भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के डिप्टी गवर्नर टी. रबी शंकर को केंद्र सरकार ने 16वें वित्त आयोग का अंशकालिक सदस्य नियुक्त किया है। यह नियुक्ति ऐसे समय पर हुई है जब आयोग के पूर्णकालिक सदस्य और पूर्व वित्त सचिव अजय नारायण झा ने व्यक्तिगत कारणों से इस्तीफा दे दिया है।
नई दिल्ली: केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने हाल ही में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के डिप्टी गवर्नर टी. रबी शंकर को 16वें वित्त आयोग का अंशकालिक (पार्टटाइम) सदस्य नियुक्त किया है। यह नियुक्ति तब हुई है जब पूर्व वित्त सचिव और 16वें वित्त आयोग के पूर्णकालिक सदस्य अजय नारायण झा ने व्यक्तिगत कारणों से इस्तीफा दिया। शंकर 3 मई 2025 से आयोग में अपनी नई भूमिका निभाएंगे और आयोग को अपनी रिपोर्ट सौंपने तक या 31 अक्टूबर, 2025 तक पद पर रहेंगे, जो भी पहले हो।
16वां वित्त आयोग: भूमिका और महत्व
16वें वित्त आयोग को 31 दिसंबर 2023 को बनाया गया था। इसका नेतृत्व नीति आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया कर रहे हैं। यह आयोग सरकार और राज्यों के बीच पैसे के बंटवारे के बारे में सुझाव देता है। इसके साथ ही, यह बजट और वित्त से जुड़ी योजनाओं के लिए भी सुझाव तैयार करता है। उम्मीद है कि यह आयोग 31 अक्टूबर 2025 तक अपनी रिपोर्ट देगा, जिसे 1 अप्रैल 2026 से लागू किया जाएगा।
वित्त आयोग का महत्व इस बात में निहित है कि यह केंद्र-राज्य वित्तीय संबंधों को संतुलित करता है और राज्यों को वित्तीय संसाधनों की उचित हिस्सेदारी सुनिश्चित करता है। उदाहरण के लिए, 15वें वित्त आयोग ने केंद्र के विभाज्य कर पूल का 41 प्रतिशत राज्यों को आवंटित करने की सिफारिश की थी।
टी. रबी शंकर: आरबीआई में लंबा अनुभव
टी. रबी शंकर अप्रैल 2021 में पहली बार RBI के डिप्टी गवर्नर बने थे। उनकी नियुक्ति तीन साल के लिए हुई थी, जिसे मई 2024 में एक वर्ष के लिए बढ़ाया गया। 3 मई से उनकी दूसरी कार्यकाल की शुरुआत हुई है। वे आरबीआई के प्रमुख विभागों का नेतृत्व करते हैं, जिनमें मुद्रा प्रबंधन, बाहरी निवेश, विदेशी मुद्रा संचालन, और वित्तीय बाजार नियम शामिल हैं।
विशेष रूप से, उन्होंने सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जो भारत की वित्तीय तकनीक में एक क्रांतिकारी कदम माना जा रहा है। जनवरी 2025 में उन्हें फिनटेक विभाग का अतिरिक्त प्रभार भी दिया गया है, जो डिजिटल और तकनीकी नवाचार को बढ़ावा देने में केंद्रीय भूमिका निभाता है।
पेशेवर पृष्ठभूमि और उपलब्धियां
टी. रबी शंकर ने 1990 में RBI में अपनी सेवा शुरू की। उनके करियर का मुख्य फोकस भुगतान प्रणाली, आईटी, जोखिम प्रबंधन और वित्तीय स्थिरता पर रहा है। उन्होंने आरबीआई में कई वरिष्ठ पदों पर कार्य किया, जिनमें कार्यकारी निदेशक के रूप में महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां शामिल हैं। 2005 से 2011 तक वे अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के सलाहकार भी रहे।
वहां उन्होंने सरकारी बॉन्ड बाजार और ऋण प्रबंधन से जुड़ी परियोजनाओं पर काम किया। इसके अलावा, वे इंडियन फाइनेंशियल टेक्नोलॉजी एंड एलाइड सर्विसेज (IFTAS) के अध्यक्ष भी रह चुके हैं, जो वित्तीय सेवा प्रदाताओं के लिए तकनीकी समाधानों का विकास करता है।
शिक्षा और विशेषज्ञता
टी. रबी शंकर ने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में एम.फिल की डिग्री हासिल की है। उनकी शिक्षा और अनुभव उन्हें भारत की मौद्रिक नीतियों और वित्तीय प्रबंधन में एक प्रभावशाली विशेषज्ञ बनाते हैं। उनके योगदान से न केवल RBI की नीतियों को बल मिला है, बल्कि वित्तीय प्रणाली के डिजिटलीकरण और नवाचार को भी नई दिशा मिली है।
16वें वित्त आयोग में उनकी भूमिका
16वें वित्त आयोग में एक अंशकालिक सदस्य के रूप में टी. रबी शंकर की भूमिका बहुत अहम होगी। चूंकि वे आरबीआई के डिप्टी गवर्नर भी हैं, इसलिए उनकी मौद्रिक नीति और वित्तीय स्थिरता से जुड़ी समझ आयोग के निर्णयों को और भी प्रभावशाली बनाएगी। विशेषकर वित्तीय संसाधनों के उचित वितरण और राज्यों के वित्तीय संतुलन को लेकर उनकी विशेषज्ञ राय आयोग के लिए महत्वपूर्ण होगी।
उनकी नियुक्ति से आयोग को वित्तीय नियमन, बाजार के रुझानों, और तकनीकी बदलावों को ध्यान में रखते हुए नीतिगत सुझाव देने में मदद मिलेगी। यह भारत के आर्थिक विकास और केंद्र-राज्य वित्तीय संबंधों के बेहतर प्रबंधन के लिए सहायक साबित होगा।