पाकिस्तान पर गैस पाइपलाइन परियोजना को निर्धारित समय में पूरा नहीं करने पर 18 अरब अमेरिकी डॉलर का जुर्माना लग सकता है। बुधवार को पाक संसद की पीएसी की बैठक में इसको लेकर चर्चा हुई। एक अधिकारी ने बताया कि इस परियोजना को लेकर अमेरिका से भी बात की गई है। ईरान के साथ गैस पाइपलाइन परियोजना को निर्धारित समय सीमा में पूरा नहीं करने के पर पाकिस्तान पर 18 अरब अमेरिकी डॉलर का जुर्माना लग सकता है। पाक संसद की लोक लेखा समिति (PAC) की बैठक में इसके बारे में जिक्र किया गया है।
पाकिस्तान संसद की लोक लेखा समिति की बुधवार को अध्यक्ष नूर आलम खान की अध्यक्षता में मीटिंग हुई। इसमें ईरान से गैस आयात करने के लिए पाइपलाइन के निर्माण समेत तीन गैस परियोजनाओं को लेकर चर्चा की गई। इसमें बताया गया कि इन परियोजनाओं के लिए चार अरब डॉलर का फंड एकत्रित किया गया था।
द एक्सप्रेस ट्रिब्यून अखबार के मुताबिक, PAC के सदस्य सैयद हुसैन तारिक ने कहा कि फंड बेकार पड़ा हुआ है, और परियोजनाएं स्थिर हैं। उन्होंने चेतावनी दी है। कि अगर ईरान के साथ गैस पाइपलाइन परियोजना समय पर पूरी नहीं हुई तो पाकिस्तान को जुर्माना भरना पड़ सकता है। पेट्रोलियम मंत्रालय के एक शीर्ष अधिकारी ने मीटिंग में बताया कि पाकिस्तान ने राहत मांगने के लिए ईरान गैस पाइपलाइन परियोजना के बारे में अमेरिका से बातचीत करेगी।
रिपोर्ट के मुताबिक, उन्होंने बताया कि ईरान से गैस आयात करने पर प्रतिबंध है,और पाकिस्तान इसे खरीद नहीं सकता है। इसके अलावा तुर्कमेनिस्तान-अफगानिस्तान-पाकिस्तान-भारत (TAPI) पाइपलाइन परियोजना में सुरक्षा संबंधी चिंताओं पर भी प्रकाश डाला।
कमेटी के सदस्यों ने पूछा कि ईरान गैस पाइपलाइन समय पर पूरा नहीं करने पर पाकिस्तान पर कितना जुर्माना लगाया जा सकता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि पेट्रोलियम सचिव ने जवाब दिया कि समझौते के मुताबिक जुर्माना 18 अरब डॉलर का हो सकता है। उन्होंने अमेरिकी राजदूत से ये भी कहा है कि या तो उन्हें परियोजना के साथ आगे बढ़ने की अनुमति दी जाए या जुर्माना भरने के लिए उन्हें पैसे दिए जाए। इसके बाद अध्यक्ष ने विदेश मंत्रालय को अमेरिकी दूत को बुलाने और स्थिति की गंभीरता के बारे में सूचित करने का निर्देश दिया। उन्होंने पेट्रोलियम सचिव द्वारा बताए गए दो विकल्पों को भी दोहराया है।
ईरान-पाकिस्तान गैस पाइपलाइन परियोजना बहुत पहले शुरू की गई थी, और शुरुआत में भारत भी इसका हिस्सा था, लेकिन बाद में विभिन्न मुद्दों पर मतभेदों के कारण इसे वापस ले लिया गया। तेहरान के परमाणु कार्यक्रम के कारण अमेरिका द्वारा ईरान पर लगाए गए प्रतिबंधों की वजह से यह परियोजना पूरी नहीं हो सकी।