सोमवार का दिन अत्यंत शुभ माना जाता है। यह कहा जाता है कि सोमवार को भगवान शिव की पूजा करने से सभी इच्छाओं की पूर्णता होती है। यदि आप देवों के देव महादेव (शिव पूजन) की कृपा प्राप्त करना चाहते हैं, तो आपको सोमवार के दिन माता पार्वती की पूजा अवश्य करनी चाहिए और कठिन व्रत का पालन करना चाहिए।
Shiv Puja: हिंदू धर्म में सोमवार का दिन अत्यंत शुभ माना जाता है। इस दिन भगवान शंकर और माता पार्वती की विशेष पूजा की जाती है। मान्यता है कि इस दिन शिव जी की पूजा करने से जीवन में आने वाली सभी समस्याएं समाप्त हो जाती हैं और घर में सुख-समृद्धि का आगमन होता है। यदि आप देवों के देव महादेव को प्रसन्न करना चाहते हैं, तो आपको सोमवार के दिन उपवास रखना चाहिए और देवी पार्वती के वैदिक मंत्रों का जप करना चाहिए।
इसके बाद, गौरी चालीसा का पाठ करके आरती के साथ पूजा को समाप्त करना चाहिए। ऐसा करने से विवाह संबंधित सभी बाधाएं दूर हो जाएंगी। आइए, इस पर और विस्तार से पढ़ते हैं।
विवाह से जुड़ी समस्या से मिलेगा छुटकारा
सोमवार को भगवान शिव की पूजा के साथ देवी पार्वती (गौरी) के वैदिक मंत्रों का जाप और गौरी चालीसा का पाठ विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है। यह पूजा विधि न केवल धार्मिक आस्था को बढ़ावा देती है बल्कि जीवन की विभिन्न समस्याओं को भी हल करती है।
यहां एक सामान्य विधि दी गई है-
शिव पूजा
स्नान और सफाई- सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ वस्त्र पहनें।
शिवलिंग पूजन- शिवलिंग पर जल, दूध, भांग, बेलपत्र, और फूल अर्पित करें।
मंत्र जाप- "ॐ नमः शिवाय" जैसे मंत्रों का जाप करें।
देवी पार्वती के वैदिक मंत्रों का जाप
मंत्र जाप- देवी पार्वती के मंत्रों का जाप करें जैसे "ॐ देवी पार्वत्यै नमः" और "ॐ गंगे चेलान्यै नमः।"
गौरी चालीसा का पाठ
चालीसा का पाठ- गौरी चालीसा का पाठ करें। इसके लिए एक शांत और साफ स्थान चुनें।
आरती- पाठ के बाद देवी पार्वती की आरती करें।
गौरी चालीसा
चौपाई-
मन मंदिर मेरे आन बसो,
आरम्भ करूं गुणगान,
गौरी माँ मातेश्वरी,
दो चरणों का ध्यान।
पूजन विधि न जानती,
पर श्रद्धा है अपार,
प्रणाम मेरा स्वीकारिये,
हे माँ प्राण आधार।
नमो नमो हे गौरी माता,
आप हो मेरी भाग्य विधाता,
शरणागत न कभी घबराता,
गौरी उमा शंकरी माता।
आपका प्रिय है आदर पाता,
जय हो कार्तिकेय गणेश की माता,
महादेव गणपति संग आओ,
मेरे सकल क्लेश मिटाओ।
सार्थक हो जाए जग में जीना,
सत्कर्मो से कभी हटूं ना,
सकल मनोरथ पूर्ण कीजो,
सुख सुविधा वरदान में दीज्यो।
हे माँ भाग्य रेखा जगा दो,
मन भावन सुयोग मिला दो,
मन को भाए वो वर चाहूं,
ससुराल पक्ष का स्नेहा मैं पायु।
परम आराध्या आप हो मेरी,
फ़िर क्यों वर में इतनी देरी,
हमरे काज सम्पूर्ण कीजियो,
थोडे़ में बरकत भर दीजियो।
अपनी दया बनाए रखना,
भक्ति भाव जगाये रखना,
गौरी माता अनसन रहना,
कभी न खोयूं मन का चैना।
देव मुनि सब शीश नवाते,
सुख सुविधा को वर मैं पाते,
श्रद्धा भाव जो ले कर आया,
बिन मांगे भी सब कुछ पाया।
हर संकट से उसे उबारा,
आगे बढ़ के दिया सहारा,
जब भी माँ आप स्नेह दिखलावे,
निराश मन में आस जगावे।
शिव भी आपका काहा ना टाले,
दया दृष्टि हम पे डाले,
जो जन करता आपका ध्यान,
जग में पाए मान सम्मान।
सच्चे मन जो सुमिरन करती,
उसके सुहाग की रक्षा करती,
दया दृष्टि जब माँ डाले,
भव सागर से पार उतारे।
जपे जो ओम नमः शिवाय,
शिव परिवार का स्नेहा वो पाए,
जिसपे आप दया दिखावे,
दुष्ट आत्मा नहीं सतावे।
सात गुण की हो दाता आप,
हर इक मन की ज्ञाता आप,
काटो हमरे सकल क्लेश,
निरोग रहे परिवार हमेशा।
दुख संताप मिटा देना माँ,
मेघ दया के बरसा देना माँ,
जबही आप मौज में आय,
हठ जय माँ सब विपदाएं।
जिस पे दयाल हो माता आप,
उसका बढ़ता पुण्य प्रताप,
फल-फूल मै दुग्ध चढ़ाऊ,
श्रद्धा भाव से आपको ध्यायु।
अवगुण दृष्टि दृष्टि दृष्टि मेरे ढक देना माँ,
ममता आंचल कर देना मां,
कठिन नहीं कुछ आपको माता,
जग ठुकराया दया को पाता।
बिन पाऊ न गुन माँ तेरे,
नाम धाम स्वरूप बहू तेरे,
जितने आपके पावन धाम,
सब धामो को मां प्राणम।
आपकी दया का है ना पार,
तभी को पूजे कुल संसार,
निर्मल मन जो शरण में आता,
मुक्ति की वो युक्ति पाता।
संतोष धन्न से दामन भर दो,
असम्भव को माँ सम्भव कर दो,
आपकी दया के भारे,
सुखी बसे मेरा परिवार।
आपकी महिमा अति निराली,
भक्तो के दुःख हरने वाली,
मनोकामना पुरन करती,
मन की दुविधा पल मे हरती।
चालीसा जो भी पढें सुनाया,
सुयोग वर् वरदान में पाए,
आशा पूर्ण कर देना माँ,
सुमंगल साखी वर देना माँ।
गौरी माँ विनती करूँ,
आना आपके द्वार,
ऐसी माँ कृपा किजिये,
हो जाए उद्धार।
हीं हीं हीं शरण में,
दो चरणों का ध्यान,
ऐसी माँ कृपा कीजिये,
पाऊँ मान सम्मान।
इस पाठ को श्रद्धा और भक्ति के साथ पढ़ने से माता पार्वती की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में सुख, समृद्धि, और शांति आती है।