिन की अहमियत को समझते हुए हर रोजेदार को चाहिए कि वह खास तौर पर इबादत करे, अल्लाह से अपने गुनाहों की माफी मांगे और ज्यादा से ज्यादा नेक काम करे, ताकि इस पाक महीने की बरकतें हासिल कर सके।

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