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सावन 2025 से पहले करें ये 5 शुभ वस्तुओं की स्थापना, मिलेगा शिवजी का विशेष आशीर्वाद

सावन 2025 से पहले करें ये 5 शुभ वस्तुओं की स्थापना, मिलेगा शिवजी का विशेष आशीर्वाद

हिंदू पंचांग के अनुसार सावन का महीना भगवान शिव को समर्पित होता है। यह वह समय होता है जब भक्तगण जलाभिषेक, व्रत, पूजा और भक्ति के माध्यम से शिवजी को प्रसन्न करते हैं। ऐसा माना जाता है कि सावन में भगवान शिव पृथ्वी पर विशेष रूप से सक्रिय रहते हैं और अपने भक्तों की हर प्रार्थना सुनते हैं। ऐसे में सावन के शुरू होने से पहले ही कुछ विशेष वस्तुएं घर में लाकर पूजा स्थान पर स्थापित करने से शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है।

नर्मदेश्वर शिवलिंग या पारद शिवलिंग घर में लाना

सावन की शुरुआत से पहले शिवलिंग की स्थापना घर में करना बहुत शुभ माना जाता है। खासकर नर्मदेश्वर शिवलिंग और पारद शिवलिंग को विशेष फलदायी माना जाता है।

नर्मदेश्वर शिवलिंग नर्मदा नदी के प्रवाह में स्वयं निर्मित होता है, इसलिए इसे स्वयंभू शिवलिंग की श्रेणी में रखा गया है। यह शिवलिंग वास्तु दोष, पितृ दोष और नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने में मदद करता है। इसे घर में रखने से मानसिक शांति और आर्थिक स्थिरता आती है।

पारद शिवलिंग पारे से बना होता है और इसे तांत्रिक पूजा में बहुत प्रभावी माना गया है। यह न केवल ग्रह दोषों को शांत करता है, बल्कि आकस्मिक धन प्राप्ति और रोग निवारण में भी सहायक होता है। पारद शिवलिंग घर के पूजा स्थान में रखने से वातावरण दिव्य बनता है।

रुद्राक्ष की माला का महत्व

रुद्राक्ष को भगवान शिव के आंसुओं से उत्पन्न माना गया है। यह न केवल एक आध्यात्मिक वस्तु है, बल्कि मानसिक शांति और आत्मिक संतुलन का माध्यम भी है। सावन शुरू होने से पहले पंचमुखी रुद्राक्ष की माला को गंगाजल से शुद्ध करके पूजा स्थान में रखना चाहिए।

रुद्राक्ष पहनने से मन की चंचलता कम होती है, विचारों में स्थिरता आती है और ध्यान केंद्रित होता है। एकादशमुखी रुद्राक्ष साधना करने वालों और योगियों के लिए विशेष उपयोगी होता है। रुद्राक्ष की माला पर नियमित रूप से शिव मंत्रों का जाप करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है।

नाग देवता की मूर्ति को लाना शुभ

भगवान शिव के गले में लिपटे नागराज वासुकि उनकी शक्ति और संतुलन का प्रतीक हैं। नाग देवता की चांदी, तांबे या पीतल की बनी हुई मूर्ति को सावन से पहले घर में लाकर पूजा स्थल पर स्थापित करना बहुत शुभ माना गया है।

यह मूर्ति राहु-केतु के प्रभाव से बचाव, कालसर्प दोष की शांति और भय, संकट व बाधाओं से सुरक्षा प्रदान करती है। हर सोमवार नाग देव की मूर्ति पर कच्चा दूध और जल अर्पित करना लाभकारी होता है। इससे शिव तत्व का प्रभाव बढ़ता है और परिवारिक जीवन में स्थिरता आती है।

शुद्ध विभूति या भस्म का महत्व

भगवान शिव को भस्म धारण करने वाला देवता कहा गया है। उनके शरीर पर लगी विभूति न केवल प्रतीकात्मक है, बल्कि साधक को माया-मोह और भ्रम से बाहर निकालने वाली होती है।

सावन से पहले घर में विभूति लाकर उसे त्रिपुंड के रूप में ललाट, बाहों और गले पर लगाना शुभ माना जाता है। यह विभूति पवित्र हवन की राख से बनी होनी चाहिए। इसे लगाने से आत्मिक चेतना जाग्रत होती है और शिव तत्व का अनुभव होता है।

विभूति लगाने से साधक की एकाग्रता बढ़ती है और नकारात्मक ऊर्जा से रक्षा होती है। यह शरीर, मन और आत्मा को पवित्र बनाती है और ध्यान के लिए अनुकूल वातावरण बनाती है।

दक्षिणावर्ती शंख की स्थापना का विशेष फल

शिवजी को शंखनाद अत्यंत प्रिय है, लेकिन दक्षिणावर्ती शंख को विशेष रूप से शुभ माना गया है। यह शंख दाएं तरफ खुलने वाला होता है और इसे शिव का प्रतीक माना जाता है।

सावन से पहले इस शंख को घर में स्थापित करना, विशेष रूप से पूजा स्थल पर, घर की नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है। इसमें गंगाजल भरकर शिवलिंग पर अर्पित करने से विशेष पुण्य प्राप्त होता है।

दक्षिणावर्ती शंख से पूजा करने पर धन वृद्धि, मानसिक शांति, रोग निवारण और पारिवारिक सुख की प्राप्ति होती है। इसकी ध्वनि से वातावरण शुद्ध होता है और वास्तु दोष समाप्त होता है।

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