मशहूर स्टैंड अप कॉमेडियन एहसान कुरैशी का बिहार से खास लगाव है। उन्होंने कहा कि बिहार जो न माने हार। साथ ही उन्होंने कहा कि पहले मैं बिहार का मजाक उड़ाता था, लेकिन अब इसका कायल हूं, वजह हर क्षेत्र में बिहार के लोग अपना परचम लहरा रहे हैं।
कुरैशी पिछले 20 सालों से कॉमेडी कर रहे हैं। मध्य प्रदेश के सिवनी में जन्में एहसान कुरैशी 'द ग्रेट इंडियन लाफ्टर चैलेंज' के उपविजेता रह चुके हैं। कुरैशी एक मुशायरे में हिस्सा लेने पटना पहुंचे थे। इस दौरान मीडिया को दिए इंटरव्यू में उनसे खास बातचीत की गई।
आप पहले भी पटना आ चुके हैं , इस बार क्या खास लगा?
पहली बार भी उतना ही प्यार मिला था। अभी थोड़ा ज्यादा मिल गया है। पूरे बिहार से संघर्षिल लोग मिले और उपमुख्यमंत्री के दर्शन भी हुए। यहां प्यार हमेशा अच्छा मिलता है। बिहार का मतलब है- जो न माने कभी हार। मैं ऐसी जगह आया हूं, जहां से बड़ी संख्या में आईएएस, आईपीएस निकलते हैं। बच्चों का टारगेट पढ़ना होता है।
मैं पहले बहुत हंसी उड़ाता था और ताज्जुब होता था कि क्या बिहार इतना पिछड़ा है? लेकिन यहां हर शहर से आईएएस, आईपीएस और पुलिस के अधिकारी निकलते हैं। मैं खान सर से भी मिला और उनसे मिल कर भी बहुत अच्छा लगा।
लोगों को हंसाना कितना मुश्किल?
जी, हंसाना काफी मुश्किल काम है। महिलाओं को हंसाना तो और भी ज्यादा मुश्किल है। लेकिन, मैं धीरे-धीरे सबको अपने फ्रेम में उतार लेता हूं।
20 साल में कॉमेडी में कोई अंतर है?
मैं पहले भी हंसाता था, आज भी हंसाता हूं, कोई अंतर नहीं आया है। लोग हंसते हैं, सिर्फ हंसाने आना चाहिए।
आज की कॉमेडी में कहीं न कहीं फुहड़ता आ गई है। इस पर क्या कहेंगे?
फुहड़ता मेरे टाइम में भी कुछ लोग करते थें, उनको बुलाया ही नहीं जाता था। हमारे यहां महिलाएं और तीन पीढ़ी के लोग बैठते हैं। जनता भी अब खुद ही फैसला कर लेती है। सोशल मीडिया, यूट्यूब चैनल अब काफी आ गए हैं। इसमें कुछ लोग हैं जो गंदगी देखते हैं। लेकिन ऑडियंस के बीच वही बर्दाश्त होता है जो हमारे संस्कार हों।
नए लोग में कपिल शर्मा आए हैं जो खूब नाम रोशन कर रहे हैं। जाकिर खान ने भी काफ़ी नाम कमाया है। सभी का अपना स्टाइल है, लेकिन अश्लीलता का मैंने कभी समर्थन नहीं किया है। यह समाज भी नहीं करेगा। क्योंकि हम भारतीय संस्कृति से जुड़े हुए लोग हैं।
इसी वजह से बहुत अच्छी शायरी और कॉमेडी पसंद की जाती है। मेरे गुरु ने मुझे बस एक ही फॉर्मूला सिखाया है कि कोई भी चीज जो अपनी मां, बेटी- बेटे को सुना सकते हो। वही अपनी आवाम को सुनाना। क्योंकि वो भी हमारा परिवार है। मैं पत्नी और बच्चों को बिठाता हूं और अगर उनको सुना पाता हूं तो फिर सबको सुनाता हूं। ये फॉर्मूला सभी ने अपना लिया तो फिर गंदगी पास में नहीं आएगी।