कांवड़ यात्रा को जल यात्रा भी कहते हैं। इस में हिस्सा लेने वाले शिवभक्त पवित्र नदी से जल लेकर शिवलिंग का जलाभिषेक करते हैं। इस वर्ष यानि 2024 के सावन महीने में 22 जुलाई को यह यात्रा शुरू होगी। आइए जानें क्या है कावड़ यात्रा?
Kanwar Yatra 2024: कांवड़ यात्रा, जिसे आमतौर पर सावन के महीने में किया जाता है, हिन्दू धर्म में भगवान शिव के प्रति भक्ति और श्रद्धा का प्रतीक माना जाता है। इस महीने में शिवभक्त अपने कंधों पर कांवड़ लेकर निकलते हैं और पवित्र नदियों के जल से शिवलिंग का जलाभिषेक करते हैं। इस साल भी 22 जुलाई से सावन महीना शुरू हो गया है।
कांवड़ यात्रा का महत्व
प्राचीन समय से ही भारत में सावन माह में कांवड़ यात्रा की परंपरा चली आ रही है। बता दें कि सावन का महीना भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा के लिए बेहद शुभ माना जाता है। सावन के इस महीने में भगवान शिव की पूजा की जाती हैं और शिव भगवान सभी मनोकामना पूरी करते हैं।
1. श्रद्धा और समर्पण: कांवड़ यात्रा में भाग लेने वाले भक्त अपनी श्रद्धा और समर्पण का प्रतीक मानते हैं। वे यात्रा के दौरान भगवान शिव के दर्शन करने के लिए सजग और उत्सुक रहते हैं।
2. साधना और संयम: यात्रा के दौरान भक्त व्रत, संयम और साधना के अवसर पर ध्यान केंद्रित करते हैं। इससे उनका आत्मविश्वास और ध्यान की शक्ति में वृद्धि होती है।
3. समाज में एकता: कांवड़ यात्रा में भाग लेने वाले श्रद्धालु अक्सर समाज में एकता और सामूहिकता का संदेश देते हैं। इस यात्रा में भाग लेने से समाज में धर्मिक और सामाजिक संदेशों को बढ़ावा मिलता है।
सावन महीने में कांवड़ यात्रा 2024
हिन्दू पंचांग के अनुसार, इस बार आषाढ़ पूर्णिमा 21 जुलाई को पड़ रही है और अगले ही दिन यानी 22 जुलाई, सोमवार से सावन की माह की शुरुआत हो रही है। जबकि, सावन माह का लास्ट दिन 19 अगस्त होगा। खास बात यह है कि इस महीने में पांच सोमवार पड़ रहे हैं और सोमवार से शुरू होकर सोमवार के दिन ही सावन माह का समापन होगा।
सावन महाशिवरात्रि 2024
इस सावन में शिवभक्त कई किलोमीटर की यात्रा करके पवित्र नदियों का जल लाते हैं और उससे शिवलिंग का जलाभिषेक करते हैं। खास तौर पर गंगा नदी का जल लाकर शिवलिंग का अभिषेक किया जाता है। सावन शिवरात्रि के दिन कांवड़िए गंगाजल से शिवलिंग का अभिषेक करते हैं। इस साल सावन शिवरात्रि 2 अगस्त, 2024 को मनाई जाएगी।
कांवड़ यात्रा का रहस्य
कांवड़ यात्रा के पीछे कई पौराणिक कथाएं हैं, जो भगवान शिव के भक्तों और उनके त्याग और श्रद्धांजलि को संदर्भित करती हैं। यहां कुछ महत्वपूर्ण कथाएं हैं:
➤भगवान परशुराम की कथा: इस कथा के अनुसार, भगवान परशुराम ने गढ़मुक्तेश्वर से गंगाजल लेकर भगवान शिव का शिवलिंग जलाभिषेक किया था। इस से पहली बार कांवड़ यात्रा की शुरुआत हुई थी, जिसके माध्यम से भक्त शिव की प्रसन्नता प्राप्त करते हैं।
➤हलाहल विष के अभिषेक की कथा: इस कथा के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान हलाहल विष निकला था जिसे पीने से शिवजी का गला जलने लगा था। उस समय भगवान शिव के परम भक्त रावण ने कांवड़ से गंगाजल लेकर उनका अभिषेक किया था, जिससे शिवजी को राहत मिली थी। इसी प्रेरणा से भी कांवड़ यात्रा की परंपरा आरंभ हुई थी।
सावन का महीना
1. धार्मिक महत्व: सावन का महीना हिन्दू पंचांग में श्रावण मास कहलाता है और यह विशेष रूप से भगवान शिव को समर्पित होता है। इस महीने में शिवलिंग पर जल, दूध, धातूरा, बेल पत्र आदि चढ़ाकर भक्ति की जाती है।
2. व्रत और उपासना: सावन के महीने में शिवभक्त शिवजी के लिए व्रत रखते हैं और उनकी उपासना करते हैं। सोमवार, जो भगवान शिव को समर्पित होता है, उसे विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है। इसीलिए इस महीने में सोमवार को भगवान शिव की पूजा और अर्चना की जाती है।
3. आध्यात्मिक उन्नति: सावन के महीने में शिव उपासना से भक्त की आध्यात्मिक उन्नति होती है। श्रद्धालु इस मास में विशेष प्रार्थनाएं करते हैं और अपने जीवन में शिवभक्ति को मजबूत करने का प्रयास करते हैं।