पूर्व आईपीएस अधिकारी और राम मंदिर ट्रस्ट के सदस्य आचार्य किशोर कुणाल का हार्ट अटैक से निधन। वे महावीर मंदिर ट्रस्ट के सचिव, समाजसेवी, और धार्मिक सुधारक थे। संस्कृत और इतिहास में उनकी विद्वता के लिए भी जाने जाते थे।
Acharya Kishore Kunal Death: पूर्व आईपीएस अधिकारी और अयोध्या मंदिर ट्रस्ट के संस्थापकों में से एक, आचार्य किशोर कुणाल का आज सुबह निधन हो गया। जानकारी के अनुसार, उन्हें हार्ट अटैक आया था। तत्काल उन्हें पटना के महावीर वत्सला अस्पताल ले जाया गया, लेकिन डॉक्टरों की सभी कोशिशें नाकाम रहीं। उनका निधन हिंदू धर्म और समाजसेवा के क्षेत्र में एक अपूरणीय क्षति के रूप में देखा जा रहा है।
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
आचार्य किशोर कुणाल का जन्म 10 अगस्त 1950 को मुजफ्फरपुर जिले के बरुराज गांव में हुआ। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा अपने गांव से पूरी की। इसके बाद, उन्होंने पटना यूनिवर्सिटी से इतिहास और संस्कृत में स्नातक किया। उनकी शैक्षणिक योग्यता और संस्कृत भाषा पर उनकी पकड़ ने उनके जीवन को गहराई से प्रभावित किया।
पुलिस सेवा में योगदान
कुणाल 1972 बैच के गुजरात कैडर के आईपीएस अधिकारी बने। उन्होंने गुजरात के आनंद में बतौर पुलिस अधीक्षक अपने करियर की शुरुआत की। 1978 में, वे अहमदाबाद के पुलिस उपायुक्त बने। 1983 में प्रोमोशन पाकर वे पटना के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक नियुक्त हुए। पुलिस सेवा के दौरान उन्होंने अपने कार्यों से कड़क और ईमानदार अधिकारी के रूप में ख्याति प्राप्त की। 1990 से 1994 के बीच, उन्होंने गृह मंत्रालय में ऑफिसर ऑन स्पेशल ड्यूटी के रूप में भी अपनी सेवाएं दीं।
सामाजिक क्षेत्र में योगदान
पुलिस सेवा से 2000 में सेवानिवृत्त होने के बाद, उन्होंने केएसडी संस्कृत यूनिवर्सिटी, दरभंगा के कुलपति का पद संभाला और 2004 तक इस पद पर कार्यरत रहे। बाद में वे बिहार राज्य धार्मिक न्यास बोर्ड (BSBRT) के प्रशासक बने। इस भूमिका में उन्होंने धार्मिक संस्थानों में जातिवादी प्रथाओं को सुधारने की दिशा में कई महत्वपूर्ण कदम उठाए।
महावीर मंदिर और समाजसेवा
आचार्य किशोर कुणाल पटना के महावीर मंदिर के संस्थापक थे। जब उन्होंने 1987 में इस मंदिर के ट्रस्ट का कार्यभार संभाला, तब मंदिर की वार्षिक आय मात्र 11,000 रुपये थी। उनके कुशल नेतृत्व में आज मंदिर की वार्षिक आय 212 करोड़ रुपये तक पहुंच गई है। इस आय का बड़ा हिस्सा समाजसेवा में खर्च किया जाता है।
1 जनवरी 1989 को उन्होंने महावीर मंदिर ट्रस्ट के माध्यम से पटना में पहला अस्पताल स्थापित किया। इसके बाद चिरैयाटांड में इसे विस्तारित किया गया। वर्तमान में महावीर आरोग्य अस्पताल सामान्य बीमारियों के उपचार के लिए प्रसिद्ध है। 1998 में उन्होंने महावीर कैंसर अस्पताल की स्थापना की, जिससे बिहार के कैंसर मरीजों को रियायती दरों पर उपचार मिलने लगा।
महावीर मंदिर ट्रस्ट की भूमिका
महावीर मंदिर ट्रस्ट ने धर्म और समाजसेवा के क्षेत्र में कई मिसालें पेश की हैं। यह ट्रस्ट हर साल धार्मिक न्यास बोर्ड को 55 लाख रुपये का वार्षिक शुल्क अदा करता है। ट्रस्ट की पहल पर स्थापित महावीर कैंसर अस्पताल और महावीर आरोग्य अस्पताल आज लाखों मरीजों के लिए वरदान साबित हो रहे हैं।
आचार्य किशोर कुणाल के निधन से धार्मिक और सामाजिक जगत में शोक की लहर दौड़ गई है। उनका जीवन समाज और धर्म के प्रति समर्पण का उदाहरण था। उनके योगदान को आने वाले समय में भी याद किया जाएगा।