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India US Relations: अमेरिका का नया दांव! चीन-कनाडा पर असर, भारत को मिलेगा लाभ, जानिए पूरा समीकरण

India US Relations: अमेरिका का नया दांव! चीन-कनाडा पर असर, भारत को मिलेगा लाभ, जानिए पूरा समीकरण
अंतिम अपडेट: 06-03-2025

अमेरिका ने चीन, मेक्सिको और कनाडा पर भारी टैरिफ लगाया, जिससे भारतीय निर्यातकों के लिए बड़ा अवसर बना। कृषि, टेक्सटाइल, मशीनरी और केमिकल सेक्टर को फायदा मिलने की संभावना है।

India US Relations: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने तीन बड़े व्यापारिक साझेदारों—चीन, मेक्सिको और कनाडा—पर भारी टैरिफ लगाने की घोषणा की है। इस फैसले से जहां वैश्विक बाजार में हलचल मच गई है, वहीं भारत के लिए यह एक बड़ा अवसर भी साबित हो सकता है। एक्सपर्ट्स मानते हैं कि इस टैरिफ वॉर के चलते अमेरिकी बाजार में भारतीय उत्पादों की मांग बढ़ सकती है।

अमेरिका का टैरिफ हमला: किन देशों को हुआ नुकसान?

ट्रंप प्रशासन ने चीन, कनाडा और मेक्सिको के उत्पादों पर भारी-भरकम टैरिफ लगाने का ऐलान किया है। नए नियमों के तहत:

मेक्सिको और कनाडा से आयातित वस्तुओं पर 25% टैरिफ लगाया गया है।
सभी चीनी उत्पादों पर आयात शुल्क बढ़ाकर 20% कर दिया गया है।

ट्रंप प्रशासन का कहना है कि यह कदम फेंटेनाइल और अन्य नशीले पदार्थों की तस्करी को रोकने के लिए उठाया गया है। लेकिन व्यापार विशेषज्ञ इसे एक नए ‘ट्रेड वॉर’ की शुरुआत मान रहे हैं, जिससे वैश्विक बाजार में अस्थिरता आ सकती है।

भारतीय निर्यातकों के लिए सुनहरा मौका!

अमेरिका द्वारा चीन, कनाडा और मेक्सिको पर टैरिफ लगाने से इन देशों के उत्पाद महंगे हो जाएंगे, जिससे उनकी बाजार में पकड़ कमजोर होगी। ऐसे में भारतीय उत्पादों को अमेरिकी बाजार में जगह बनाने का बेहतरीन मौका मिल सकता है।

किन सेक्टर्स को मिलेगा फायदा?

विशेषज्ञों के अनुसार, इस फैसले से भारत के निम्नलिखित उद्योगों को सबसे अधिक लाभ होने की संभावना है:

कृषि उत्पाद (चावल, मसाले, चाय)
इंजीनियरिंग सामान (मशीन टूल्स, ऑटोमोबाइल पार्ट्स)
टेक्सटाइल और अपैरल (कपड़ा, रेडीमेड गारमेंट्स)केमिकल और फार्मा

लेदर उत्पाद

यदि भारतीय निर्यातक इस मौके का फायदा उठाने में सफल रहते हैं, तो भारत अमेरिकी बाजार में चीन और अन्य देशों की जगह ले सकता है।

ट्रेड वॉर में भारत की बढ़ती भूमिका

यह पहली बार नहीं है जब अमेरिकी टैरिफ नीति भारत के लिए फायदेमंद साबित हो सकती है। ट्रंप के पहले कार्यकाल में भी अमेरिका ने चीन पर भारी शुल्क लगाया था, जिससे भारतीय कंपनियों को अमेरिकी बाजार में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने का मौका मिला था।

इस बार भी हालात कुछ वैसे ही हैं। भारत के पास एक सुनहरा अवसर है कि वह अमेरिका को सस्ते और उच्च गुणवत्ता वाले उत्पादों की आपूर्ति करके अपने निर्यात में इजाफा करे।

ग्लोबल ट्रेड वॉर का असर: चीन और कनाडा की जवाबी कार्रवाई

अमेरिका के इस फैसले से नाराज होकर चीन, कनाडा और मेक्सिको ने भी जवाबी कदम उठाने का ऐलान किया है।

- चीन ने अमेरिकी कृषि उत्पादों पर 10-15% अतिरिक्त शुल्क लगाने का फैसला किया है।
- कनाडा ने 20.7 अरब डॉलर के अमेरिकी आयात पर 25% टैरिफ लगाने का ऐलान किया है।
- मेक्सिको भी जल्द ही जवाबी कार्रवाई कर सकता है।

इस व्यापारिक टकराव से अमेरिका को भी नुकसान हो सकता है, क्योंकि अमेरिकी कंपनियां महंगे आयात की वजह से नए आपूर्तिकर्ता खोजने पर मजबूर हो सकती हैं। ऐसे में भारत उनके लिए एक आकर्षक विकल्प बन सकता है।

भारत के लिए संभावनाएं और चुनौतियां

हालांकि यह टैरिफ वॉर भारत के लिए अवसर लेकर आया है, लेकिन कुछ चुनौतियां भी हैं:

अमेरिका की मांगें – अमेरिका भारत से टैरिफ में कटौती, सरकारी खरीद में बदलाव, पेटेंट नियमों में ढील और डेटा सुरक्षा से जुड़ी रियायतों की मांग कर सकता है।
वैश्विक मंदी का खतरा – यदि व्यापार युद्ध लंबा चला तो वैश्विक अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है, जिससे भारतीय निर्यातकों को भी नुकसान हो सकता है।
प्राइस वॉर की संभावना – चीन और अन्य देश कीमतें घटाकर प्रतिस्पर्धा बढ़ा सकते हैं, जिससे भारतीय कंपनियों के लिए बाजार में अपनी स्थिति बनाए रखना चुनौतीपूर्ण हो सकता है।

क्या ‘मेक इन इंडिया’ को मिलेगा बढ़ावा?

ट्रेड एक्सपर्ट्स का मानना है कि अमेरिका के इस फैसले से भारत के ‘मेक इन इंडिया’ अभियान को मजबूती मिल सकती है। अमेरिकी कंपनियां अब भारत में निवेश करने और निर्माण इकाइयां लगाने पर विचार कर सकती हैं।

आर्थिक थिंक टैंक GTRI के अनुसार, यदि भारत इस अवसर का सही इस्तेमाल करे तो न केवल निर्यात बढ़ेगा, बल्कि देश की मैन्युफैक्चरिंग क्षमता भी मजबूत होगी।

भारत को अब क्या करना चाहिए?

इस बदलते व्यापारिक माहौल में भारत को तुरंत ठोस कदम उठाने होंगे:

✅ निर्यात नीति को सरल बनाना और समर्थन बढ़ाना।
✅ अमेरिका के साथ एक स्थिर व्यापार समझौता (FTA) तैयार करना।
✅ मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को प्रोत्साहित करने के लिए बेहतर नीतियां लागू करना।
✅ अमेरिकी कंपनियों को भारत में निवेश के लिए आकर्षित करना।

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