अमानगढ़ की प्राकृतिक सुंदरता अब फिर से पर्यटकों का स्वागत करने के लिए तैयार है। 7 नवंबर से शुरू हो रही जंगल सफारी में पर्यटक बाघों की दहाड़, हाथियों की चिंघाड़ और हिरणों की चपलता का अनुभव कर सकेंगे। इस बार सफारी में पर्यटकों के लिए कई नई सुविधाएं भी जोड़ी गई हैं। अब ऑनलाइन बुकिंग की सुविधा भी उपलब्ध है, जिससे लोग आसानी से सफारी का टिकट बुक कर सकते हैं।
बिजनौर: अमानगढ़ की प्राकृतिक सुंदरता एक बार फिर से पर्यटकों के स्वागत के लिए तैयार है। अमानगढ़ में 7 नवंबर से पर्यटन गतिविधियाँ फिर से शुरू हो रही हैं, और इस बार जंगल सफारी का शुभारंभ राज्यमंत्री वन विभाग के केपी मलिक करेंगे, जो खुद भी सफारी का हिस्सा बनेंगे। अमानगढ़ टाइगर रिजर्व, जो कार्बेट टाइगर रिजर्व से जुड़ा हुआ है और बिजनौर जिले में स्थित है, लगभग साढ़े नौ हजार हेक्टेयर भूमि में फैला हुआ है। यह रिजर्व बाघों की दहाड़, हाथी की चिंघाड़ और हिरणों की चपलता जैसी अनमोल प्राकृतिक धरोहरों को समेटे हुए हैं।
आमतौर पर अमानगढ़ में जंगल सफारी का आयोजन 15 नवंबर से शुरू होता है और 15 जून को समाप्त होता है, लेकिन इस बार छह नवंबर से ही जंगल सफारी की शुरुआत हो रही है। वन विभाग ने पर्यटकों के लिए सभी आवश्यक तैयारियां पूरी कर ली हैं।
ऑनलाइन बुकिंग सुविधा भी होगी शुरू
अमानगढ़ में इस बार पर्यटकों के लिए ऑनलाइन बुकिंग की सुविधा भी प्रदान की जा रही है। इसके लिए विभाग ने एक वेबसाइट, amangarhtigerreserve.org बनाई है, जहां पर पर्यटक आसानी से ऑनलाइन बुकिंग और पेमेंट कर सकते हैं। इस वेबसाइट पर अमानगढ़ आने और आसपास ठहरने से संबंधित सभी जानकारी उपलब्ध होगी। उम्मीद है कि यह सेवा एक-दो दिन में पूरी तरह से सक्रिय हो जाएगी।
अमानगढ़ में अभी एक ही ट्रैक पर पर्यटकों को ले जाया जाता है, जो केहरीपुर जंगल की ओर से प्रवेश करके झिरना गेट तक जाता है। यह सफारी लगभग 35 किलोमीटर लंबी होती है, और पर्यटकों को उसी रास्ते से वापस लाया जाता है। एक दिन में केवल दस गाड़ियों का ही प्रवेश अमानगढ़ में होता है, जिसमें हर गाड़ी में पांच पर्यटक शामिल हो सकते हैं।
अमानगढ़ में जाने का शुल्क और समय सारणी
* जिप्सी शुल्क, 2280 प्रति
* गाइड शुल्क, 400
* प्रवेश शुल्क प्रति वाहन, 300 प्रति व्यक्ति
* प्रवेश शुल्क, 100 प्रति
* विदेशी व्यक्ति शुल्क, 600
* प्रवेश का समय शीतकालीन: नवंबर से मार्च सुबह 6.30 से 10 बजे तक। सायं दो से सूर्यास्त तक।
* ग्रीष्मकालीन: अप्रैल से जून सुबह छह से 9.30 बजे। सायं तीन बजे से सूर्यास्त तक।