अमेरिका की मशहूर मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (MIT) में हाल ही में एक विवादित घटना सामने आई है, जिसमें एक अमेरिकी-भारतीय छात्रा मेघा वेमुरी को एक कार्यक्रम में शामिल होने से रोक दिया गया।
नई दिल्ली: अमेरिका के प्रतिष्ठित मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (MIT) की भारतीय मूल की छात्रा मेघा वेमुरी इस समय एक राजनीतिक विवाद के केंद्र में आ गई हैं। मेघा ने हाल ही में एक सार्वजनिक मंच पर फलस्तीन के समर्थन में एक भाषण दिया था, जिसके बाद विश्वविद्यालय ने उन्हें अपने ग्रेजुएशन सेरेमनी से बाहर कर दिया है। यह मामला अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और विश्वविद्यालय की नीतियों के बीच टकराव को उजागर करता है।
कौन हैं मेघा वेमुरी?
मेघा वेमुरी का जन्म जॉर्जिया के अल्फारेटा में हुआ था। उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा अल्फारेटा हाई स्कूल से पूरी की और 2021 में MIT में दाखिला लिया। मेघा ने कंप्यूटर साइंस, न्यूरोसाइंस और भाषाविज्ञान में ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की और अपने 2025 बैच की छात्रा अध्यक्ष भी रहीं। वे MIT में अपनी प्रतिभा और नेतृत्व क्षमता के लिए जानी जाती थीं।
विवाद का कारण — फलस्तीन समर्थन भाषण
मेघा वेमुरी ने हाल ही में एक कार्यक्रम में अपने समर्थन के रूप में फलस्तीन के लिए एक भावुक भाषण दिया। उन्होंने एक लाल रंग का केफियेह (फलस्तीन का प्रतीकात्मक स्कार्फ) पहना था और इस मौके पर इजरायल की आलोचना करते हुए कहा कि MIT इजरायल के कब्जे वाली सेना के साथ अनुसंधान संबंध रखता है।
मेघा ने विश्वविद्यालय पर आरोप लगाया कि यह फलस्तीनियों के खिलाफ इजरायली सैन्य कार्रवाई को बढ़ावा देता है। उन्होंने अपने सहपाठियों से गाजा और फलस्तीन के लिए आवाज उठाने की अपील भी की।
MIT की प्रतिक्रिया और कार्रवाई
MIT के चांसलर मेलिसा नोबल्स ने मेघा के इस कदम को गंभीरता से लिया। उन्होंने मेघा को एक आधिकारिक ईमेल भेजकर बताया कि उनके इस व्यवहार से विश्वविद्यालय के नियमों का उल्लंघन हुआ है। चांसलर ने कहा, “आपने जानबूझकर और बार-बार आयोजकों को गुमराह किया है। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हम सम्मान करते हैं, लेकिन किसी कार्यक्रम के मंच से विरोध प्रदर्शन करना और उसे भड़काना MIT के समय, स्थान और तरीके के नियमों के खिलाफ है।”
इस कारण मेघा को 2025 की ग्रेजुएशन सेरेमनी से इवेंट मार्शल बनने से रोक दिया गया। यह एक बड़ी बात है क्योंकि यह पद छात्राओं के बीच बहुत सम्मानित माना जाता है और इसका मतलब है कि विश्वविद्यालय ने मेघा के व्यवहार को अनुशासनात्मक दृष्टि से गंभीर माना है।
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता या अनुशासनात्मक उल्लंघन?
यह मामला अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और संस्थागत अनुशासन के बीच संतुलन की चुनौती प्रस्तुत करता है। मेघा का कहना है कि वह अपनी राय व्यक्त करने के लिए स्वतंत्र हैं और विश्वविद्यालय को इजरायल और फलस्तीन के बीच चल रहे संघर्ष पर भी अपने छात्र समुदाय के बीच संवाद को बढ़ावा देना चाहिए। वहीं MIT प्रशासन ने यह स्पष्ट किया है कि भले ही अभिव्यक्ति का अधिकार महत्वपूर्ण है, लेकिन इसे ऐसे मंच और समय पर करना चाहिए जो कार्यक्रम के उद्देश्य और शांति व्यवस्था को बाधित न करे।
मेघा के समर्थन में और विरोध में प्रतिक्रियाएं
इस विवाद पर सामाजिक मीडिया और शिक्षा जगत में भी चर्चा तेज हो गई है। कुछ लोगों ने मेघा के हक में यह कहा है कि विश्वविद्यालय ने उनके विचारों को दबाने की कोशिश की है। वहीं कुछ लोग मानते हैं कि किसी भी शैक्षणिक संस्था को अपने कार्यक्रमों में राजनीतिक विवाद को प्रवेश नहीं देना चाहिए और नियमों का उल्लंघन करना उचित नहीं।
मेघा वेमुरी के इस कदम ने विश्वविद्यालयों में राजनीतिक अभिव्यक्ति के अधिकारों और सीमाओं पर एक बहस छेड़ दी है। भविष्य में इस तरह के मामलों में विश्वविद्यालयों को बेहतर नीति बनानी होगी, जिससे वे छात्रों की स्वतंत्रता का सम्मान करते हुए संस्थागत शांति और कार्यक्रमों की गरिमा भी बनाए रख सकें।