इलाहाबाद हाई कोर्ट का लिव इन रिलेशन पर बड़ा फैसला, हत्या और दहेज उत्पीड़न के मामले भी होंगे दर्ज

इलाहाबाद हाई कोर्ट का लिव इन रिलेशन पर बड़ा फैसला, हत्या और दहेज उत्पीड़न के मामले भी होंगे दर्ज
Last Updated: 4 घंटा पहले

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय देते हुए कहा है कि लिव-इन रिलेशन में रहने वाले लोग भी पति-पत्नी की तरह दहेज हत्या और दहेज उत्पीड़न के मामलों का सामना कर सकते हैं। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि दहेज हत्या के मामले में जोड़े को पति-पत्नी के समान जीवन व्यतीत करने की आवश्यकता है। यह आदेश न्यायमूर्ति राजबीर सिंह ने आदर्श द्वारा दाखिल की गई अर्जी को खारिज करते हुए जारी किया है।

Prayagraj: इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए कहा है कि पति-पत्नी की तरह 'लिव इन रिलेशन' में रहने वाले जोड़ों पर भी दहेज हत्या और दहेज उत्पीड़न के मामले दर्ज किए जा सकते हैं। न्यायालय ने स्पष्ट किया है कि दहेज हत्या के मामले में यह आवश्यक है कि जोड़ा पति-पत्नी की तरह जीवन व्यतीत कर रहा हो। यह आदेश न्यायमूर्ति राजबीर सिंह ने आदर्श यादव द्वारा दायर की गई याचिका को खारिज करते हुए दिया है।

2022 में दर्ज हुई थी याचिका

प्रयागराज कोतवाली में वर्ष 2022 में याचिकाकर्ता के खिलाफ दहेज हत्या और दहेज उत्पीड़न के आरोप में प्राथमिकी दर्ज की गई थी। आरोप है कि दहेज की मांग से परेशान होकर पीड़िता ने आत्महत्या कर ली। पुलिस ने दहेज हत्या के मामले में चार्जशीट पेश की। ट्रायल कोर्ट ने आरोपी की अपराध से उन्मुक्ति संबंधी याचिका को अस्वीकृत कर दिया।

कोर्ट ने क्या कहा? 

कानूनी तौर पर पीड़िता का पति नहीं है याची याची का कहना है कि वह कानूनी रूप से पीड़िता का पति नहीं है, इसलिए उसके खिलाफ दहेज हत्या और दहेज उत्पीड़न का मामला नहीं चलाया जा सकता। सरकारी वकील ने जवाब दिया कि पीड़िता की शादी अदालत के द्वारा हुई थी। याची ने दहेज के लिए पीड़िता को प्रताड़ित किया, जिसके परिणामस्वरूप उसने आत्महत्या कर ली। विवाह की वैधता का परीक्षण केवल ट्रायल के दौरान ही किया जा सकता है।

कोर्ट ने कहा कि केवल पति ही नहीं, बल्कि उसके रिश्तेदार भी दहेज हत्या के आरोप में शामिल किए जा सकते हैं। भले ही यह माना जाए कि मृतका कानूनी रूप से पति की पत्नी नहीं थी, लेकिन इस मामले में सबूत हैं कि वे पति-पत्नी की तरह साथ रह रहे थे। इसलिए, दहेज हत्या के कानून इस मामले में लागू होंगे।

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