SHORTEST DAY AND LONGEST NIGHT: साल की सबसे लंबी रात आज, मात्र 10 घंटे 41 मिनट तक रहेगा उजाला, जानें वजह

SHORTEST DAY AND LONGEST NIGHT: साल की सबसे लंबी रात आज, मात्र 10 घंटे 41 मिनट तक रहेगा उजाला, जानें वजह
Last Updated: 1 दिन पहले

आज 21 दिसंबर 2024 को साल की सबसे लंबी रात और सबसे छोटा दिन होगा। दिन की अवधि 10 घंटे 41 मिनट और रात 13 घंटे 19 मिनट की होगी। यह खगोलीय घटना शीतकालीन संक्रांति कहलाती है।

longest night of year: 21 दिसंबर 2024 की रात इस साल की सबसे लंबी रात और दिन सबसे छोटा होगा। पृथ्वी अपने झुके हुए अक्ष पर घूमते हुए सूर्य का चक्कर लगाती है। जब पृथ्वी का कोई ध्रुव सूर्य से अधिकतम दूरी पर पहुंचता है, तो यह स्थिति शीतकालीन संक्रांति कहलाती है। इस दिन पृथ्वी का झुकाव और सूर्य से उसकी दूरी के कारण दिन की अवधि सबसे छोटी और रात की अवधि सबसे लंबी होती है।

साल का सबसे छोटा दिन

आज सूर्योदय सुबह 7:04 बजे होगा और सूर्यास्त शाम 5:45 बजे। इस प्रकार दिन की कुल अवधि 10 घंटे 41 मिनट की होगी, जबकि रात 13 घंटे 19 मिनट लंबी होगी। यह दिन खगोलीय दृष्टि से महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसके बाद उत्तरी गोलार्ध में दिन धीरे-धीरे बड़े और रातें छोटी होने लगती हैं।

शीतकालीन संक्रांति का खगोलीय महत्व

वीर बहादुर सिंह नक्षत्र शाला, गोरखपुर के खगोलविद अमर पाल सिंह ने बताया कि पृथ्वी अपने अक्ष पर 23.5 डिग्री झुकी हुई है। इस झुकाव के कारण मौसम परिवर्तन होते हैं। जब पृथ्वी का उत्तरी ध्रुव सूर्य से दूर हो जाता है, तो यह उत्तरी गोलार्ध के लिए सबसे छोटी दिन की अवधि का समय होता है। इसके विपरीत, दक्षिणी गोलार्ध में यह समय सबसे लंबे दिन और सबसे छोटी रात का होता है।

सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व

शीतकालीन संक्रांति केवल खगोलीय घटना ही नहीं, बल्कि यह कई संस्कृतियों में ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व भी रखती है। प्राचीन काल से इसे त्योहारों और अनुष्ठानों के रूप में मनाया जाता रहा है। इस घटना को 'सोलस्टिस' कहते हैं, जो लैटिन भाषा से लिया गया शब्द है। इसमें "सोल" का अर्थ सूर्य और "ईस्टिश" का अर्थ स्थिर होता है।

खगोलीय घटना का समय

आज की खगोलीय घटना भारतीय समयानुसार रात 2:51 बजे घटित होगी। इस समय सूर्य उत्तरी गोलार्ध के आकाश में अपनी सबसे कम ऊंचाई पर होगा। इसके बाद दिन बड़े और रातें छोटी होने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। यह घटना उत्तरी गोलार्ध के देशों में मौसम बदलाव और नए वर्ष की शुरुआत के लिए भी महत्वपूर्ण मानी जाती है।

कैसे प्रभावित होते हैं दिन और रात

शीतकालीन संक्रांति के समय सूर्य अपनी न्यूनतम ऊंचाई पर होता है, जिससे दिन की रोशनी कम होती है। इसके बाद पृथ्वी के घूमने और झुकाव के कारण दिन की अवधि धीरे-धीरे बढ़ने लगती है। खगोलविदों के अनुसार, यह प्रक्रिया जून तक चलती है, जब दिन की अवधि अपने चरम पर पहुंचती है और रातें सबसे छोटी हो जाती हैं।

विज्ञान और खगोलशास्त्र का संगम

यह खगोलीय घटना न केवल विज्ञान और खगोलशास्त्र के लिए बल्कि प्रकृति को समझने और उसके बदलावों को महसूस करने का भी अवसर है। वैज्ञानिक दृष्टिकोण से यह पृथ्वी की परिक्रमा, झुकाव और सूर्य से दूरी के कारण होता है। इससे हमें यह समझने में मदद मिलती है कि पृथ्वी पर मौसम और दिन-रात का संतुलन कैसे बनता है।

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