टीवी इंडस्ट्री की पॉपुलर और ग्लैमरस एक्ट्रेसेज़ में सीमा कपूर का नाम खास तौर पर लिया जाता है। उन्होंने अपने अभिनय करियर में कई हिट और यादगार शोज़ में काम किया है, जिनमें कुरूक्षेत्र, हम सात आठ हैं, हसरतें, बिदाई, एक हजारों में मेरी बहना है और नागिन जैसे प्रमुख शोज़ शामिल हैं।
एंटरटेनमेंट: टीवी की दुनिया में मां के किरदार को बड़े ही गरिमामय और भावनात्मक तरीके से दिखाया जाता है। दर्शक इन किरदारों को देखकर अक्सर असल जिंदगी की मांओं को याद कर भावुक हो जाते हैं। लेकिन सोचिए अगर वही मां, जिसे समाज ममता की मूर्ति मानता है, अपने ही बच्चे के लिए एक डरावना ख्वाब बन जाए तो? ऐसा ही कुछ हुआ लोकप्रिय टीवी एक्ट्रेस सीमा कपूर के साथ, जिन्होंने हाल ही में अपने बचपन से जुड़े कुछ ऐसे दर्दनाक राज खोले हैं, जिन्हें जानकर किसी का भी दिल पसीज जाए।
परदे पर ‘मां’, असल जिंदगी में सहमी बच्ची
सीमा कपूर को आपने 'बिदाई', 'हसरतें', 'हम सात आठ हैं', 'कुरुक्षेत्र', 'एक हजारों में मेरी बहना है' और 'नागिन' जैसे पॉपुलर शोज़ में देखा होगा। इन धारावाहिकों में उन्होंने मां, बहन और सशक्त महिला के किरदारों को बड़े शानदार अंदाज़ में निभाया है। लेकिन परदे पर मां का किरदार निभाने वाली यह एक्ट्रेस असल जिंदगी में ‘मां’ शब्द से ही कांप जाती थीं।
सीढ़ियों पर खड़ी बच्ची और बंद दरवाज़ा
हाल ही में दिए एक इंटरव्यू में सीमा कपूर ने बताया कि उनका बचपन प्यार और ममता से कोसों दूर था। वह बताती हैं, "स्कूल से लौटने पर कई बार घर का दरवाज़ा बंद मिलता था। हम घंटों सीढ़ियों पर खड़े रहते थे। पड़ोसी दया कर अपने घर में बुलाने की कोशिश करते थे, लेकिन हम मां के डर से अपनी जगह से हिलते भी नहीं थे।
सीमा ने कहा कि उनकी मां उन्हें हद से ज्यादा मारती थीं और मानसिक तौर पर भी प्रताड़ित करती थीं। मां की सख्ती किसी अनुशासन के लिए नहीं, बल्कि एक किस्म की क्रूरता थी।
मां की चैरिटी और बच्चों का अकेलापन
सीमा बताती हैं, जब हम दरवाज़ा बंद पाते थे, तब पता चलता कि मां मदर टेरेसा के आश्रम में चैरिटी करने गई हैं। लेकिन खुद के बच्चों को वो घंटों भूखा-प्यासा छोड़ देती थीं। यह बात और भी चौंकाने वाली है कि समाज में दया और सेवा का चेहरा मानी जाने वाली उनकी मां, अपने घर में अपनी ही औलाद को प्यार और सुरक्षा देने में नाकाम रहीं।
अपने दर्द को साझा करते हुए सीमा कहती हैं, मेरे लिए ‘मां’ शब्द डर का पर्याय बन गया था। मैं अपने दोस्तों के घर तभी जाती थी जब उनके पापा घर पर होते थे। अगर मम्मी होती थीं, तो मैं डर के मारे मिलने नहीं जाती थी।
उनकी सहेलियां अकसर पूछती थीं, क्या वो तेरी सौतेली मां हैं? लेकिन सीमा की मां कोई सौतेली नहीं थीं, वह सगी मां थीं। यह सुनकर किसी की भी रूह कांप सकती है कि एक सगी मां अपने बच्चों के साथ ऐसा व्यवहार कर सकती है।
चाइल्ड एब्यूज का दर्द आज भी है ताजा
सीमा कपूर का ये खुलासा सिर्फ उनके व्यक्तिगत दर्द की कहानी नहीं, बल्कि समाज के उस कड़वे सच को भी सामने लाता है जहां चाइल्ड एब्यूज सिर्फ सौतेली मां की कहानी तक सीमित नहीं है। सीमा का कहना है कि उनके साथ जो कुछ हुआ, उसे साफ तौर पर “चाइल्ड एब्यूज” कहा जा सकता है। आज सीमा कपूर टीवी की एक जानी-पहचानी और ग्लैमरस चेहरा हैं।
परदे पर उनकी मुस्कान और अभिनय भले ही लाखों दिलों को जीतता हो, लेकिन उनके दिल में बचपन का वो घाव आज भी ताजा है। उन्होंने न सिर्फ इस दर्द को सहा, बल्कि उसे ताकत बनाकर आज जिस मुकाम पर हैं, वो कई लोगों के लिए प्रेरणा है।