प्रदोष व्रत भगवान शिव को समर्पित होता है और यह हर पक्ष की त्रयोदशी तिथि को रखा जाता है। जब त्रयोदशी तिथि मंगलवार के दिन आती है तो उसे भौम प्रदोष व्रत कहते हैं। भौम का अर्थ होता है मंगल और मंगलवार का स्वामी ग्रह मंगल देव माने जाते हैं। ऐसे में यह दिन भगवान शिव और मंगल देव दोनों की कृपा पाने का खास अवसर माना जाता है।
भौम प्रदोष व्रत का विशेष महत्व ऋण मुक्ति, भूमि विवाद, शारीरिक बल, साहस और आत्मविश्वास प्राप्त करने में बताया गया है। इसे करने से जीवन में आने वाली आर्थिक परेशानियां भी दूर होती हैं। कहा जाता है कि इस व्रत के प्रभाव से भक्तों के ऊपर से मंगल ग्रह की अशुभ दशा भी समाप्त हो जाती है और उन्हें सकारात्मक परिणाम मिलते हैं।
भौम प्रदोष व्रत क्यों मनाया जाता है
भौम प्रदोष व्रत मुख्य रूप से उन लोगों के लिए लाभकारी होता है जो कर्ज से परेशान हैं, बार-बार भूमि विवादों में उलझ जाते हैं या शारीरिक रूप से कमजोर महसूस करते हैं। यह व्रत आत्मबल और निर्भयता को बढ़ाता है और जीवन की दिशा को बेहतर करता है।
मंगल ग्रह को साहस, भूमि, शक्ति, रक्त और क्रोध से जोड़ा गया है। जिन लोगों की कुंडली में मंगल दोष है या जिनके कार्य बार-बार रुकते हैं, उन्हें इस व्रत को श्रद्धा पूर्वक करना चाहिए। इससे जीवन में स्थायित्व आता है और करियर या वैवाहिक जीवन से जुड़ी बाधाएं भी दूर होती हैं।
जुलाई 2025 में भौम प्रदोष व्रत कब रखा जाएगा
2025 में आषाढ़ शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि मंगलवार के दिन पड़ रही है, जो भौम प्रदोष व्रत के लिए आदर्श संयोग है। इस साल भौम प्रदोष व्रत 8 जुलाई 2025 को रखा जाएगा। यह व्रत त्रयोदशी तिथि में प्रदोष काल में किया जाता है, जब सूर्यास्त के बाद का समय होता है।
- त्रयोदशी तिथि शुरू: 7 जुलाई 2025 रात 11 बजकर 10 मिनट
- त्रयोदशी तिथि समाप्त: 9 जुलाई 2025 सुबह 12 बजकर 38 मिनट
- पूजा का शुभ मुहूर्त: रात 7 बजकर 23 मिनट से रात 9 बजकर 24 मिनट तक
इस अवधि में भगवान शिव का पूजन विशेष फलदायी होता है। मान्यता है कि इस समय कैलाश पर्वत पर भगवान शिव तांडव करते हैं और जो भक्त उस समय उनकी आराधना करते हैं, उनकी मनोकामनाएं शीघ्र पूर्ण होती हैं।
भौम प्रदोष व्रत में क्या करें और क्या न करें
इस व्रत को करते समय कुछ नियमों का पालन करना आवश्यक माना गया है। भक्तों को पूरे दिन संयम और श्रद्धा के साथ रहना चाहिए।
- सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ वस्त्र धारण करें
- पूरे दिन सात्विक भोजन करें या फलाहार करें
- दोपहर में सोने से बचें
- क्रोध और बुरे विचारों से दूर रहें
- भगवान शिव के पंचाक्षरी मंत्र ऊं नमः शिवाय का जाप करें
- प्रदोष काल में शिवलिंग पर जल, दूध, शहद, दही और घी से अभिषेक करें
- बेलपत्र, सफेद फूल, धतूरा और आक के फूल चढ़ाएं
- दीपक जलाकर शिव आरती करें
व्रत में किन चीजों का सेवन करें
भौम प्रदोष व्रत के दिन व्रती को फलाहार करना चाहिए। व्रत में खाई जाने वाली चीजें इस प्रकार हो सकती हैं
- फल जैसे केला, सेब, पपीता
- साबूदाने से बनी खिचड़ी या खीर
- कुट्टू या सिंघाड़े के आटे से बनी रोटी या पकवान
- दूध, दही और नारियल पानी
- सिंघाड़े का हलवा या लौकी की सब्जी
इनके अलावा प्याज, लहसुन और अनाज जैसे चावल, गेहूं आदि का सेवन नहीं करना चाहिए। साथ ही चाय-कॉफी और तले हुए मसालेदार पदार्थों से भी बचना चाहिए।
भौम प्रदोष की पूजा में क्या न करें
शिव पूजा में कुछ चीजें वर्जित मानी गई हैं, इसलिए उन्हें व्रत के दौरान उपयोग नहीं करना चाहिए।
- तुलसी के पत्ते शिवजी को न चढ़ाएं
- हल्दी शिव पूजन में नहीं चढ़ती
- केतकी का फूल भी शिव पूजा में निषेध है
- प्रदोष के दिन अत्यधिक क्रोध और बहस से दूर रहें
पूजन करते समय मोबाइल या अन्य ध्यान भटकाने वाली चीजों का उपयोग न करें
कैसे करें भौम प्रदोष व्रत की संध्या पूजा
प्रदोष व्रत की पूजा प्रदोष काल में करनी चाहिए। इस समय सूर्यास्त के बाद का एक घंटा और चौबीस मिनट का समय होता है। इस काल में शिवलिंग का अभिषेक करना अत्यंत पुण्यकारी माना गया है।
- शिवलिंग को साफ करके गंगाजल या दूध से स्नान कराएं
- फिर पंचामृत से अभिषेक करें
- बेलपत्र, सफेद फूल, भांग, धतूरा, और अक्षत चढ़ाएं
- दीपक, धूप और कपूर से आरती करें
- ऊं नमः शिवाय का 108 बार जाप करें
- शिव पुराण या शिव चालीसा का पाठ करें
भौम प्रदोष व्रत का लाभ किन लोगों को विशेष रूप से होता है
- जिनकी कुंडली में मंगल दोष है
- जिनके विवाह में बार-बार अड़चनें आ रही हैं
- जो आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं
- जिन्हें भूमि, भवन या कोर्ट केस से जुड़ी परेशानियां हैं
- जिनमें आत्मबल की कमी या बार-बार भय की भावना आती है
इस व्रत को पूरे श्रद्धा और नियम से करने पर भगवान शिव और मंगल देव दोनों की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में आने वाली परेशानियों का अंत हो सकता है।