लोकसभा में असदुद्दीन ओवैसी ने सरकार को चेतावनी दी कि वर्तमान स्वरूप में वक्फ विधेयक कानून बना तो सामाजिक अस्थिरता बढ़ेगी। विपक्ष ने जेपीसी की रिपोर्ट पर आपत्ति जताई है।
Asaduddin Owais: एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने लोकसभा में वक्फ संशोधन विधेयक का विरोध करते हुए कहा कि मुस्लिम समुदाय ने इसे पूरी तरह से खारिज कर दिया है। उन्होंने दावा किया कि इस विधेयक का वर्तमान स्वरूप भारतीय संविधान के अनुच्छेद 25, 26 और 14 का उल्लंघन करता है, जो धार्मिक स्वतंत्रता और समानता की गारंटी देता है।
"विधेयक से सामाजिक अस्थिरता बढ़ेगी" - ओवैसी
लोकसभा में अपने संबोधन के दौरान ओवैसी ने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा, "अगर यह विधेयक वर्तमान स्वरूप में संसद में लाया जाता है और कानून बनता है, तो इससे देश में सामाजिक अस्थिरता पैदा होगी।" उन्होंने कहा कि यह विधेयक मुस्लिम समुदाय के धार्मिक अधिकारों का हनन करता है, जिसे किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं किया जाएगा।
"हम मस्जिद और दरगाह की एक इंच जमीन भी नहीं छोड़ेंगे"
सरकार पर निशाना साधते हुए ओवैसी ने कहा, "आप भारत को विकसित राष्ट्र बनाना चाहते हैं, हम भी चाहते हैं। लेकिन अगर आप देश को 80-90 के दशक की स्थिति में ले जाने की कोशिश करेंगे, तो यह आपकी जिम्मेदारी होगी। एक गौरवान्वित भारतीय मुसलमान होने के नाते, हम अपनी मस्जिद और दरगाह की एक इंच भी जमीन नहीं खोएंगे।"
जेपीसी रिपोर्ट को लेकर विपक्ष में नाराजगी
वक्फ कानून में संशोधनों से जुड़े इस विधेयक पर गठित संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की रिपोर्ट को 11 के मुकाबले 15 मतों से मंजूरी दी गई। रिपोर्ट को लेकर विपक्षी सांसदों ने नाराजगी जताई। उनका आरोप है कि समिति में शामिल भाजपा सांसदों ने उनकी आपत्तियों को नजरअंदाज कर दिया और रिपोर्ट में की गई सिफारिशें संविधान की भावना के अनुरूप नहीं हैं।
"समय ही नहीं मिला रिपोर्ट पढ़ने का" - विपक्ष
विपक्षी सांसदों ने आरोप लगाया कि उन्हें 28 जनवरी को 655 पन्नों की रिपोर्ट दी गई थी, लेकिन इसका अध्ययन करने और सिफारिशें देने का समय ही नहीं मिला। इसके बावजूद संयुक्त संसदीय समिति ने 16-11 के बहुमत से मसौदा रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया।
क्या है वक्फ संशोधन विधेयक?
वक्फ कानूनों में संशोधन के लिए प्रस्तावित यह विधेयक देशभर में वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन और उपयोग को लेकर नए नियमों की बात करता है। इस विधेयक को लेकर सरकार और विपक्ष आमने-सामने हैं। ओवैसी समेत कई मुस्लिम नेताओं का कहना है कि यह विधेयक वक्फ संपत्तियों को सरकारी नियंत्रण में लेने की साजिश है, जबकि सरकार का दावा है कि यह विधेयक पारदर्शिता और जवाबदेही लाने के लिए लाया गया है।