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विश्व धरोहर दिवस 2025: संस्कृति और प्रकृति की धरोहर को बचाने की जिम्मेदारी

विश्व धरोहर दिवस 2025: संस्कृति और प्रकृति की धरोहर को बचाने की जिम्मेदारी
अंतिम अपडेट: 18-04-2025

आज हर साल की तरह 18 अप्रैल, 2025 को एक बार फिर से दुनिया भर में विश्व धरोहर दिवस मनाया जा रहा हैं। यह दिन हम सभी के लिए एक अवसर है, जब हम अपनी सांस्कृतिक और प्राकृतिक धरोहरों के संरक्षण की दिशा में जिम्मेदारी को समझने का प्रयास करते हैं। इस दिन को मनाने का मुख्य उद्देश्य न केवल हमारे ऐतिहासिक और सांस्कृतिक स्थलों को पहचान देना है, बल्कि इस पर होने वाली पर्यावरणीय और मानवीय चुनौतियों के बारे में जागरूकता भी बढ़ाना है। 

विशेष रूप से, 2025 का यह दिन यूनेस्को के विश्व धरोहर स्थलों के संरक्षण पर चर्चा का एक महत्वपूर्ण अवसर है, जहां हम उन ऐतिहासिक स्थलों और प्राकृतिक धरोहरों को बचाने के लिए उठाए गए कदमों पर विचार करते हैं, जो जलवायु परिवर्तन, संघर्ष, और प्राकृतिक आपदाओं से खतरे में हैं।

विश्व धरोहर दिवस का इतिहास: एक महत्वपूर्ण पहल

विश्व धरोहर दिवस की अवधारणा का जन्म 1982 में हुआ था, जब अंतर्राष्ट्रीय स्मारक और स्थल परिषद (ICOMOS) ने इस दिन को मनाने का प्रस्ताव रखा। हालांकि, इसे आधिकारिक रूप से यूनेस्को द्वारा 1983 में मंजूरी दी गई। यह दिन विशेष रूप से उन सांस्कृतिक और प्राकृतिक धरोहरों के महत्व को रेखांकित करता है, जो केवल उनके समय और स्थान के नहीं, बल्कि समग्र मानवता के लिए अनमोल हैं। 18 अप्रैल को चुनी गई तारीख इस कारण भी विशेष है, क्योंकि 1982 में इसी दिन विश्व सांस्कृतिक और प्राकृतिक विरासत संरक्षण से संबंधित कन्वेंशन को अपनाया गया था।

विश्व धरोहर स्थलों की संख्या और उनकी महत्वता

वर्तमान में, दुनिया भर में कुल 1199 यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल हैं, जिनमें से 933 सांस्कृतिक, 227 प्राकृतिक और 39 मिश्रित स्थल हैं। इन स्थलों में विभिन्न प्रकार के स्थल जैसे प्राचीन मंदिर, महल, किले, समुद्र तट, ऐतिहासिक शहर, और राष्ट्रीय उद्यान शामिल हैं। भारत इस मामले में 6 वें नंबर पर आता है, जहां 42 विश्व धरोहर स्थल हैं, जिनमें ताजमहल, खजुराहो, और काजीरंगा जैसे प्रसिद्ध स्थल शामिल हैं।

विश्व धरोहर स्थलों का महत्व सिर्फ इसलिए नहीं है क्योंकि ये मानवता के इतिहास के प्रतीक हैं, बल्कि इसलिए भी है क्योंकि ये उन स्थानों का संरक्षण करते हैं, जो जलवायु परिवर्तन, शहरी विस्तार, और संघर्षों के कारण खतरे में पड़ गए हैं।

2025 में विश्व धरोहर दिवस की थीम

आपदाओं और संघर्षों से खतरे में पड़ी विरासत: आईसीओएमओएस की 60 वर्षों की कार्रवाइयों से तैयारी और सीख- यह विषय हमें यह सोचने पर मजबूर करता है कि जलवायु परिवर्तन, युद्ध, और अन्य प्राकृतिक आपदाएं हमारे धरोहर स्थलों को किस तरह से प्रभावित कर रही हैं। इससे हमें यह समझने का मौका मिलता है कि अगर हम आज इन स्थलों की सुरक्षा के लिए कदम नहीं उठाते, तो आने वाली पीढ़ियाँ इनका आनंद नहीं ले पाएंगी।

यूनेस्को के इस विषय से यह संदेश मिलता है कि हमें अब सिर्फ इन धरोहरों की देखभाल करने के बजाय, इनके संरक्षण की दिशा में सक्रिय कदम उठाने होंगे। जलवायु परिवर्तन के प्रभाव से जो खतरे उत्पन्न हो रहे हैं, उन्हें ध्यान में रखते हुए, इन स्थलों के संरक्षण के लिए एक ठोस योजना बनानी होगी।

विश्व धरोहर दिवस: एक यात्रा का अवसर

विश्व धरोहर दिवस यात्रियों के लिए एक खास अवसर है, क्योंकि यह न केवल ऐतिहासिक स्थलों के महत्व को समझने का दिन है, बल्कि यह उन स्थलों पर यात्रा करने का भी एक शानदार मौका है, जो मानवता की सांस्कृतिक धरोहर का हिस्सा हैं। यह दिन हमें प्रेरित करता है कि हम न केवल इन स्थलों को देखें, बल्कि उनके पीछे की संस्कृति, इतिहास और परंपराओं को भी समझने की कोशिश करें।

आजकल यात्रा का अनुभव सिर्फ स्थलों तक सीमित नहीं है। यात्रियों के लिए यह एक सांस्कृतिक यात्रा है, जिसमें वे न केवल भूतकाल की झलक पाते हैं, बल्कि वर्तमान के साथ भी जुड़े रहते हैं। विश्व धरोहर स्थल न केवल दृश्य आकर्षण हैं, बल्कि वे उन कहानियों को जीवित रखते हैं, जो पीढ़ी दर पीढ़ी मानवता को परिभाषित करती हैं।

भारत की विश्व धरोहर स्थलों में योगदान

भारत में यूनेस्को द्वारा मान्यता प्राप्त विश्व धरोहर स्थलों की संख्या 42 है, जो भारत के सांस्कृतिक और ऐतिहासिक समृद्धि को दर्शाता है। भारत की विश्व धरोहर स्थलों में ताजमहल, खजुराहो, कोणार्क सूर्य मंदिर, काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान, और हम्पी जैसी ऐतिहासिक और प्राकृतिक धरोहरें शामिल हैं। इन स्थलों का संरक्षण न केवल भारत की पहचान है, बल्कि ये विश्व के लिए भी अत्यधिक महत्वपूर्ण हैं। 

उदाहरण के लिए, ताजमहल न केवल भारत, बल्कि पूरी दुनिया के लिए प्रेम और वास्तुकला का प्रतीक बन चुका है। वहीं, काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान के एक सींग वाले गैंडे और उसकी जैव विविधता को बचाना भी पर्यावरण के लिए एक बड़ा कार्य है।

क्यों जरूरी है धरोहर स्थलों का संरक्षण?

1. सांस्कृतिक और ऐतिहासिक मूल्य: प्रत्येक विश्व धरोहर स्थल किसी स्थान की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक पहचान को प्रदर्शित करता है। ये स्थल हमें हमारे अतीत की याद दिलाते हैं और हमारी सांस्कृतिक धरोहर को जीवित रखते हैं।

2. पर्यटन और रोजगार: विश्व धरोहर स्थलों का संरक्षण न केवल इन स्थलों के अस्तित्व को बनाए रखता है, बल्कि यह पर्यटन को भी बढ़ावा देता है। पर्यटन के माध्यम से रोजगार के अवसर पैदा होते हैं, जो स्थानीय समुदायों के जीवन स्तर में सुधार लाते हैं।

3. प्राकृतिक धरोहर: दुनिया में कई ऐसे स्थान हैं जो जैव विविधता और प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर हैं, जैसे कि काजीरंगा और सुंदरबन। इन स्थलों का संरक्षण हमारे पारिस्थितिकी तंत्र को बनाए रखने के लिए बेहद महत्वपूर्ण है।

4. जलवायु परिवर्तन और आपदाएँ: जलवायु परिवर्तन और प्राकृतिक आपदाएँ कई धरोहर स्थलों के अस्तित्व के लिए खतरे का कारण बन रही हैं। इन स्थानों के संरक्षण के लिए निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं ताकि हम इन स्थानों को आने वाली पीढ़ियों के लिए सुरक्षित रख सकें।

यात्रा के संदर्भ में विश्व धरोहर दिवस

विश्व धरोहर दिवस सिर्फ एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि यह यात्रियों के लिए एक अवसर है कि वे अपनी यात्रा के दौरान इन धरोहर स्थलों के संरक्षण के लिए जागरूकता फैलाएं। जब हम इन स्थलों का दौरा करते हैं, तो यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम इनका सम्मान करें और इनकी सुरक्षा के लिए जागरूकता बढ़ाएं।

यदि हम अपने ट्रैवल पैटर्न को सतत् रूप से बदलते हैं, तो हम न केवल इन स्थलों को संरक्षित कर सकते हैं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए इन्हें बचा भी सकते हैं। इसमें स्थानीय समुदायों के साथ सहयोग करना, पर्यावरणीय प्रभाव को कम करना, और स्थायी पर्यटन को बढ़ावा देना शामिल है।

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