शिकागो के शोध के मुताबिक, दिल्ली में प्रदूषण के कारण यहां के निवासियों की औसत आयु 11.9 साल कम हो जाती है। देशभर में यह आंकड़ा 5.3 साल तक घटता है। प्रदूषण से होने वाले नुकसान और बचाव के उपायों पर ध्यान देना जरूरी है।
Delhi Pollution: दिल्ली में प्रदूषण के कारण न केवल खांसी और जुकाम जैसे सामान्य रोग बढ़ रहे हैं, बल्कि यह दिल्लीवासियों की औसत आयु को भी घटा रहा है। इंडियन चेस्ट सोसाइटी के उत्तरी जोन के चेयरमैन डॉ. जीसी खिलनानी के मुताबिक, शिकागो में हुए एक शोध के अनुसार, प्रदूषण के कारण दिल्ली में जन्मे और पले-बढ़े लोगों की औसत उम्र 11.9 वर्ष कम हो जाती है। वहीं, पूरे देश में यह आंकड़ा 5.3 वर्ष तक घटता है, जो कि एक गंभीर स्थिति है।
प्रदूषण का फेफड़ों पर प्रभाव
प्रदूषण से फेफड़ों पर गंभीर असर पड़ता है। डॉ. खिलनानी ने बताया कि पीएम 2.5 कण फेफड़े के निचले हिस्से तक पहुंचकर फेफड़ों को प्रभावित करते हैं, जो फेफड़े के कैंसर का कारण बन सकते हैं। खास बात यह है कि फेफड़े के कैंसर से पीड़ित लगभग 40% लोग ऐसे होते हैं जो धूमपान नहीं करते। इस प्रकार के प्रदूषक कण शरीर के अन्य महत्वपूर्ण अंगों को भी नुकसान पहुंचाते हैं, जिससे हार्ट अटैक, स्ट्रोक, डिमेंशिया, गर्भपात और यूरिनरी ट्रैक संक्रमण जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
चीन में प्रदूषण नियंत्रण
चीन के बीजिंग में प्रदूषण के नियंत्रण के बाद वहां की औसत आयु में 2.2 वर्ष की वृद्धि देखी गई। यह प्रमाण है कि प्रदूषण को नियंत्रित करने से स्वास्थ्य पर सकारात्मक असर पड़ता है और जीवन प्रत्याशा में वृद्धि होती है।
प्रदूषण बढ़ने के कारण
प्रदूषण में बढ़ोतरी के कई कारण हैं। पराली जलाना, वाहनों के उत्सर्जन, सड़कों पर धूल, निर्माणाधीन स्थलों से उड़ती धूल, और तंदूरों का धुआं इसके मुख्य कारण हैं। दिल्ली में करीब 9000 तंदूर हैं, जो प्रदूषण में योगदान करते हैं। शोध के अनुसार, सड़कों को चार बार पानी से धोने, वैक्यूम क्लीनर से सफाई करने और निर्माण स्थलों पर धूल नियंत्रण जैसे उपाय प्रदूषण को नियंत्रित करने में मदद कर सकते हैं, लेकिन इन उपायों पर अमल नहीं हो पा रहा है।
प्रदूषण नियंत्रण में विफलता
शोध के मुताबिक, ट्रैफिक जाम के दौरान गाड़ियों से होने वाला प्रदूषण भी अधिक होता है, लेकिन इन उपायों का पालन सही तरीके से नहीं किया जा रहा है। इसके परिणामस्वरूप, प्रदूषण नियंत्रण के लिए सालभर काम नहीं होता और केवल तीन महीने आरोप-प्रत्यारोप होते हैं।
एमबीबीएस में श्वास रोग विभाग की निरसन पर विरोध
इंडियन चेस्ट सोसाइटी ने श्वास रोग विभाग को एमबीबीएस मेडिकल कॉलेजों से हटाए जाने पर विरोध जताया है। डॉ. राकेश चावला ने इस मुद्दे पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री और प्रधानमंत्री से हस्तक्षेप की मांग की है। हिंदू राव मेडिकल कॉलेज के श्वास रोग विभाग के प्रमुख डॉ. अरुण मदान ने भी कहा कि जनरल मेडिसिन की ओपीडी में 50% से अधिक मरीज सांस संबंधी समस्याओं से पीड़ित होते हैं, ऐसे में इस विभाग को हटाना चिंता का विषय है।