हिंदू धर्म के मुताबिक, संतान सप्तमी का व्रत अत्यंत विशेष और शुभ माना जाता है, क्योंकि यह व्रत बच्चों की लंबी उम्र और उनकी सुख समृद्धि के लिए किया जाता है। इस दिन भक्तगण देवी पार्वती और भगवान शिव की विशेष पूजा-अर्चना करते हैं। आमतौर पर, यह व्रत विवाहित महिलाएं संतान प्राप्ति के लिए करती हैं। यह मान्यता है कि इस व्रत को करने से संतान से संबंधित सभी समस्याएं समाप्त हो जाती हैं।
Santan Saptami vrat: हिंदू धर्म में संतान सप्तमी व्रत का एक विशेष महत्व है। इस दिन विवाहित महिलाएं अपने बच्चों के कल्याण और सुरक्षा के लिए व्रत करती हैं। साथ ही, वे भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा भी करती हैं। संतान सप्तमी का व्रत भाद्रपद महीने की शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को मनाया जाता है। इस वर्ष यह व्रत 10 सितंबर को आयोजित किया जाएगा। तो चलिए, इस दिन से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण जानकारियों को जानते हैं।
Santan Saptami शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार, भाद्रपद की सप्तमी तिथि 9 सितंबर को रात 9 बजकर 53 मिनट पर प्रारंभ होगी। इसका समापन 10 सितंबर को रात 11 बजकर 11 मिनट पर होगा। पंचांग के अनुसार, संतान सप्तमी 10 सितंबर 2024, मंगलवार के दिन मनाई जाएगी। इसलिए, जो लोग व्रत करना चाहते हैं, उन्हें 10 सितंबर को व्रत रखना चाहिए।
संतान सप्तमी 2024 पूजा विधि
संतान सप्तमी व्रत के पूजन विधि के अनुसार, यह व्रत माता-पिता अपनी संतान की लंबी उम्र, सुख, और समृद्धि के लिए करते हैं। आपके द्वारा दी गई पूजन विधि इस प्रकार से है:
संतान सप्तमी 2024 पूजन विधि:
- प्रातः स्नान: व्रत करने वाले को सुबह जल्दी उठकर स्नान करना चाहिए, ताकि शुद्धता बनी रहे।
- व्रत और पूजन का संकल्प: भगवान शिव और माता पार्वती के समक्ष व्रत का संकल्प लेकर पूजा की शुरुआत करें।
- वेदी की तैयारी: एक साफ वेदी (पूजा स्थल) पर लाल कपड़ा बिछाएं और उस पर शिव परिवार (भगवान शिव, माता पार्वती, गणेश जी और कार्तिकेय जी) की प्रतिमा स्थापित करें।
- कलश स्थापना: एक कलश में पानी भरकर उसमें नारियल और आम के पत्ते रखकर कलश स्थापना करें।
- दीप प्रज्वलन: शुद्ध देसी घी का दीपक जलाएं। दीपक के प्रकाश से पूजा स्थल को पवित्र और शुभ बना दें।
- पूजन सामग्री: भगवान शिव - पार्वती को फूल, चावल, पान, सुपारी आदि अर्पित करें।
- वस्त्र अर्पण: भगवान शिव और माता पार्वती को नए वस्त्र अर्पित करें।
- भोग प्रसाद: भगवान को पूरी और खीर का भोग लगाएं। यह प्रसाद पूजा के बाद परिवार के सदस्यों में बांटा जाएगा।
- संतान सप्तमी व्रत कथा: व्रत रखने वाला या घर का कोई सदस्य संतान सप्तमी व्रत की कथा का पाठ करे।
- आरती: कथा के बाद आरती करें और भगवान से पूजा में हुई भूलों के लिए क्षमा मांगें।
- बड़ों का आशीर्वाद: पूजा के बाद घर के बुजुर्गों का आशीर्वाद प्राप्त करें।
- व्रत का पारण: अगले दिन पूजा संपन्न कर प्रसाद ग्रहण कर व्रत का पारण करें।
सौभाग्य प्राप्ति का मंत्र
यह सौभाग्य प्राप्ति का मंत्र भगवान शिव और माता पार्वती की कृपा से सुख, सौभाग्य, आरोग्य, और संतान समृद्धि की कामना के लिए उच्चारित किया जाता है:
मंत्र- "देहि सौभाग्यं आरोग्यं देहि मे परमं सुखम्।
पुत्र-पौत्रादि समृद्धिं देहि में परमेश्वरी।।"
इस मंत्र का जाप करने से व्यक्ति को सौभाग्य, स्वास्थ्य, और संतान सुख की प्राप्ति होती है। इसे नित्य पूजा में श्रद्धा और भक्ति के साथ जपना चाहिए।
महामृत्युंजय मंत्र जाप
महामृत्युंजय मंत्र, जो मृत्यु के भय और बीमारियों से मुक्ति के लिए अत्यंत प्रभावशाली माना जाता है, इस प्रकार है:
"ॐ हौं जूं सः ॐ भूर्भुवः स्वः ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
ऊर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ॐ भुवः भूः स्वः ॐ सः जूं हौं ॐ।"