गणेश चतुर्थी का त्योहार हर साल धूमधाम से मनाया जाता है और यह भगवान गणेश की पूजा का महत्वपूर्ण अवसर होता है। इस त्योहार के दौरान विशेष रूप से मोदक (Modak) का भोग भगवान गणेश को अर्पित किया जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि भगवान गणेश को मोदक क्यों प्रिय हैं? आइए जानते हैं-
Ganesh Chaturthi Bhog: गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi 2024) का त्योहार पूरे भारत में धूमधाम से मनाया जाता है। यह उल्लास का पर्व 10 दिनों तक मनाया जाता है। इस वर्ष यह उत्सव 7 सितंबर से प्रारंभ होगा और 17 सितंबर को समाप्त होगा। लोग विभिन्न तरीकों से गणपति बप्पा के इस पर्व का जश्न मनाते हैं, लेकिन बिना उनके प्रिय भोग के यह पर्व अधूरा माना जाता है। भगवान गणेश को कई तरह के मीठे व्यंजन पसंद हैं, लेकिन मोदक (Ganesh Chaturthi Modak) उनके लिए सबसे प्रिय भोग है। यही कारण है कि गणेशोत्सव के दौरान उन्हें 'मोदक' अर्पित करना अनिवार्य होता है।
मोदक के बिना अधूरा होता है गणेश महोत्सव
‘मोदक’ के बिना यह त्योहार अधूरा माना जाता है, और इसलिए लोग भगवान को विभिन्न प्रकार के मोदक का भोग अर्पित करते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि गणेश चतुर्थी और मोदक के बीच क्या संबंध है और यह मिठाई भगवान गणेश को इतनी प्रिय क्यों है? यदि आप नहीं जानते, तो आइए इस लेख में हम गणपति बप्पा और मोदक के जुड़े हुए संबंध को समझते हैं।
गणेश जी को क्यों पसंद है मोदक?
पौराणिक मान्यता के अनुसार, एक बार भगवान शिव, देवी पार्वती और भगवान गणेश जंगल में ऋषि अत्रि की पत्नी देवी अनुसूया के आश्रम गए। वहां पहुंचते ही भगवान शिव और गणेश को भूख लगने लगी। इस पर अनुसूया ने सभी के लिए भोजन का प्रबंध किया। खाने के बाद देवी पार्वती और भगवान शिव की भूख तो शांत हो गई, लेकिन गणपति बप्पा का पेट कुछ भी खाने से भर नहीं रहा था। बप्पा की भूख को शांत करने के लिए अनुसूया ने उन्हें तरह-तरह के व्यंजन पेश किए, लेकिन उनकी भूख फिर भी नहीं मिट पाई। इस प्रकार, मोदक का महत्व बढ़ा, जो भगवान गणेश का प्रिय भोग माना जाता है। यही कारण है कि मोदक को गणेश चतुर्थी जैसे त्योहारों पर विशेष रूप से बनाया जाता है, ताकि बप्पा की कृपा प्राप्त की जा सके।
इस दौरान सभी व्यंजनों को खाने के बाद भी जब भगवान गणेश संतुष्ट नहीं हुए, तो अनुसूया ने सोचा कि शायद कुछ मीठा उनका पेट भरने में सहायक हो सकता है। बस फिर क्या था, इस विचार को साकार करते हुए उन्होंने गणेश जी को मिठाई का एक टुकड़ा पेश किया। जैसे ही गणपति बप्पा ने मिठाई का सेवन किया, उन्हें डकार आई और उनकी भूख शांत हो गई। गणेश जी की भूख मिटते ही भगवान शिव ने भी 21 बार डकार ली और इस प्रकार दोनों एक साथ संतुष्ट हुए।
गणेश जी मोदक और लड्डू के साथ ही आते है नजर
बताया जाता है कि जब माता पार्वती ने देवी अनुसूया से इस मिठाई के बारे में पूछा, तो उन्होंने उत्तर दिया कि यह मिठाई मोदक है। इसके बाद से गणेश पूजा के समय मोदक चढ़ाने की परंपरा शुरू हुई। धीरे-धीरे यह प्रथा पूरे पृथ्वी पर लोकप्रिय हो गई और हर गणेश चतुर्थी पर, भगवान गणेश को विभिन्न प्रकार के मोदक भोग के रूप में अर्पित किए जाने लगे। इस पौराणिक कथा से यह स्पष्ट होता है कि मोदक अनादि काल से प्रचलित है। इतना ही नहीं, धर्म ग्रंथों और शास्त्रों में भी भगवान गणेश की छवियों में वह मोदक और लड्डू के साथ दिखाई देते हैं।
मोदक के हैं अनेकों नाम
मोदक को विभिन्न विधियों से बनाने के साथ-साथ अलग-अलग नामों से भी जाना जाता है। तमिल में इसे कोझाकट्टई, कन्नड़ में मोधका या कडुबू और तेलुगु में कुदुमु के नाम से पुकारा जाता है। अगर हम इसके प्रकारों की बात करें, तो आजकल आप भगवान को फ्राइड मोदक, केसर मोदक, मावा मोदक, चॉकलेट मोदक, फ्रूट मोदक आदि का भोग अर्पित कर सकते हैं।