विद्वानों के अनुसार, इस वर्ष धनतेरस का पूजन 29 अक्तूबर को होगा। इसके अगले दिन 30 अक्तूबर को हनुमान जन्मोत्सव और नरक चतुर्दशी का पर्व मनाया जाएगा।
कब मनाएं दीपावली ?
दीपावली की तारीख को लेकर इस साल भी उलझन हैं। काशी के विद्वान 31 अक्टूबर को दीपोत्सव मनाने की बात कहते हैं, जबकि इंदौर के विद्वान इसे 1 नवंबर को मनाने का प्रस्ताव रखते हैं। विद्वानों के अलग-अलग विचारों से दीपावली की तारीख पर असमंजस और बढ़ गया हैं।
दीपावली के लिए शुभ मुहूर्त
काशी विद्वत कर्मकांड परिषद ने 31 अक्टूबर को दीपावली मनाने का निर्णय लिया हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष आचार्य अशोक द्विवेदी ने बताया कि 31 अक्टूबर को शाम 3.52 बजे अमावस्या की शुरुआत होगी, जो 1 नवंबर की शाम 5.13 बजे तक चलेगी। इसके बाद प्रतिपदा आएगी, जिसमें दीपावली पूजा करने का विधान नहीं हैं। 31 अक्टूबर की रात अमावस्या के कारण दीपोत्सव और काली पूजा का शुभ मुहूर्त प्राप्त हो रहा हैं।
काशी में पर्वों की धूम
काशी के विद्वानों के मुताबिक, 29 अक्टूबर को धनतेरस का पूजन होगा। इसके अगले दिन, 30 अक्टूबर को हनुमान जन्मोत्सव और नरक चतुर्दशी का पर्व मनाया जाएगा। विद्वानों का कहना है कि काशी के सभी पंचांगों के अनुसार, 31 अक्टूबर को पूरे देश में दीपावली मनाई जाएगी।
काशी और इंदौर में दीपावली की तिथियों में अंतर
काशी में विद्वानों ने 31 अक्टूबर को दीपावली मनाने का निर्णय लिया है, जबकि इंदौर के संस्कृत महाविद्यालयों के विद्वानों ने 1 नवंबर को दीपावली मनाने का फैसला किया हैं। मध्य प्रदेश ज्योतिष और विद्वत परिषद द्वारा आयोजित बैठक में यह मतभेद सामने आया। विद्वानों का कहना है कि जब दो दिन त्योहार की स्थिति बनती है, तो धर्म शास्त्रों में दूसरे दिन को अपनाने की बात कही गई हैं। अमावस्या पितरों की तिथि है, और पितरों के पूजन के बाद शाम में लक्ष्मी पूजन करना चाहिए। लक्ष्मी पूजन के बाद पितरों का पूजन शास्त्रों के अनुसार सही नहीं हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, मध्य प्रदेश वैदिक और विद्वत परिषद के वैदिक आचार्य पंडित रामचंद्र शर्मा वैदिक का कहना है कि इस वर्ष 31 अक्टूबर और 1 नवंबर, दोनों ही दिन अमावस्या तिथि प्रदोष काल में आएंगे।