22 अगस्त 2024 की शाम, लगभग सात बजकर 45 मिनट पर, पृथ्वी-2 परमाणु बैलिस्टिक मिसाइल का परीक्षण किया गया। इस परीक्षण का मुख्य उद्देश्य रात में हमले की क्षमता और सटीकता का मूल्यांकन करना था। यह मिसाइल सभी मानकों पर सफल साबित हुई। आइए जानते हैं भारत की इस घातक मिसाइल की ताकत के बारे में।
New Delhi: ओडिशा के तट पर DRDO ने भारत की परमाणु बैलिस्टिक मिसाइल पृथ्वी-2 का सफल रात्री परीक्षण किया। इस रात्री परीक्षण का उद्देश्य अंधेरे में मिसाइल की सटीकता और मारक क्षमता का मूल्यांकन करना था। यह लॉन्चिंग भारत के स्ट्रैटेजिक फोर्स कमांड की निगरानी में की गई। यूजर ट्रायल का मतलब है कि कमांड में शामिल नए अधिकारियों को मिसाइल लॉन्चिंग की प्रशिक्षण दी गई है।
बताया गया कि पृथ्वी-2 मिसाइल की मारक रेंज 350 किमी है। यह एक सिंगल स्टेज लिक्विड फ्यूल मिसाइल है। इसके ऊपरी भाग में 500 से 1000 किलोग्राम के पारंपरिक या परमाणु हथियार लगाए जा सकते हैं। यह दुश्मन की एंटी-बैलिस्टिक मिसाइल तकनीक को धोखा देने में सक्षम है। वर्ष 2019 से अब तक इसका सफल यूजर नाइट ट्रायल पांचवीं बार किया गया है।
भारत की सबसे छोटी मिसाइल
पृथ्वी-2 मिसाइल भारत की सभी मिसाइलों में सबसे छोटी और हल्की मानी जाती है। इसका कुल वजन 4600 किलोग्राम है और इसकी लंबाई 8.56 मीटर है, जबकि व्यास 110 सेंटीमीटर है। पृथ्वी-2 मिसाइल में विभिन्न प्रकार के विस्फोटक जैसे हाई एक्सप्लोसिव, पेनेट्रेशन, क्लस्टर म्यूनिशन, फ्रैगमेंटेशन, थर्मोबेरिक, केमिकल वेपन और टैक्टिकल न्यूक्लियर वेपन को लगाया जा सकता है।
इस मिसाइल को लॉन्च करने का कारण
पृथ्वी-2 मिसाइल एक स्ट्रैप-डाउन इनर्शियल नेविगेशन सिस्टम पर आधारित है, जिसका मतलब है कि यह 10 मीटर के वृत्ताकार त्रुटि संभावना के साथ अत्यधिक सटीक है। इसे 8x8 टाटा ट्रांसपोर्टर इरेक्टर लॉन्चर का उपयोग करके लॉन्च किया जाता है। वास्तव में, पृथ्वी-2 मिसाइल का वास्तविक नाम SS-250 है और इसे भारतीय वायु सेना के लिए विकसित किया गया था। पृथ्वी-1 थल सेना के लिए, और पृथ्वी-3 नौसेना के लिए बनाई गई थी।
PAD मिसाइलों का क्या काम है?
इसी मिसाइल प्रणाली को आधार बनाकर डीआरडीओ के वैज्ञानिकों ने प्रलय मिसाइल और पृथ्वी एयर डिफेंस (PAD), जिसे प्रद्युम्न बैलिस्टिक मिसाइल इंटरसेप्टर भी कहा जाता है, का निर्माण किया है। इसे वास्तविकता में भी बदला गया है। प्रलय मिसाइल को चीन की सीमा पर तैनात करने की अनुमति भी मिल चुकी है। जहां तक PAD की बात है, ये ऐसी मिसाइलें हैं जो वायुमंडल के बाहर जाकर दुश्मन के लक्ष्यों को नष्ट करने में सक्षम हैं। वे 6174 किमी/घंटा की गति से ऐसा कर सकती हैं।
मार्च 2019 में किया गया मिशन शक्ति, जिसका उद्देश्य अंतरिक्ष में दुश्मन के सैटेलाइट को नष्ट करना था, भी पृथ्वी मिसाइल की तकनीक पर आधारित है। एंटी-सैटेलाइट वेपन (ASAT) मिसाइल, एक पृथ्वी मिसाइल का उन्नत संस्करण था, जिसने अंतरिक्ष में एक पुराने निष्क्रिय सैटेलाइट को ध्वस्त किया था।