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बांग्लादेश चुनाव में उतरेगी जमात-ए-इस्लामी, सुप्रीम कोर्ट ने हटाया बैन

बांग्लादेश चुनाव में उतरेगी जमात-ए-इस्लामी, सुप्रीम कोर्ट ने हटाया बैन

बांग्लादेश की सुप्रीम कोर्ट ने जमात-ए-इस्लामी पर से प्रतिबंध हटाया, जिससे पार्टी को आगामी चुनावों में भाग लेने का अवसर मिला है।

Bangladesh: बांग्लादेश की राजनीति में एक बड़ा मोड़ तब आया, जब सुप्रीम कोर्ट ने कट्टरपंथी संगठन जमात-ए-इस्लामी पर लगाया गया प्रतिबंध हटा दिया। अब जमात-ए-इस्लामी बांग्लादेश के आगामी आम चुनाव में हिस्सा ले सकेगी। इस फैसले के बाद से देश में राजनीतिक माहौल गर्म हो गया है और विपक्षी दलों के बीच नए समीकरण बनने की संभावना दिख रही है।

जमात-ए-इस्लामी पर क्यों लगा था प्रतिबंध?

जमात-ए-इस्लामी, बांग्लादेश की एक पुरानी और विवादित राजनीतिक पार्टी है। इसे शेख हसीना सरकार ने देश विरोधी गतिविधियों और धार्मिक उन्माद फैलाने के आरोप में प्रतिबंधित कर दिया था। सरकार का आरोप था कि यह संगठन बांग्लादेश की स्वतंत्रता और संविधान विरोधी गतिविधियों में शामिल रहा है और देश की एकता और अखंडता के लिए खतरा है।

सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला

मंगलवार को बांग्लादेश सुप्रीम कोर्ट ने सरकार के फैसले को पलटते हुए जमात-ए-इस्लामी पर लगा प्रतिबंध हटा दिया। अदालत ने माना कि प्रतिबंध लगाने की प्रक्रिया में कई कानूनी त्रुटियां थीं और संगठन पर बिना पर्याप्त आधार के कार्रवाई की गई थी। इस फैसले के बाद जमात-ए-इस्लामी को आगामी चुनाव में हिस्सा लेने की अनुमति मिल गई है।

नेताओं की गिरफ्तारी से राहत

प्रतिबंध हटते ही जमात-ए-इस्लामी के नेताओं पर गिरफ्तारी का खतरा भी टल गया है। कई नेता पहले से ही जेल में बंद थे और अब उनकी रिहाई का रास्ता साफ हो गया है। जमात के कई नेताओं पर धार्मिक उन्माद फैलाने, देशद्रोह और हिंसा भड़काने जैसे आरोप थे, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने उन्हें राहत दी है।

जमात-ए-इस्लामी की चुनावी रणनीति

जमात-ए-इस्लामी बांग्लादेश की राजनीति में पहले भी अहम भूमिका निभा चुकी है। यह अवामी लीग की कट्टर विरोधी रही है। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि प्रतिबंध हटने के बाद जमात-ए-इस्लामी अपनी पुरानी ताकत को फिर से पाने की कोशिश करेगी और आगामी चुनाव में मुस्लिम वोटों के ध्रुवीकरण पर जोर देगी। इसके लिए वह सोशल मीडिया, रैलियों और जनसभाओं का सहारा ले सकती है।

अवामी लीग पर डिजिटल बैन

बांग्लादेश में इस बीच एक और चौंकाने वाली घटना हुई। अवामी लीग पार्टी की वेबसाइट और उसके सभी डिजिटल प्लेटफॉर्म्स को देश में बैन कर दिया गया है। इसका कारण स्पष्ट नहीं किया गया है, लेकिन जानकारों का मानना है कि यह एक राजनीतिक साजिश का हिस्सा हो सकता है। अवामी लीग फिलहाल देश की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी है और इस डिजिटल बैन से उसके चुनाव प्रचार पर बड़ा असर पड़ सकता है।

शेख हसीना सरकार की चुनौतियां बढ़ीं

जमात-ए-इस्लामी पर से प्रतिबंध हटने के बाद शेख हसीना सरकार की मुश्किलें बढ़ गई हैं। विपक्षी दल सरकार पर असहमति की आवाजों को दबाने का आरोप लगा रहे हैं, वहीं सरकार के आलोचक इसे लोकतंत्र पर खतरा मान रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि यह फैसला देश की राजनीति को और अस्थिर कर सकता है।

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