राजस्थान के अजमेर में स्थित ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह को लेकर चल रहे विवाद में आज (19 अप्रैल) को एक महत्वपूर्ण सुनवाई हुई। इस मामले में हिंदू पक्ष को बड़ा झटका लगा है।
Ajmer Sharif Dargah Case: राजस्थान के अजमेर शहर स्थित ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह को लेकर चल रहे विवाद में एक नया मोड़ सामने आया है। हिंदू सेना के अध्यक्ष विष्णु गुप्ता द्वारा दरगाह को शिव मंदिर के रूप में दावा किए जाने वाले मुकदमे में आज केंद्र सरकार ने अपनी सिफारिश दी, जिससे हिंदू पक्ष को बड़ा झटका लगा है। केंद्र सरकार ने इस मामले में हिंदू सेना के दावे को खारिज करने की सिफारिश की है और इसे सुनने योग्य नहीं बताया है।
केंद्र सरकार ने दिया हलफनामा
अजमेर शरीफ दरगाह को शिव मंदिर के रूप में पहचानने की मांग को लेकर हिंदू सेना के अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने जो मुकदमा दायर किया था, केंद्र सरकार ने उसकी सुनवाई के दौरान हलफनामा दाखिल किया। सरकार के अल्पसंख्यक मंत्रालय ने इस मुकदमे की पोषणीयता पर सवाल उठाते हुए कहा कि इस मुकदमे में कोई ठोस आधार नहीं है। मंत्रालय ने कहा कि हिंदू सेना का दायर मुकदमा सुनने योग्य नहीं है और इसे खारिज कर दिया जाना चाहिए।
सरकार का कहना था कि इस मुकदमे में कोई खास परिस्थितियां नहीं हैं, जिससे इसे कानूनी तौर पर सुना जाए। इसके अलावा, मुकदमे में भारतीय संघ को पक्षकार नहीं बनाया गया है और अदालत के आदेश में अंग्रेजी में दाखिल किए गए मुकदमे का हिंदी अनुवाद भी ठीक से नहीं किया गया है। इस प्रकार की तकनीकी खामियों के कारण सरकार ने इसे खारिज किए जाने की सिफारिश की है।
हिंदू पक्ष को झटका, मुस्लिम पक्ष में खुशी की लहर
केंद्र सरकार के इस कदम से हिंदू पक्ष को बड़ा झटका लगा है। हिंदू सेना के अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने इसे चुनौती दी है और कहा है कि वे कानूनी राय लेकर उचित जवाब दाखिल करेंगे। विष्णु गुप्ता ने कहा कि अगर कोई तकनीकी कमी है, तो उसे सुधार लिया जाएगा और इस मुकदमे को फिर से सही तरीके से अदालत में प्रस्तुत किया जाएगा।
वहीं, मुस्लिम पक्ष ने केंद्र सरकार के इस फैसले का स्वागत किया है। खादिमों की अंजुमनों के अधिवक्ता आशीष कुमार सिंह ने कहा कि शुरुआत से ही मुस्लिम पक्ष इस मुकदमे की पोषणीयता पर सवाल उठा रहा था और इसे खारिज करने की अपील कर रहा था। उन्होंने यह भी कहा कि यह मुकदमा केवल सस्ती लोकप्रियता पाने के लिए दायर किया गया था, जिसका कोई कानूनी आधार नहीं था। मुस्लिम पक्ष का यह मानना है कि इस तरह के मुकदमे से आपसी सौहार्द को बिगाड़ने की कोशिश की जा रही थी, जो कि पूरी तरह से गलत है।
मुकदमे में तकनीकी खामियां, अगली सुनवाई 31 मई को
केंद्र सरकार के हलफनामे के बाद, अजमेर की जिला अदालत ने आज की सुनवाई स्थगित कर दी और अब इस मामले की अगली सुनवाई 31 मई को होगी। हिंदू सेना को अब इस सिफारिश पर अपना जवाब दाखिल करने का मौका मिलेगा। कोर्ट में अब यह देखना होगा कि हिंदू सेना इस मामले में क्या कदम उठाती है और क्या वे सरकार की तकनीकी खामियों को सुधारने में सफल हो पाते हैं या नहीं।
अजमेर शरीफ दरगाह का यह विवाद एक धार्मिक और कानूनी दोनों ही दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण बन चुका है। दरगाह को लेकर चल रहे इस विवाद ने भारतीय समाज में आपसी सौहार्द और धार्मिक सौहार्द की जरूरत पर भी सवाल उठाए हैं। इस मामले को लेकर दोनों ही पक्षों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है, और इसे लेकर एक नया विवाद पैदा हो गया है।
मुकदमा खारिज किए जाने का कारण
केंद्र सरकार की तरफ से दिए गए हलफनामे में यह भी कहा गया कि हिंदू सेना के मुकदमे में कोई ऐसे ठोस आधार नहीं दिखाए गए हैं, जिनकी वजह से इसे सुनवाई के योग्य माना जाए। इसके अलावा, सरकार ने यह भी उल्लेख किया कि इस मुकदमे में जरूरी दस्तावेजों और प्रक्रियाओं का पालन नहीं किया गया है। अंग्रेजी में दाखिल किए गए मुकदमे का हिंदी अनुवाद भी सही नहीं था, जिसके कारण इसे खारिज करने की सिफारिश की गई है।
सरकार ने इस पर जोर देते हुए कहा कि यदि कोई मुकदमा सस्ती लोकप्रियता के लिए दायर किया जाता है और उसके पीछे कोई ठोस आधार नहीं होता, तो उसे खारिज कर दिया जाना चाहिए। इसके माध्यम से न केवल कानूनी प्रक्रिया को प्रभावित किया जाता है, बल्कि समाज में सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने का भी प्रयास किया जाता है।