अंकिता भंडारी हत्याकांड में कांग्रेस ने तीन मांगें रखीं- वीआईपी की पहचान सार्वजनिक हो, दोषियों को फांसी मिले, और स्वतंत्र जांच कराई जाए। कांग्रेस ने कहा- न्याय के लिए संघर्ष जारी रहेगा।
Uttrakhand: उत्तराखंड के चर्चित अंकिता भंडारी हत्याकांड में न्यायालय के फैसले के बाद कांग्रेस ने एक बार फिर सरकार को घेरा है। कांग्रेस ने इस मामले में तीन प्रमुख मांगें रखते हुए सरकार से सवाल किए हैं और चेतावनी दी है कि जब तक न्याय नहीं मिलेगा, उनकी लड़ाई जारी रहेगी।
अंकिता भंडारी हत्याकांड में कांग्रेस ने उठाई तीन प्रमुख मांगें
अंकिता भंडारी हत्याकांड में अदालत के फैसले के बाद कांग्रेस ने प्रदेश सरकार से तीन महत्वपूर्ण मांगें की हैं। पहली मांग है कि वीआईपी की पहचान सार्वजनिक की जाए, ताकि यह स्पष्ट हो सके कि किन रसूखदार लोगों को इस मामले में बचाने की कोशिश की गई। दूसरी मांग है कि दोषियों को फांसी की सजा दिलाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में अपील की जाए, ताकि पीड़िता को पूर्ण न्याय मिल सके। तीसरी मांग है कि मामले की स्वतंत्र न्यायिक जांच कराई जाए, ताकि इस पूरे प्रकरण की निष्पक्ष जांच हो और कोई तथ्य छुपा न रह सके।
कांग्रेस ने कोर्ट के फैसले का स्वागत किया, लेकिन जताई चिंता
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा ने अदालत के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि यह एक महत्वपूर्ण कदम है, लेकिन यह केवल आंशिक न्याय है। उन्होंने कहा कि अभी कई ऐसे सवाल हैं जिनका जवाब मिलना बाकी है। उदाहरण के तौर पर, किस वीआईपी को बचाने के लिए रिसॉर्ट पर बुलडोजर चलाया गया, सबूत क्यों नष्ट किए गए, और जांच को भटकाने की कोशिश किसने की। कांग्रेस का कहना है कि जब तक ये सवाल स्पष्ट नहीं होंगे, तब तक वे जनता के बीच इस मुद्दे को उठाते रहेंगे।
नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने सरकार पर लगाए गंभीर आरोप
नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने कहा कि अदालत ने पुलकित आर्य, सौरभ भास्कर और अंकित गुप्ता को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है, लेकिन कांग्रेस का मानना है कि सरकार के अभियोजन पक्ष ने वीआईपी को बचाने में सफलता पा ली है। उन्होंने कहा कि जनता जानना चाहती है कि आखिर वह वीआईपी कौन है, जिसे बचाने के लिए इतनी कोशिशें की गईं। उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि रिसॉर्ट तोड़ने का आदेश किसके इशारे पर दिया गया और इसका उद्देश्य क्या था।
हरीश रावत ने भी वीआईपी की पहचान पर उठाए सवाल
पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने भी इस मामले पर अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने सोशल मीडिया पर 'सत्यमेव जयते' लिखते हुए कहा कि अंकिता हत्याकांड में साक्ष्यों के साथ छेड़छाड़ की गई, रिसॉर्ट में आग लगाई गई, और कई महत्वपूर्ण सबूत नष्ट किए गए। उन्होंने पूछा कि ऐसा कौन सा वीआईपी था, जिसके दबाव में ये सब हुआ? हरीश रावत का कहना है कि अंकिता का मोबाइल फोन महत्वपूर्ण साक्ष्य हो सकता था, लेकिन उसे भी गायब कर दिया गया। उन्होंने कहा कि भगवान का न्याय भी होता है, दोषी बच नहीं सकते।
अंकिता भंडारी हत्याकांड: अब तक की स्थिति
अंकिता भंडारी हत्याकांड उत्तराखंड का एक बहुत ही संवेदनशील और चर्चित मामला बन चुका है। 2022 में हुए इस मामले ने पूरे प्रदेश को हिला कर रख दिया था। अंकिता वनंत्रा रिजॉर्ट में काम करती थी, जहां उसका शोषण किया जा रहा था। जब उसने इसका विरोध किया, तो उसकी हत्या कर दी गई और शव को चीला नहर में फेंक दिया गया।
इस मामले में पुलकित आर्य (रिसॉर्ट का मालिक), सौरभ भास्कर और अंकित गुप्ता को गिरफ्तार किया गया था। अदालत ने हाल ही में तीनों आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। हालांकि, कांग्रेस और कई सामाजिक संगठन मानते हैं कि इस फैसले से पूरी तरह न्याय नहीं मिला है, क्योंकि असली गुनहगार अभी भी कानून के शिकंजे से बाहर हैं।