Ashburn

रामायण की 5 अनसुनी बातें: अशोक वाटिका में माता सीता के लिए ब्रह्मा जी ने भेजी थी दिव्य खीर

🎧 Listen in Audio
0:00

रामायण केवल एक महाकाव्य नहीं, बल्कि हिंदू संस्कृति और सभ्यता की आत्मा है। श्रीराम की जीवनगाथा, मर्यादा, धर्म और न्याय का प्रतीक मानी जाती है। हालांकि, इसकी मूल कथा अधिकांश लोग जानते हैं, लेकिन इसके कुछ ऐसे दुर्लभ प्रसंग भी हैं, जो आमतौर पर कम सुने या पढ़े जाते हैं। आइए जानते हैं रामायण की कुछ ऐसी ही पांच रहस्यमयी और अनसुनी घटनाएं जो आपको चौंका सकती हैं।

1. माता सीता को अशोक वाटिका में देवताओं ने खिलाई थी दिव्य खीर

जब रावण माता सीता का अपहरण करके उन्हें लंका के अशोक वाटिका में ले गया, तो उन्होंने वहां भोजन करने से मना कर दिया। वे अधर्म से कमाए अन्न को ग्रहण नहीं करना चाहती थीं। उनकी यह स्थिति देखकर ब्रह्मा जी चिंतित हुए और उन्होंने इंद्र देव को दिव्य खीर लेकर भेजा। इंद्र ने सबसे पहले उस खीर को राक्षसों को खिला दिया जिससे वे गहरी नींद में चले गए, और फिर ब्रह्मा जी के कहने पर माता सीता ने वह दिव्य खीर ग्रहण की। इस घटना से उनकी भूख और प्यास शांत हुई और उन्होंने धर्म की मर्यादा भी बनाए रखी।

2. रंभा अप्सरा के श्राप से रावण ने सीता को नहीं छुआ

रावण अपनी शक्ति और माया के लिए प्रसिद्ध था। एक बार वह रंभा नामक अप्सरा पर मोहित हो गया, जो कि उसके भाई कुबेर के पुत्र नलकुबेर की प्रेयसी थी। रंभा ने रावण से खुद को पुत्रवधु बताकर दूर रहने की प्रार्थना की, लेकिन रावण ने उसकी बात अनसुनी कर दी। इससे आहत होकर रंभा ने उसे श्राप दिया कि यदि वह किसी स्त्री को जबरन छुएगा, तो उसका सिर सौ टुकड़ों में फट जाएगा। यही कारण था कि रावण ने सीता जी का अपहरण तो किया, लेकिन कभी उन्हें स्पर्श नहीं किया।

3. गिद्धराज जटायु के पिता थे सूर्यदेव के रथसारथी अरुण

रामायण में सीता हरण के समय रावण से युद्ध करते हुए वीरगति को प्राप्त हुए गिद्धराज जटायु को आज भी वीरता का प्रतीक माना जाता है। बहुत कम लोग जानते हैं कि उनके पिता अरुण थे, जो स्वयं सूर्यदेव के रथ के सारथी थे। जटायु ने अपने प्राण त्यागने से पहले श्रीराम को सीता के हरण की पूरी जानकारी दी थी। श्रीराम ने स्वयं उनका अंतिम संस्कार किया था, और आज भी छत्तीसगढ़ के दंडकारण्य में उनका मंदिर स्थित है।

4. 33 करोड़ नहीं, केवल 33 देवी-देवता हैं

हिंदू धर्म में अक्सर कहा जाता है कि इसमें 33 करोड़ देवी-देवता हैं, लेकिन वाल्मीकि रामायण के अरण्यकांड (14वां सर्ग, 14वां श्लोक) के अनुसार, यह संख्या 33 कोटि है, जिसका अर्थ है प्रकार या वर्ग। इन 33 देवी-देवताओं में शामिल हैं:

12 आदित्य
8 वसु
11 रुद्र
2 अश्विनी कुमार
यह एक महत्वपूर्ण जानकारी है जो हिंदू धर्म की आध्यात्मिक गहराई को दर्शाती है।

5. शूर्पणखा ने मन ही मन दिया था रावण को श्राप

रावण की बहन शूर्पणखा का भी एक अनकहा दर्द था। वह राजा कालकेय के सेनापति विद्युतजिव्ह से प्रेम करती थी और उससे विवाह करना चाहती थी। रावण को यह बात पता होने के बावजूद उसने कालकेय राज्य पर विजय प्राप्त करने के बाद विद्युतजिव्ह की हत्या कर दी। अपने प्रेमी की मृत्यु पर शोकग्रस्त शूर्पणखा ने रावण को मन ही मन शाप दिया- जैसे तूने मेरा घर बसने से पहले उजाड़ दिया, वैसे ही मैं तेरे कुल का विनाश करूंगी। और यह भविष्यवाणी सच भी हुई, रामायण का युद्ध रावण और उसके कुल के विनाश का कारण बना।

रामायण में छिपे ये रहस्य न केवल इसके आध्यात्मिक महत्व को बढ़ाते हैं, बल्कि हमें यह भी बताते हैं कि धर्म, नीति और करुणा किस प्रकार जीवन को दिशा देते हैं। इन अनसुने तथ्यों को जानकर हम रामायण की गहराई को और बेहतर समझ सकते हैं।

Leave a comment