Onam 2024: आज बड़ी धूम-धाम से मनाया जाएगा ओणम पर्व, 10 दिन तक चलता है ये उत्सव, जानिए इसका इतिहास और महत्व

Onam 2024: आज बड़ी धूम-धाम से मनाया जाएगा ओणम पर्व, 10  दिन तक चलता है ये उत्सव, जानिए इसका इतिहास और महत्व
Last Updated: 15 सितंबर 2024

10 दिनों तक चलने वाला फसल उत्सव ओणम अथम से शुरू होकर थिरुवोनम के दिन समाप्त होता है। यह उत्सव केरल में मनाया जाने वाला सबसे महत्वपूर्ण त्योहार है, जो प्रमुख रूप से नई फसल के आगमन का जश्न मनाने के लिए आयोजित किया जाता है। ओणम महाबली राजा की वापसी का भी प्रतीक है। इस दौरान घरों को सजाने, पारंपरिक खेल, सांस्कृतिक नृत्य और विशिष्ट ओणम साद्य (दावत) का आयोजन किया जाता हैं।

धार्मिक न्यूज़: ओणम केरल का एक प्रमुख त्योहार है, जो फसल के मौसम और राजा महाबली की वापसी का प्रतीक है। 10 दिनों तक चलने वाले इस त्योहार का हर दिन महत्वपूर्ण है और विभिन्न सांस्कृतिक, धार्मिक और पारंपरिक गतिविधियों के साथ मनाया जाता है। अथम से शुरू होने वाले इस पर्व में हर दिन का अपना खास महत्व है. इस साल ओणम 5 सितंबर से 15 सितंबर तक मनाया जा रहा है, जिसमें अंतिम दिन थिरुवोनम 15 सितंबर को मनाया जाएगा।

* अथम: इस दिन से ओणम की तैयारियां शुरू होती हैं। लोग अपने घरों के सामने फूलों की रंगोली (पुक्कलम) बनाना शुरू करते हैं।

* चिथिरा: इस दिन पुक्कलम में और अधिक फूल जोड़े जाते हैं, और घरों की साफ-सफाई की जाती है।

* चोडी: परिवार के सदस्य ओणम के लिए नए कपड़े और अन्य जरूरी सामान खरीदते हैं।

* विशाकम: इस दिन ओणम साद्य (विशेष दावत) की तैयारियां शुरू हो जाती हैं।

* अनिज़म: सांस्कृतिक खेल और नौका दौड़ (वल्लमकली) की शुरुआत होती है।

* थ्रिकेता: परिवार के लोग एक-दूसरे से मिलते हैं और त्योहार का आनंद लेते हैं।

* मूलम: मंदिरों और घरों में विशेष पूजा और भोग अर्पित किए जाते हैं।

* पूरादम: इस दिन महाबली राजा की मूर्ति की पूजा की जाती है।

* उथ्रादोम: इसे ओणम के पूर्व दिन के रूप में मनाया जाता है। इसे "फर्स्ट ओणम" भी कहा जाता है, जहां राजा महाबली का स्वागत किया जाता है।

* थिरुवोनम: यह ओणम का सबसे महत्वपूर्ण दिन होता है, जिसमें विशेष पूजा, ओणम साद्य, और पारंपरिक खेल खेले जाते हैं।

ओणम त्यौहार का इतिहास

ओणम से जुड़ी महाबली और वामन अवतार की पौराणिक कथा को बहुत सुंदर तरीके से प्रस्तुत किया है। यह कथा इस त्योहार का प्रमुख आधार है और केरल के लोगों के बीच गहरी आस्था और सम्मान का प्रतीक है। महाबली को एक न्यायप्रिय और महान शासक माना जाता था, जिन्होंने अपने शासनकाल में समृद्धि और शांति का माहौल बनाया। हालांकि वे असुर (राक्षस) कुल से थे, फिर भी उनकी उदारता और प्रजा के प्रति उनकी देखभाल के कारण लोग उन्हें अत्यंत प्रिय मानते थे। यही कारण है कि केरल के लोग उनकी वापसी का जश्न मनाते हैं।

किंवदंती के अनुसार जब राजा महाबली ने तीनों लोकों पर विजय प्राप्त की और उनका शासन व्यापक हो गया, देवताओं ने उनकी शक्ति और प्रभाव से असुरक्षित महसूस किया। देवताओं ने भगवान विष्णु से सहायता मांगी, और विष्णु ने वामन अवतार धारण करके महाबली से तीन कदम जमीन मांगी। राजा महाबली की उदारता और वचन पालन की परंपरा ने उन्हें सहमति देने पर विवश कर दिया। वामन ने अपने दिव्य रूप में दो कदमों में सारा ब्रह्मांड नाप लिया, और तीसरे कदम के लिए महाबली ने अपना सिर प्रस्तुत किया।

भगवान विष्णु ने महाबली के समर्पण और भक्ति से प्रसन्न होकर उन्हें वरदान दिया कि वे हर साल ओणम के समय अपनी प्रजा से मिलने धरती पर आ सकेंगे। इसी उपलक्ष्य में केरल के लोग ओणम मनाते हैं, यह मानते हुए कि राजा महाबली इस समय अपने प्रिय राज्य और प्रजा से मिलने आते हैं। इसलिए ओणम न केवल एक फसल उत्सव है, बल्कि यह न्याय, उदारता और प्रेम के मूल्यों को भी प्रतिबिंबित करता है, जो राजा महाबली के व्यक्तित्व से जुड़े हैं।

ओणम पर्व का महत्त्व

ओणम के सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व को बहुत अच्छे से प्रस्तुत किया है। यह त्योहार न केवल फसल का उत्सव है, बल्कि यह केरल की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर और पारंपरिक मूल्यों को भी जीवंत करता है। ओणम के दौरान होने वाले नृत्य और सांस्कृतिक प्रदर्शन इस त्योहार की रंगीनता और जीवंतता को बढ़ाते हैं। ओणम के ये पारंपरिक नृत्य और लोक प्रदर्शन केरल की सांस्कृतिक धरोहर को नई पीढ़ियों तक पहुंचाते हैं और समुदाय की एकजुटता और समृद्धि के प्रतीक के रूप में देखे जाते हैं।

* कथकली ओणम का एक अभिन्न हिस्सा है, जिसमें कलाकार पौराणिक कहानियों को नृत्य, हाव-भाव, और नाटकीय प्रस्तुति के माध्यम से जीवंत करते हैं। ये प्रदर्शन न केवल मनोरंजन के लिए होते हैं, बल्कि इनमें धार्मिक और ऐतिहासिक कहानियों को भी प्रस्तुत किया जाता है।

* पुलिकली (बाघ नृत्य) विशेष रूप से लोकप्रिय है, जिसमें कलाकार बाघ और शिकारी की पोशाक पहनकर नृत्य करते हैं। यह नृत्य ओणम के जोश और उमंग को दर्शाता है, और इसके माध्यम से लोग पारंपरिक कला को संरक्षित करते हैं।

* थिरुवथिरा काली, महिलाओं द्वारा किया जाने वाला एक समूह नृत्य है, जो मुख्यतः ओणम की पूर्व संध्या पर किया जाता है। यह नृत्य प्रेम, एकता और समर्पण का प्रतीक है, जिसमें महिलाएं एक घेरे में इकट्ठी होकर विशेष लय पर नृत्य करती हैं।

 

 

 

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