भारतीय राजनीति के भविष्य के लिहाज से चार जून की तिथि बहुत ही महत्वपूर्ण दिन साबित होने वाला है। इस दिन भारत को या तो नया प्रधानमंत्री मिलेगा या फिर पीएम मोदी के सिर पर तीसरी बार जीत का ताज सजेगा। इस के साथ इस दिन हमारे सौर मंडल में छह ग्रह दुर्लभ संयोग के साथ वृत्ताकार आकृति बनाएंगे।
नैनीताल: भारतीय राजनीति के भविष्य के लिहाज से चार जून का दिन बहुत ही महत्वपूर्ण साबित होने वाला है। क्योकि की इस दिन भारत में या तो नई सरकार बनेगी या फिर भारतीय जनता पार्टी तीसरी बार सत्ता में आएगी। तथा इसी दिन हमारे सौर मंडल में स्थापित छह ग्रह दुर्लभ संयोग के साथ वृत्ताकार आकृति बनाने की ओर अग्रसर है। ज्योतिष ने Subkuz.com को बताया कि ग्रह का यह संयोग कई राशियों पर प्रभाव डालने वाला हो सकता है, लेकिन विज्ञानियों के दृष्टिकोण से केवल यह एक सामान्य खगोलीय घटना हैं।
आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान (एरीज) के वरिष्ठ विज्ञानी डा. शशिभूषण कुमार पांडेय ने बताया कि जून का आगमन होने के बाद ग्रहों की दिशा में बदलाव होने जा रहा है। इस खगोलीय घटना में भोर के समय आसमान में शनि (शैटर्न), नेपच्यून, मंगल (मार्स), यूरेनस, बुध (मरकरी) और बृहस्पति (जुपिटर) नीचे से ऊपर की ओर एक वृत्ताकार लाइन में दिखेंगे।
सूर्योदय से पहले दिखेगा ग्रह का दुर्लभ संयोग
वरिष्ठ विज्ञानी डा. शशिभूषण कुमार पांडेय ने बताया कि सभी ग्रह जून महीने की शुरुआत में ही सूर्योदय होने से पहले नजर आएंगे। इनमें यूरेनस और नेपच्यून को देखने के लिए वैज्ञानिक को दूरबीन का इस्तेमाल करना होगा। तथा अन्य गृहों को बिना दूरबीन के भी देखा जा सकता है। मंगल और शनि को पहचानना बहुत ही आसान है। सूर्योदय से लगभग आधे घंटे पहले ग्रह के दुर्लभ संयोग को देखने के लिए चार जून सर्वोत्तम तिथि होगी।
बताया कि इस खगोलीय घटना में बुध और बृहस्पति एक दूसरे के काफी ज्यादा करीब दिखाई देंगे। इन दोनों ग्रहों के बीच की आभासी दूरी एक डिग्री से भी कम हो सकती है। लाल रंग के कारण मंगल ग्रह को भी आसानी से पहचाना जा सकेगा। बताया कि मंगल के ऊपर की ओर नेप्च्यून और अंत मे सबसे ऊपर शनि ग्रह स्थापित होगा। इनके अलावा सौर मंडल के गृहों में पृथ्वी के अलावा शुक्र (वीनस) इन दिनों सूर्य की चमक में छिपने के कारण दिखाई नहीं देगा। डा. पांडेय ने बताया कि ऐसा संयोग दशक में एक बार बनता है। विज्ञानी दृष्टिकोण से यह स्थिति ग्रहों की दिशा, गति व दूरी मापन के लिए सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण मानी जाती हैं।