अजमेर में 28 वर्षीय हर्षाली कोठारी, जो बेंगलुरु में 32 लाख रुपये की वार्षिक सैलरी पर एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर थीं, आगामी 3 दिसंबर को जैन दीक्षा लेने जा रही हैं। कोरोना काल के दौरान धर्म से जुड़ाव के बाद, उन्होंने संयम के मार्ग पर चलने का निर्णय लिया। बुधवार को अजमेर के आराधना भवन में जैन समाज द्वारा हर्षाली के लिए एक भव्य समारोह का आयोजन किया गया।
राजस्थान के अजमेर जिले के ब्यावर की 28 वर्षीय हर्षाली कोठारी ने धर्म और वैराग्य का मार्ग अपनाने का निर्णय लिया है। बेंगलुरु में एक मल्टीनेशनल कंपनी में 32 लाख रुपये की वार्षिक नौकरी करने वाली हर्षाली, आगामी तीन दिसंबर को जैन दीक्षा लेने जा रही हैं।
बुधवार को अजमेर के आराधना भवन में जैन समाज द्वारा हर्षाली के लिए एक भव्य समारोह आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम में गोद भराई और वरघोड़ा का आयोजन किया गया। बैगन-बाजे और जुलूस के साथ वरघोड़ा निकाला गया, जिसका विभिन्न स्थानों पर भव्य स्वागत किया गया। समारोह के दौरान जैन समाज ने हर्षाली को माला पहनाकर और शाल ओढ़ाकर सम्मानित किया।
28 साल की हर्षाली ने वैराग्य का मार्ग अपनाने का निर्णय लिया
हर्षाली के पिता, अशोक कोठारी, ने बताया कि उनकी बेटी ने जयपुर के लक्ष्मी निवास मित्तल कॉलेज से 2017-18 में बीटेक की डिग्री प्राप्त की। इसके बाद, उन्होंने बेंगलुरु की एक प्रमुख कंपनी में सॉफ्टवेयर इंजीनियर के रूप में काम करना शुरू किया। कोरोना के समय में, जब वर्क फ्रॉम होम चल रहा था, तब हर्षाली ने जैन संत रामलाल जी महाराज के चातुर्मास कार्यक्रम में भाग लिया। यहीं से उनके धर्म की ओर आकर्षण बढ़ने लगा।
कोरोना काल में नौकरी छोड़कर धर्म में लीन हो गई
कोरोना महामारी के बाद जब कंपनी ने कर्मचारियों से कार्यालय लौटने की अपील की, तो हर्षाली ने नौकरी छोड़ने का निर्णय लिया और पूरी तरह से धार्मिक मार्ग पर चलने का संकल्प लिया। अब वह 3 दिसंबर को आचार्य रामलाल जी महाराज के सान्निध्य में दीक्षा लेकर संयम के मार्ग पर आगे बढ़ेंगी। जैन समाज की ओर से वैरागन हर्षाली के पिता अशोक कोठारी, माता उषा कोठारी और अन्य परिवार के सदस्यों का शॉल ओढ़ाकर और माल्यार्पण कर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम का संचालन कवि बुद्धिप्रकाश दाधीच ने किया।